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अलवर में प्याज ने किसानों को बनाया कर्जदार, 2500 हेक्टेयर कम हुई प्याज की बुआई - Jalebi Disease

अलवर में इस साल सामान्य से कम बारिश हुई. जिसकी वजह से किसानों ने पिछले साल की तुलना में इस साल प्याज की बुआई कम की (Onion Sowing Reduced) है. इसका मुख्य कारण वो बीमारी है जो फसल को बर्बाद कर देती है.

Onion Sowing Reduced
प्याज की फसल
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Published : Sep 25, 2022, 7:44 AM IST

अलवर. बीते साल जिले में प्याज की फसल में जलेबी रोग लग गया था. जिसके चलते किसान को भारी नुकसान हुआ और वो लाखों रुपए का कर्जदार हो गया. हालात इस बार भी कुछ अलग नहीं है. अलवर में सामान्य से कम बारिश हुई है नतीजतन किसान फिर से परेशान हैं. बीते सालों की तुलना में जिले में प्याज की फसल 2500 हेक्टेयर कम बुआई हुई (Onion Sowing Reduced). कुछ सालों से किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिल रहे थे. बीते साल प्याज की फसल में जलेबी रोग लगने से प्याज की फसल खराब हो गई थी. बता दें कि अलवर की प्याज देश के अलावा आसपास के देशों में भी सप्लाई होती है.

आधे से ज्यादा प्याज की फसल खराब: अलवर की प्याज लाल प्याज के नाम से देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखती है. देश में नासिक के बाद अलवर प्याज की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है. कुछ सालों से किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिल रहे हैं इसलिए लगातार प्याज का रकबा बढ़ रहा था. जिले में बीते साल 24 हजार 500 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में प्याज की फसल की बुवाई हुई थी. वहीं, बीते साल प्याज के बीज 5 से 6 हजार प्रति क्विंटल बीके थे. लेकिन जमीन में नमी होने के कारण प्याज की फसल में जलेबी रोग लग गया था और जिले में आधे से ज्यादा प्याज की फसल खराब हो गई थी. जिससे किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ. इस बार ये भाव 1800 से तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल रह गया है.

प्याज की फसल

पढ़ें: अलवर में प्याज की 60 फीसदी फसल खराब, बची हुई 40 फीसदी को लगे दाग... किसना परेशान, नहीं मिल रहे अच्छे दाम

इस साल 22 हजार हेक्टेयर प्याज की बुआई: कृषि विशेषज्ञ और कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस साल करीब 22000 हेक्टेयर में प्याज की फसल की बुवाई हुई है. प्याज की उत्पादकता औसत रूप से 15 मेट्रिक टन प्रति हेक्टेयर होती है. जबकि जिले में 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर में बाजरे की फसल का रकबा रहता है. इस साल बाजरे की फसल की लोगों ने ज्यादा बुआई की है. लेकिन प्याज की फसल में कमी देखने को मिल रही है. जिले में कम बारिश होने से किसानों का प्याज की फसल पर कम रुझान रहा, साथ ही किसान बीते साल प्याज की फसल खराब होने से डरा हुआ है.

सामान्य से कम हुई बारिश: किसानों को कहना है कि इस बार जिले में सामान्य से भी कम बारिश हुई है. अलवर में सामान्य बारिश का औसत 555 एमएम है. लेकिन जिले में 450 एमएम के आसपास बारिश दर्ज की गई है. बारिश कम होने के कारण किसान परेशान हैं. खेतों में पानी की कमी हो रही है. साथ ही बिजली कटौती होने के कारण किसान खेत में पानी भी नहीं दे पा रहे हैं. आमतौर पर कृषि कनेक्शन में 5 घंटे बिजली सप्लाई देने के आदेश हैं. लेकिन अलवर के ग्रामीण क्षेत्र में एक से डेढ़ घंटा बिजली सप्लाई कृषि कनेक्शनों को दी जा रही है.

पढ़ें: स्पेशल स्टोरी: प्याज के बढ़ते दामों ने बजट के साथ सब्जियों का जायका भी बिगाड़ दिया

किसान पर है लाखों का कर्जा: किसानों ने बताया कि पिछले साल प्याज की फसल में जलेबी रोग लग गया था. ऐसे में किसानों को काफी नुकसान हुआ था. फसल पैदावार के लिए किसान ने कर्ज लिया था, जो किसान अभी तक नहीं चुका पाया है. किसानों पर लाखों रुपए का कर्ज है. इसलिए किसान प्याज की फसल की कम पैदावार कर रहा है.

इस साल भी जलेबी रोग का है खतरा: किसानों ने कहा कि बीते साल जमीन में नमी होने के कारण प्याज की फसल में जलेबी रोग लग गया था. जलेबी रोग लगने के कारण आधे से ज्यादा क्षेत्र की प्याज खराब हो गई थी. ऐसे में किसान की फसल बुवाई का खर्चा भी नहीं मिल पाया. जिसके चलते किसान को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. जिले में इस साल प्याज की बुवाई शुरू हो चुकी है, तो कुछ क्षेत्र में प्याज की फसल में जलेबी रोग फिर लग रहा है.

अलवर. बीते साल जिले में प्याज की फसल में जलेबी रोग लग गया था. जिसके चलते किसान को भारी नुकसान हुआ और वो लाखों रुपए का कर्जदार हो गया. हालात इस बार भी कुछ अलग नहीं है. अलवर में सामान्य से कम बारिश हुई है नतीजतन किसान फिर से परेशान हैं. बीते सालों की तुलना में जिले में प्याज की फसल 2500 हेक्टेयर कम बुआई हुई (Onion Sowing Reduced). कुछ सालों से किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिल रहे थे. बीते साल प्याज की फसल में जलेबी रोग लगने से प्याज की फसल खराब हो गई थी. बता दें कि अलवर की प्याज देश के अलावा आसपास के देशों में भी सप्लाई होती है.

आधे से ज्यादा प्याज की फसल खराब: अलवर की प्याज लाल प्याज के नाम से देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखती है. देश में नासिक के बाद अलवर प्याज की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है. कुछ सालों से किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिल रहे हैं इसलिए लगातार प्याज का रकबा बढ़ रहा था. जिले में बीते साल 24 हजार 500 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में प्याज की फसल की बुवाई हुई थी. वहीं, बीते साल प्याज के बीज 5 से 6 हजार प्रति क्विंटल बीके थे. लेकिन जमीन में नमी होने के कारण प्याज की फसल में जलेबी रोग लग गया था और जिले में आधे से ज्यादा प्याज की फसल खराब हो गई थी. जिससे किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ. इस बार ये भाव 1800 से तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल रह गया है.

प्याज की फसल

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इस साल 22 हजार हेक्टेयर प्याज की बुआई: कृषि विशेषज्ञ और कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस साल करीब 22000 हेक्टेयर में प्याज की फसल की बुवाई हुई है. प्याज की उत्पादकता औसत रूप से 15 मेट्रिक टन प्रति हेक्टेयर होती है. जबकि जिले में 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर में बाजरे की फसल का रकबा रहता है. इस साल बाजरे की फसल की लोगों ने ज्यादा बुआई की है. लेकिन प्याज की फसल में कमी देखने को मिल रही है. जिले में कम बारिश होने से किसानों का प्याज की फसल पर कम रुझान रहा, साथ ही किसान बीते साल प्याज की फसल खराब होने से डरा हुआ है.

सामान्य से कम हुई बारिश: किसानों को कहना है कि इस बार जिले में सामान्य से भी कम बारिश हुई है. अलवर में सामान्य बारिश का औसत 555 एमएम है. लेकिन जिले में 450 एमएम के आसपास बारिश दर्ज की गई है. बारिश कम होने के कारण किसान परेशान हैं. खेतों में पानी की कमी हो रही है. साथ ही बिजली कटौती होने के कारण किसान खेत में पानी भी नहीं दे पा रहे हैं. आमतौर पर कृषि कनेक्शन में 5 घंटे बिजली सप्लाई देने के आदेश हैं. लेकिन अलवर के ग्रामीण क्षेत्र में एक से डेढ़ घंटा बिजली सप्लाई कृषि कनेक्शनों को दी जा रही है.

पढ़ें: स्पेशल स्टोरी: प्याज के बढ़ते दामों ने बजट के साथ सब्जियों का जायका भी बिगाड़ दिया

किसान पर है लाखों का कर्जा: किसानों ने बताया कि पिछले साल प्याज की फसल में जलेबी रोग लग गया था. ऐसे में किसानों को काफी नुकसान हुआ था. फसल पैदावार के लिए किसान ने कर्ज लिया था, जो किसान अभी तक नहीं चुका पाया है. किसानों पर लाखों रुपए का कर्ज है. इसलिए किसान प्याज की फसल की कम पैदावार कर रहा है.

इस साल भी जलेबी रोग का है खतरा: किसानों ने कहा कि बीते साल जमीन में नमी होने के कारण प्याज की फसल में जलेबी रोग लग गया था. जलेबी रोग लगने के कारण आधे से ज्यादा क्षेत्र की प्याज खराब हो गई थी. ऐसे में किसान की फसल बुवाई का खर्चा भी नहीं मिल पाया. जिसके चलते किसान को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. जिले में इस साल प्याज की बुवाई शुरू हो चुकी है, तो कुछ क्षेत्र में प्याज की फसल में जलेबी रोग फिर लग रहा है.

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