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अलवर में औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए अब जिला प्रशासन करेगा जमीन की पहचान

अलवर, राजस्थान के औद्योगिक राजधानी है. अलवर जिले में 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. अलवर में भिवाड़ी, खुशखेड़ा, नीमराणा जैसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र हैं. लगातार नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का काम भी अलवर में चल रहा है. प्रदेश की पहली टॉय सिटी अलवर में बसने जा रही है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित देश-विदेश की औद्योगिक इकाइयां अलवर में शिफ्ट हो रही हैं.

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Published : Feb 1, 2021, 8:24 AM IST

industrial area in Alwar, औद्योगिक क्षेत्र
जिला प्रशासन करेगा जमीन की पहचान

अलवर. जिले में वन क्षेत्र अन्य जिलों की तुलना में ज्यादा है. इसके अलावा अलवर, राजस्थान की औद्योगिक राजधानी भी है. जिले में अलवर यूआईटी के अलावा भिवाड़ी में बीड़ा है. सरकारी जमीनों पर लोगों ने कब्जे कर रखे हैं. ऐसे में अलवर प्रशासन जिले में अब जमीन की पहचान करेगा. इसके लिए जमीन बैंक बनाया गया है, जिसमें जमीन की पहचान होने के बाद उस जमीन की पूरी जानकारी रहेगी.

जिला प्रशासन करेगा जमीन की पहचान

अलवर, राजस्थान के औद्योगिक राजधानी है. अलवर जिले में 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. अलवर में भिवाड़ी, खुशखेड़ा, नीमराणा जैसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र हैं. लगातार नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का काम भी अलवर में चल रहा है. प्रदेश की पहली टॉय सिटी अलवर में बसने जा रही है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित देश-विदेश की औद्योगिक इकाइयां अलवर में शिफ्ट हो रही हैं. औद्योगिक क्षेत्रों की बढ़ती डिमांड को देखते हुए प्रदेश सरकार ने अलवर की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की योजना तैयार की है. इसके तहत रीको प्रशासन को निर्देश देते हुए नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए कहा है. इस दिशा में रीको ने काम करना शुरू कर दिया. साथ ही प्रशासन की तरफ से भी काम किया जा रहा है. जिला प्रशासन ने अलवर में जमीन बैंक मनाते हुए जमीन चिन्हित करने का काम शुरू किया है.

यह भी पढ़ेंः चुनाव परिणाम और पड़ताल : पूर्ण बहुमत के मामले में भाजपा से पिछड़ी सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस, 24 निकायों में भाजपा का दबदबा

दरअसल, अलवर में अन्य जगहों की तुलना में वन क्षेत्र ज्यादा हैं. सरिस्का बफर जोन के अलावा भी अलवर में वन क्षेत्र आता है. साथ ही अलवर में दो यूआईटी हैं, जिसकी कई बड़ी योजनाएं चल रही हैं, इसलिए प्रशासन की तरफ से बची हुई सरकारी जमीन को चिन्हित किया जा रहा है. इसके लिए प्रशासन की तरफ से सर्वे शुरू किया गया है. साथ ही जिस सरकारी जमीनों पर लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं, उन कब्जे और अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया भी प्रशासन की तरफ से की जाएगी. प्रशासन के अधिकारियों ने कहा की अन्य जगहों की तुलना में पेपर में जमीन की कीमत ज्यादा है, इसलिए आए दिन सरकारी जमीनों पर कब्जे के मामले सामने आते हैं.

अलवर. जिले में वन क्षेत्र अन्य जिलों की तुलना में ज्यादा है. इसके अलावा अलवर, राजस्थान की औद्योगिक राजधानी भी है. जिले में अलवर यूआईटी के अलावा भिवाड़ी में बीड़ा है. सरकारी जमीनों पर लोगों ने कब्जे कर रखे हैं. ऐसे में अलवर प्रशासन जिले में अब जमीन की पहचान करेगा. इसके लिए जमीन बैंक बनाया गया है, जिसमें जमीन की पहचान होने के बाद उस जमीन की पूरी जानकारी रहेगी.

जिला प्रशासन करेगा जमीन की पहचान

अलवर, राजस्थान के औद्योगिक राजधानी है. अलवर जिले में 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. अलवर में भिवाड़ी, खुशखेड़ा, नीमराणा जैसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र हैं. लगातार नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का काम भी अलवर में चल रहा है. प्रदेश की पहली टॉय सिटी अलवर में बसने जा रही है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित देश-विदेश की औद्योगिक इकाइयां अलवर में शिफ्ट हो रही हैं. औद्योगिक क्षेत्रों की बढ़ती डिमांड को देखते हुए प्रदेश सरकार ने अलवर की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की योजना तैयार की है. इसके तहत रीको प्रशासन को निर्देश देते हुए नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए कहा है. इस दिशा में रीको ने काम करना शुरू कर दिया. साथ ही प्रशासन की तरफ से भी काम किया जा रहा है. जिला प्रशासन ने अलवर में जमीन बैंक मनाते हुए जमीन चिन्हित करने का काम शुरू किया है.

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दरअसल, अलवर में अन्य जगहों की तुलना में वन क्षेत्र ज्यादा हैं. सरिस्का बफर जोन के अलावा भी अलवर में वन क्षेत्र आता है. साथ ही अलवर में दो यूआईटी हैं, जिसकी कई बड़ी योजनाएं चल रही हैं, इसलिए प्रशासन की तरफ से बची हुई सरकारी जमीन को चिन्हित किया जा रहा है. इसके लिए प्रशासन की तरफ से सर्वे शुरू किया गया है. साथ ही जिस सरकारी जमीनों पर लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं, उन कब्जे और अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया भी प्रशासन की तरफ से की जाएगी. प्रशासन के अधिकारियों ने कहा की अन्य जगहों की तुलना में पेपर में जमीन की कीमत ज्यादा है, इसलिए आए दिन सरकारी जमीनों पर कब्जे के मामले सामने आते हैं.

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