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पहलू खान मॉब लिंचिंग केस : बचाव पक्ष के वकील ने कहा- पुलिस बिना किसी गवाहों के निर्दोष लोगों को फंसा रही थी - alwar news

पहलू खान मॉब लिंचिंग केस में कोर्ट के फैसले को बचाव पक्ष के वकील ने ऐतिहासिक बताया है. मीडिया से बात करते हुए बुधवार को उन्होंने कहा कि पुलिस बिना किसी गवाहों के निर्दोष लोगों को फंसा रही थी. बता दें कि इस मामले में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने सभी 6 आरोपियों को बरी कर दिया है.

rajasthan news, अलवर के बहरोड़ की खबर
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Published : Aug 14, 2019, 10:50 PM IST

अलवर. 1 अप्रैल 2017 को दो पिकअप गाड़ियों में गोवंश लेकर जा रहे पहलू खान व उसके साथियों को बहरोड़ में लोगों ने रोका व उनसे गायों के बारे में पूछताछ की. जवाब नहीं देने पर भीड़ ने उनके साथ मारपीट की. इस दौरान पुलिस ने मौके पर पहुंच कर पहलू खान को बहरोड़ के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया, जहां 4 अप्रैल को दिल का दौरा पड़ने से पहलू खान की मौत हो गई.

पहलू खान मॉब लिंचिंग केस में बचाव पक्ष के वकील का बयान

वहीं, इस मामले ने विकराल रूप धारण किया और पूरी घटना आग की तरह देशभर में फैल गई. इसे मॉब लिंचिंग नाम दिया गया. इसके बाद कई दिनों तक इस पर जमकर राजनीति हुई. सत्ता व विपक्ष पक्ष ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप लगाए. पुलिस ने घटनास्थल पर मौजूद लोगों की वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर विपिन यादव, रविंद्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार और भीम राठी को गिरफ्तार किया. इनके अलावा तीन अन्य आरोपी गिरफ्तार किए गए, लेकिन वो बाल अपचारी थे. इसलिए उनका मामला बाल न्यायालय में चल रहा है.

इस मामले में 14 सीट 78 पेज की चार्जशीट 23 फरवरी 2018 को पुलिस द्वारा न्यायालय में दी गई. वहीं, दूसरी चार्जशीट 21 पेज की दी गई थी. सरकारी पक्ष के तरफ से इस मामले में 44 गवाह पेश किए गए. सरकारी वकील योगेंद्र खटाना ने बताया कि इस पूरे मामले में सभी आरोपियों पर हत्या का मुकदमा साबित हो चुका था. जबकि बचाव पक्ष के वकील हुकम चंद शर्मा ने कहा कि पुलिस इस पूरे मामले में सभी आरोपियों को गलत तरह से फंसा रही है.

पढ़ें: पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले में सभी 6 आरोपी सेशन कोर्ट से बरी

हुकम चंद ने आगे कहा कि पुलिस के पास इस मामले में कोई भी गवाह नहीं है. घटनास्थल पर गलत वीडियो के माध्यम से जबरन उन लोगों को फंसाया गया है. जिस युवक ने वीडियो बनाया था वो भी न्यायालय में पेश नहीं हुआ. वहीं, पहलू खान की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, लेकिन पुलिस इस पूरे मामले को दबाती रही. डॉक्टरों ने भी अपनी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की थी.

बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि पर्चा बयान सहित सभी तरह के गवाह उन लोगों को आरोपी नहीं ठहरा रहे थे. जबकि पुलिस गलत तरह से जबरन उनको फंसाने में लगी हुई थी. हुकम चंद शर्मा ने कहा कि इस देश में कुछ लोग जातिवाद की राजनीति कर रहे हैं. वो आपसी भाईचारा बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. न्यायालय के फैसले से ऐसे लोगों को करारा जवाब मिला है.

अलवर. 1 अप्रैल 2017 को दो पिकअप गाड़ियों में गोवंश लेकर जा रहे पहलू खान व उसके साथियों को बहरोड़ में लोगों ने रोका व उनसे गायों के बारे में पूछताछ की. जवाब नहीं देने पर भीड़ ने उनके साथ मारपीट की. इस दौरान पुलिस ने मौके पर पहुंच कर पहलू खान को बहरोड़ के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया, जहां 4 अप्रैल को दिल का दौरा पड़ने से पहलू खान की मौत हो गई.

पहलू खान मॉब लिंचिंग केस में बचाव पक्ष के वकील का बयान

वहीं, इस मामले ने विकराल रूप धारण किया और पूरी घटना आग की तरह देशभर में फैल गई. इसे मॉब लिंचिंग नाम दिया गया. इसके बाद कई दिनों तक इस पर जमकर राजनीति हुई. सत्ता व विपक्ष पक्ष ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप लगाए. पुलिस ने घटनास्थल पर मौजूद लोगों की वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर विपिन यादव, रविंद्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार और भीम राठी को गिरफ्तार किया. इनके अलावा तीन अन्य आरोपी गिरफ्तार किए गए, लेकिन वो बाल अपचारी थे. इसलिए उनका मामला बाल न्यायालय में चल रहा है.

इस मामले में 14 सीट 78 पेज की चार्जशीट 23 फरवरी 2018 को पुलिस द्वारा न्यायालय में दी गई. वहीं, दूसरी चार्जशीट 21 पेज की दी गई थी. सरकारी पक्ष के तरफ से इस मामले में 44 गवाह पेश किए गए. सरकारी वकील योगेंद्र खटाना ने बताया कि इस पूरे मामले में सभी आरोपियों पर हत्या का मुकदमा साबित हो चुका था. जबकि बचाव पक्ष के वकील हुकम चंद शर्मा ने कहा कि पुलिस इस पूरे मामले में सभी आरोपियों को गलत तरह से फंसा रही है.

पढ़ें: पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले में सभी 6 आरोपी सेशन कोर्ट से बरी

हुकम चंद ने आगे कहा कि पुलिस के पास इस मामले में कोई भी गवाह नहीं है. घटनास्थल पर गलत वीडियो के माध्यम से जबरन उन लोगों को फंसाया गया है. जिस युवक ने वीडियो बनाया था वो भी न्यायालय में पेश नहीं हुआ. वहीं, पहलू खान की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, लेकिन पुलिस इस पूरे मामले को दबाती रही. डॉक्टरों ने भी अपनी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की थी.

बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि पर्चा बयान सहित सभी तरह के गवाह उन लोगों को आरोपी नहीं ठहरा रहे थे. जबकि पुलिस गलत तरह से जबरन उनको फंसाने में लगी हुई थी. हुकम चंद शर्मा ने कहा कि इस देश में कुछ लोग जातिवाद की राजनीति कर रहे हैं. वो आपसी भाईचारा बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. न्यायालय के फैसले से ऐसे लोगों को करारा जवाब मिला है.

Intro:अलवर।
अलवर के बहरोड में साल 2017 में गोवंश लेकर जा रहे हैं कुछ लोगों पर भीड़ ने हमला कर दिया। पुलिस ने इस मामले में 9 लोगों को आरोपी बनाया इसमें तीन बाल अपचारी शामिल है। तीनों बालक अपचारियों का मामला बाल न्यायालय में चल रहा है। तो वही छह आरोपियों का मामला अलवर के अपर जिला न्यायालय में चल रहा था। इस मामले में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया है। इस पर आरोपी पक्ष के वकील ने कहा कि सत्य की जीत हुई है। पुलिस बिना किसी गवाहों के निर्दोष लोगों को फंसा रही थी। न्यायालय के इस फैसले से उन लोगों को करारा जवाब मिला है जो देश में जाति और धर्म की राजनीति करते हैं।


Body:1 अप्रैल 2017 को शाम 7 बजे दो पिकअप गाड़ियों में गोवंश लेकर जा रहे पहलू खां व उसके साथियों को बहरोड़ में लोगों ने रोका व उनसे गायों के बारे में पूछताछ की। जवाब नहीं देने पर भीड़ ने उनके साथ मारपीट की। इस दौरान पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पहलू खान को बहरोड़ के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया। जहां 4 अप्रैल को दिल का दौरा पड़ने से पहलू खा की मौत हो गई।

तो वही इस मामले ने विकराल रूप धारण किया। यह पूरी घटना आपकी तरह देश भर में फैल गई। अलवर की देशभर में बदनामी हुई। इसको मॉब लिंचिंग नाम दिया गया। इसके बाद कई दिनों तक इस पर जमकर राजनीति हुई। सत्ता व विपक्ष पक्ष ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप लगाए। पुलिस ने घटनास्थल पर मौजूद लोगों की वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर विपिन यादव उम्र 19, रविंद्र कुमार उम्र 29 साल निवासी जेतपुरा बहरोड़, कालूराम उम्र 44 वर्ष निवासी रतनपुरा बानसूर, दयानंद उम्र 44 साल निवासी रिवाली बहरोड, योगेश कुमार उम्र 30 साल निवासी बिजोरावास बहरोड़ व भीम राठी निवासी काली पहाड़ी ततारपुर को गिरफ्तार किया। इनके अलावा तीन अन्य आरोपी गिरफ्तार किए गए। लेकिन वो बाल अपचारी थे। इसलिए उनका मामला बाल न्यायालय में चल रहा है।


Conclusion:इस मामले में 14 सीट 78 पेज की 23 फरवरी 2018 को पुलिस द्वारा न्यायालय में दर्ज की गई तो वही दूसरी चार्जशीट 21 पेज की दर्ज की गई थी। सरकारी पक्ष की तरफ से इस मामले में 44 गवाह पेश किए गए। सरकारी वकील योगेंद्र खटाना ने बताया कि इस पूरे मामले में सभी आरोपियों पर हत्या का मुकदमा साबित हो चुका था। जबकि बचाव पक्ष के वकील हुकम चंद शर्मा ने कहा कि पुलिस इस पूरे मामले में सभी आरोपियों को गलत तरह से फंसा रही है। पुलिस के पास इस मामले में कोई भी गवाह नहीं है। घटनास्थल पर गलत वीडियो के माध्यम से जबरन उन लोगों को फंसाया गया है। जिस युवक ने वीडियो बनाया था वो भी न्यायालय में पेश नहीं हुआ। तो वही पहलू खान की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। लेकिन पुलिस इस पूरे मामले को दबाती रही। डॉक्टरों ने भी अपनी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की थी।

उन्होंने कहा कि पर्चा बयान सहित सभी तरह के गवाह उनके लोगों को आरोपी नहीं ठहरा रहे थे। जबकि पुलिस गलत तरह से जबरन उनको फंसाने में लगी हुई थी। हुकम चंद शर्मा ने कहा किस देश में कुछ लोग जातिवाद की राजनीति कर रहे हैं। वो आपसी भाईचारा बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। न्यायालय के फैसले से ऐसे लोगों को करारा जवाब मिला है।
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