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अलवरः कोरोना संक्रमित युवक की एंबुलेंस से जयपुर जाते वक्त ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत, परिजनों ने कहा यह मौत नहीं हत्या है

अलवर में ऑक्सीजन की कमी की वजह से एक युवक की मौत हो गई. 35 साल के राहुल को हालत गंभीर होने पर अस्पताल से जयपुर के लिए रेफर किया. रास्ते में ऑक्सीजन खत्म हो गई. जिसके बाद राहुल को दौसा जिला अस्पताल लेकर गए. लेकिन वहां भी समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण राहुल ने दम तोड़ दिया.

ऑक्सीजन की कमी से मौत, Died due to lack of oxygen
मृतक राहुल
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Published : May 23, 2021, 8:22 AM IST

अलवर. शहर के 200 फीट रोड स्थित मंगलम में रहने वाले राहुल उम्र 35 साल कोरोना संक्रमित हुए थे. बीते कई दिनों से राहुल का अलवर के सानिया अस्पताल में इलाज चल रहा था. हालत गंभीर होने पर अस्पताल प्रशासन ने बीती रात राहुल को जयपुर के लिए रेफर किया. रास्ते में दौसा के पास ऑक्सीजन खत्म हो गई. परिजनों के शोर मचाने पर ड्राइवर और नर्सिंग कर्मी एंबुलेंस दौसा जिला अस्पताल लेकर गए. लेकिन वहां भी समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण राहुल ने दम तोड़ दिया. परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग के सिस्टम व अधिकारियों की लापरवाही के चलते हत्या का आरोप लगाया है.

एंबुलेंस से जयपुर जाते वक्त ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत

पढ़ेंः रेमडेसिविर का मनमाना दाम : जयपुर के बड़े अस्पतालों के 12 मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस निलंबित, चौमूं के निजी अस्पताल पर भी कार्रवाई

राहुल मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था. कुछ दिन पहले राहुल कोरोना संक्रमित हुआ. राहुल की एक छोटी बच्ची है. सांस लेने में परेशानी होने पर राहुल को एक सानिया अस्पताल में भर्ती किया गया. लगातार वहां उसका इलाज चल रहा था. कुछ दिनों बाद राहुल की हालत खराब होने लगी. अस्पताल प्रशासन ने पहले तो वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं होने की बात कही. लेकिन बाद में परिजनों द्वारा पैसे की व्यवस्था करने की बात कहने पर अस्पताल प्रशासन ने वेंटिलेटर पर राहुल को भर्ती किया. तीन से 4 दिन तक राहुल का वेंटिलेटर पर इलाज चला. शुक्रवार रात अस्पताल प्रशासन ने कहा कि राहुल की हालत गंभीर है. उसे हायर सेंटर के लिए रेफर किया जाएगा. सानिया अस्पताल में एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं थी. ऐसे में परिजनों ने अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल से एंबुलेंस की व्यवस्था की शहर विधायक संजय शर्मा द्वारा मल्टी स्पेशलिटी एंबुलेंस अस्पताल को दी थी. उसी एंबुलेंस में राहुल को जयपुर के लिए रेफर किया गया. सामान्य अस्पताल की तरफ से एक नर्सिंग स्टाफ भेजा गया.

परिजनों ने बताया कि 19 रुपए 50 पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से उन्होंने एंबुलेंस को बुक किया. तय गाइडलाइन के अनुसार एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर सभी जरूरी दवाइयां इंजेक्शन सहित सभी सुविधाएं होनी चाहिए. रात 11 बजकर 15 पर सानिया हॉस्पिटल से एंबुलेंस राहुल को लेकर जयपुर के लिए रवाना हुई राहुल के पास उसके परिजन बैठे हुए थे. जबकि नर्सिंग कर्मी ड्राइवर के पास केबिन में बैठा हुआ था. परिजनों ने कई बार नर्सिंग कर्मी को राहुल के पास बैठने के लिए कहा लेकिन वो नहीं माना.

पढ़ेंः ब्लैक फंगस के लक्षणों की पहचान के लिए घर-घर होगा सर्वे- स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा

दौसा से 3 किलोमीटर पहले अचानक ऑक्सीजन समाप्त हो गई. वेंटिलेटर से बिप की आवाज आने लगी. कुछ देर बाद परिजनों ने शोर मचाते हुए ड्राइवर नर्सिंग कर्मी को इसकी जानकारी दी. इस पर नर्सिंग कर्मी ने कहा कि ऑक्सीजन समाप्त हो गया है. ड्राइवर तुरंत एंबुलेंस को दौसा के जिला अस्पताल में लेकर गया. रात के समय ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने राहुल को चेक किया. वहां मौजूद स्टाफ से तुरंत ऑक्सीजन लगाने के लिए कहां. लेकिन वहां मौजूद ज्यादातर सिलेंडर खाली थे. किसी में आधा किलो तो किसी में 1 किलो गैस बची हुई थी. कई बार परिजनों के विनती करने के बाद भी नर्सिंग स्टाफ ने सिलेंडर उपलब्ध नहीं कराया.

इसके बाद डॉक्टर के कहने पर भरा हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर राहुल को दिया गया. इस दौरान कई बार ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने और हटाने की प्रक्रिया होती रही. इसी बीच राहुल ने दम तोड़ दिया. परिजनों ने जमकर हंगामा किया और नर्सिंग स्टाफ व स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया. राहुल के चाचा मनोज शर्मा ने कहा राहुल की मौत नहीं हत्या हुई है. सरकारी सिस्टम के चलते राहुल की जान गई है. जब उन्होंने जयपुर के लिए सभी सुविधाएं वाली एंबुलेंस बुक की थी. तो उनको ऐसी एंबुलेंस क्यों दी गई. जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं था. एंबुलेंस के ड्राइवर व नर्सिंग स्टाफ ने कहा कि वह भरा हुआ सिलेंडर लेकर आए हैं. तो आखिर ऑक्सीजन कहा गई. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को यह पता होना चाहिए कि जयपुर तक कितने सिलेंडर में ऑक्सीजन की आवश्यकता है. जानबुझकर लापरवाही बरती गई. इसलिए रास्ते में ऑक्सीजन समाप्त हो गई और राहुल की जान चली गई.

पढ़ेंः Ground Report : जयपुर के SMS अस्पताल के बाहर 'लापरवाही का संक्रमण'...बायो मेडिकल वेस्ट का लगा ढेर

परिजनों ने कहा राहुल की पत्नी है और एक छोटी बेटी भी है. परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है. ऐसे में पूरे परिवार का खर्च और जीवन यापन कैसे होगा. परिजनों ने कहा कि वो लोग स्वास्थ्य विभाग, सिस्टम और अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराएंगे. इस घटना के बाद से लगातार परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है.

निजी हॉस्पिटल ने लिए लाखों रुपए

परिजनों ने बताया कि निजी अस्पताल में इलाज के लिए दो लाख रुपए से अधिक का बिल बनाया. लेकिन उसके बाद भी राहुल नहीं बचा. निजी अस्पताल केवल पैसे बनाने में लगे हुए थे. उनका मरीज पर कोई ध्यान नहीं था. शुरुआत में उन्होंने कहा कि वेंटिलेटर नहीं है. लेकिन जब परिजनों ने पैसे की व्यवस्था करने की बात कही तो उन्होंने तुरंत वेंटिलेटर उपलब्ध करा दिया. साथ ही वो लोग केवल इलाज के नाम पर खानापूर्ति कर रहे थे. जब हालत ज्यादा गंभीर हुई तो उन्होंने हायर सेंटर रेफर करने की बात कही. ऐसे में प्रशासन को निजी अस्पताल के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए. लगातार निजी अस्पताल मरीज के परिजनों से लाखों रुपए ले रहे हैं मोटे बिल बना रही है. लेकिन उसके बाद भी मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल रहा है.

जिला कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश

मामले की जानकारी मिलते ही जिला कलेक्टर ने प्रमुख चिकित्सा अधिकारी से इस मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है. वहीं, राजीव गांधी सामान्य अस्पताल की तरफ से इस मामले में तीन डॉक्टरों की एक कमेटी बनाई गई है. जो इस पूरे मामले की जांच पड़ताल करेगी. इस पूरे मामले में सानिया हॉस्पिटल की लापरवाही का मामला सामने आ रहा है. उसने ऑक्सीजन की डिमांड की कोई जानकारी नहीं दी.

अलवर. शहर के 200 फीट रोड स्थित मंगलम में रहने वाले राहुल उम्र 35 साल कोरोना संक्रमित हुए थे. बीते कई दिनों से राहुल का अलवर के सानिया अस्पताल में इलाज चल रहा था. हालत गंभीर होने पर अस्पताल प्रशासन ने बीती रात राहुल को जयपुर के लिए रेफर किया. रास्ते में दौसा के पास ऑक्सीजन खत्म हो गई. परिजनों के शोर मचाने पर ड्राइवर और नर्सिंग कर्मी एंबुलेंस दौसा जिला अस्पताल लेकर गए. लेकिन वहां भी समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण राहुल ने दम तोड़ दिया. परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग के सिस्टम व अधिकारियों की लापरवाही के चलते हत्या का आरोप लगाया है.

एंबुलेंस से जयपुर जाते वक्त ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत

पढ़ेंः रेमडेसिविर का मनमाना दाम : जयपुर के बड़े अस्पतालों के 12 मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस निलंबित, चौमूं के निजी अस्पताल पर भी कार्रवाई

राहुल मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था. कुछ दिन पहले राहुल कोरोना संक्रमित हुआ. राहुल की एक छोटी बच्ची है. सांस लेने में परेशानी होने पर राहुल को एक सानिया अस्पताल में भर्ती किया गया. लगातार वहां उसका इलाज चल रहा था. कुछ दिनों बाद राहुल की हालत खराब होने लगी. अस्पताल प्रशासन ने पहले तो वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं होने की बात कही. लेकिन बाद में परिजनों द्वारा पैसे की व्यवस्था करने की बात कहने पर अस्पताल प्रशासन ने वेंटिलेटर पर राहुल को भर्ती किया. तीन से 4 दिन तक राहुल का वेंटिलेटर पर इलाज चला. शुक्रवार रात अस्पताल प्रशासन ने कहा कि राहुल की हालत गंभीर है. उसे हायर सेंटर के लिए रेफर किया जाएगा. सानिया अस्पताल में एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं थी. ऐसे में परिजनों ने अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल से एंबुलेंस की व्यवस्था की शहर विधायक संजय शर्मा द्वारा मल्टी स्पेशलिटी एंबुलेंस अस्पताल को दी थी. उसी एंबुलेंस में राहुल को जयपुर के लिए रेफर किया गया. सामान्य अस्पताल की तरफ से एक नर्सिंग स्टाफ भेजा गया.

परिजनों ने बताया कि 19 रुपए 50 पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से उन्होंने एंबुलेंस को बुक किया. तय गाइडलाइन के अनुसार एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर सभी जरूरी दवाइयां इंजेक्शन सहित सभी सुविधाएं होनी चाहिए. रात 11 बजकर 15 पर सानिया हॉस्पिटल से एंबुलेंस राहुल को लेकर जयपुर के लिए रवाना हुई राहुल के पास उसके परिजन बैठे हुए थे. जबकि नर्सिंग कर्मी ड्राइवर के पास केबिन में बैठा हुआ था. परिजनों ने कई बार नर्सिंग कर्मी को राहुल के पास बैठने के लिए कहा लेकिन वो नहीं माना.

पढ़ेंः ब्लैक फंगस के लक्षणों की पहचान के लिए घर-घर होगा सर्वे- स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा

दौसा से 3 किलोमीटर पहले अचानक ऑक्सीजन समाप्त हो गई. वेंटिलेटर से बिप की आवाज आने लगी. कुछ देर बाद परिजनों ने शोर मचाते हुए ड्राइवर नर्सिंग कर्मी को इसकी जानकारी दी. इस पर नर्सिंग कर्मी ने कहा कि ऑक्सीजन समाप्त हो गया है. ड्राइवर तुरंत एंबुलेंस को दौसा के जिला अस्पताल में लेकर गया. रात के समय ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने राहुल को चेक किया. वहां मौजूद स्टाफ से तुरंत ऑक्सीजन लगाने के लिए कहां. लेकिन वहां मौजूद ज्यादातर सिलेंडर खाली थे. किसी में आधा किलो तो किसी में 1 किलो गैस बची हुई थी. कई बार परिजनों के विनती करने के बाद भी नर्सिंग स्टाफ ने सिलेंडर उपलब्ध नहीं कराया.

इसके बाद डॉक्टर के कहने पर भरा हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर राहुल को दिया गया. इस दौरान कई बार ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने और हटाने की प्रक्रिया होती रही. इसी बीच राहुल ने दम तोड़ दिया. परिजनों ने जमकर हंगामा किया और नर्सिंग स्टाफ व स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया. राहुल के चाचा मनोज शर्मा ने कहा राहुल की मौत नहीं हत्या हुई है. सरकारी सिस्टम के चलते राहुल की जान गई है. जब उन्होंने जयपुर के लिए सभी सुविधाएं वाली एंबुलेंस बुक की थी. तो उनको ऐसी एंबुलेंस क्यों दी गई. जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं था. एंबुलेंस के ड्राइवर व नर्सिंग स्टाफ ने कहा कि वह भरा हुआ सिलेंडर लेकर आए हैं. तो आखिर ऑक्सीजन कहा गई. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को यह पता होना चाहिए कि जयपुर तक कितने सिलेंडर में ऑक्सीजन की आवश्यकता है. जानबुझकर लापरवाही बरती गई. इसलिए रास्ते में ऑक्सीजन समाप्त हो गई और राहुल की जान चली गई.

पढ़ेंः Ground Report : जयपुर के SMS अस्पताल के बाहर 'लापरवाही का संक्रमण'...बायो मेडिकल वेस्ट का लगा ढेर

परिजनों ने कहा राहुल की पत्नी है और एक छोटी बेटी भी है. परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है. ऐसे में पूरे परिवार का खर्च और जीवन यापन कैसे होगा. परिजनों ने कहा कि वो लोग स्वास्थ्य विभाग, सिस्टम और अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराएंगे. इस घटना के बाद से लगातार परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है.

निजी हॉस्पिटल ने लिए लाखों रुपए

परिजनों ने बताया कि निजी अस्पताल में इलाज के लिए दो लाख रुपए से अधिक का बिल बनाया. लेकिन उसके बाद भी राहुल नहीं बचा. निजी अस्पताल केवल पैसे बनाने में लगे हुए थे. उनका मरीज पर कोई ध्यान नहीं था. शुरुआत में उन्होंने कहा कि वेंटिलेटर नहीं है. लेकिन जब परिजनों ने पैसे की व्यवस्था करने की बात कही तो उन्होंने तुरंत वेंटिलेटर उपलब्ध करा दिया. साथ ही वो लोग केवल इलाज के नाम पर खानापूर्ति कर रहे थे. जब हालत ज्यादा गंभीर हुई तो उन्होंने हायर सेंटर रेफर करने की बात कही. ऐसे में प्रशासन को निजी अस्पताल के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए. लगातार निजी अस्पताल मरीज के परिजनों से लाखों रुपए ले रहे हैं मोटे बिल बना रही है. लेकिन उसके बाद भी मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल रहा है.

जिला कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश

मामले की जानकारी मिलते ही जिला कलेक्टर ने प्रमुख चिकित्सा अधिकारी से इस मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है. वहीं, राजीव गांधी सामान्य अस्पताल की तरफ से इस मामले में तीन डॉक्टरों की एक कमेटी बनाई गई है. जो इस पूरे मामले की जांच पड़ताल करेगी. इस पूरे मामले में सानिया हॉस्पिटल की लापरवाही का मामला सामने आ रहा है. उसने ऑक्सीजन की डिमांड की कोई जानकारी नहीं दी.

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