अलवर. परिवाद पेश करने वाले वकील जीतेंद्र शर्मा ने बताया कि अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संख्या एक के समक्ष पहलू खान मॉब लिंचिंग प्रकरण में माननीय न्यायालय ने 14 अगस्त 2019 को फैसला सुनाया था. जिसमें अपराधियों को बरी कर दिया था. इसलिए इस प्रकरण में हिंदू और मुस्लिमों की भावनाएं जुड़ी हुई थीं. उक्त मामले में न्यायालय ने निर्णय पारित कर दिया था.
जीतेंद्र शर्मा ने कहा कि ऐसी स्थिति में न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया जाना था तथा कोई पक्ष न्यायालय के निर्णय से असंतुष्ट था तो उसके पास कानून सम्मत अपील का अधिकार मौजूद है. लेकिन अभियोक्ता प्रियंका गांधी के द्वारा न्यायालय के फैसले के विरुद्ध अमर्यादित टिप्पणी की गई. अभियुक्त कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव के पद पर नियुक्त हैं, जिनके किसी भी बयान से जन भावना आंदोलित हो सकती है. लेकिन अभियुक्तों द्वारा न्यायालय के फैसले को अनुचित करते हुए न्यायालय की गरिमा का सम्मान नहीं किया और जन भावनाएं अधिकृत करते हुए देश को धर्म युद्ध एवं जातिवाद की ओर धकेलने का प्रयास कर अपनी राजनीति चमकाने का कुशल प्रयास किया गया.
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उन्होंने कहा कि अभियुक्तों द्वारा विभिन्न समाचार पत्रों में बयान दिए गए एवं ट्विटर पर भी इससे के ट्वीट किए गए. विभिन्न चैनलों पर अपने बयान दिए गए. ऐसे में अभियुक्त द्वारा कोर्ट की अवमानना की गई है एवं भारतीय न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाया है उन्होंने ट्वीट किया जिसमें लिखा था, 'पहलू खान मामले में लोअर कोर्ट का फैसला चौंका देने वाला है, हमारे देश में मान्यता की कोई जगह नहीं होनी चाहिए और भीड़ द्वारा हत्या एक जघन्य अपराध है'. इस ट्वीट को 1021 लोगों ने लाइक किया और 2141 लोगों ने शेयर किया और 9053 लोगों ने पसंद किया, जिससे स्पष्ट है कि इससे जन भावनाएं आक्रोषित हुई हैं और इस ट्वीट से लोगों के मध्य वैमनस्य फैला है. हिंदू-मुस्लिम धर्म की भावनाओं को भड़काने का काम किया है.
परिवादी ने कहा कि अभियुक्त का यह अक्षम्य अपराध है और भारतीय दंड संहिता की धारा 153 और 504 के तहत दंडनीय अपराध है. जिसकी सजा पाने को अभियुक्त अधिकारी है. इस मामले की सुनवाई की जाए और परिवादी और नुस्खे गवाहों के बयान दर्ज कर कार्रवाई की जाए. इस मामले में जितेंद्र शर्मा ने कहा कि आज कोर्ट में सुनवाई होगी और उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट न्याय करेगा.