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कोरोना काल में निजी हॉस्पिटल भय पैदा कर लोगों को मारने का ना करें प्रयास, करे हौसला अफजाई- कलेक्टर - अलवर कलेक्टर ने निजी हॉस्पिटल संचालकों से की अपील

अलवर में कोरोना महामारी के इस दौर में प्राइवेट अस्पताल लगातार अपनी मनमानी कर रहे है. जिसके देखते हुए कलेक्टर ने कहा कि भय पैदा करके लोगों को मारने का प्रयास ना करें. यह महामारी का समय है. इस दौर में मरीज और उनके परिजनों का हौसला अफजाई करें.

अलवर कलेक्टर ने निजी हॉस्पिटल संचालकों से की अपील, Private hospital arbitrary in the Corona era
अलवर कलेक्टर ने निजी हॉस्पिटल संचालकों से की अपील
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Published : May 11, 2021, 7:15 AM IST

अलवर. शहर में बीते कुछ दिनों से ऑक्सीजन की कमी महसूस हो रही है. ऐसे में निजी अस्पताल मरीजों का इलाज नहीं करने की धमकी दे रहे हैं. दो निजी अस्पताल तो ऑक्सीजन की कमी का बहाना बनाते हुए मरीजों का इलाज बंद कर चुके हैं. ऐसे में कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया ने निजी हॉस्पिटल संचालकों से कहा कि भय पैदा करके लोगों को मारने का प्रयास ना करें. मेरा डॉक्टरों से निवेदन है कि भय पैदा नहीं करें. भय से मरीजों को नुकसान होता है, उनकी जान भी जा सकती है. यह महामारी का समय है. इस दौर में मरीज और उनके परिजनों का हौसला अफजाई करें. सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है.

अलवर कलेक्टर ने निजी हॉस्पिटल संचालकों से की अपील

उन्होंने कहा कि कुछ अस्पताल ऑक्सीजन नहीं मिलने के बोर्ड लगा कर भय का माहौल बना रहे हैं, जिससे मरीज कमजोर होते हैं. पैनिक से मरीज की जान जा सकती है. संकट के समय में ऑक्सीजन मांगने पर प्रशासन की तरफ से ऑक्सीजन दी जाती है. अस्पतालों की मांग के अनुसार नियमित रूप से ऑक्सीजन दे रहे हैं. कुछ अस्पताल संचालकों में इगो है, वो खुद बात नहीं करते हैं, उनको हमारे एडीएम या अन्यअधिकारियों से बात करनी चाहिए.

पढ़ें- आसाराम ने HC से मांगी दो महीने की अंतरिम जमानत, 13 मई को होगी सुनवाई

जब कलेक्टर महामारी में रोड पर है तो सबको सहयोग करने की जरूरत है. जिले में एक-दो अस्पताल ही ऐसे हैं, जिनसे कहना पड़ रहा है कि ऑक्सीजन का पूरा उपयोग करें. मरीज का हौसला नहीं तोड़ें, नहीं तो मरीज का घर बर्बाद हो जाएगा. निजी अस्पतालों को इलाज की रेट लिस्ट लगानी होगी. सरकार की तरफ से प्रत्येक इलाज का पैकेट निर्धारित किया गया है, उसी अनुसार उनको मरीजों से पैसा लेना होगा.

जिला कलेक्टर ने निजी अस्पतालों को कड़े शब्दों में कहा कि सरकार की तरफ से इलाज के पैसे निर्धारित हैं. सरकार के अनुसार निर्धारित पैकेज के अनुसार ही मरीज का इलाज करें, लगातार शिकायतें मिल रही हैं. कुछ अस्पताल मनमानी कर रहे हैं. बिना प्रशासन को जानकारी दिए मरीजों को भर्ती करते हैं. बेड के खाली होने की जानकारी भी समय पर नहीं दे रहे हैं.

निजी अस्पताल में इमरजेंसी में मरीज को भर्ती करना होगा. इमरजेंसी के लिए और ऑक्सीजन की जरूरत है तो दी जाएगी. हाल में सरकार ने 300 सिलेण्डर और बढ़ाए हैं. जिससे हमें राहत मिली है. जिन अस्पतालों में इमरजेंसी की सुविधा हैं, उनको मरीज भर्ती करने पड़ेंगे. कोई समस्या है तो हमें अवगत कराएं. जिला प्रशासन की तरफ से सभी को समान रुप से जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन दी जा रही है. लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में मरीजों की संख्या के अनुसार ऑक्सीजन कम पड़ रही है.

पढ़ें- Lockdown Reality Check: राजस्थान बॉर्डर पर कहीं सख्ती तो कहीं नियमों की अनदेखी

उन्होंने एक निजी अस्पताल का नाम देते हुए कहा कि निरीक्षण के दौरान अस्पताल में मरीजों को उल्टा लेटा कर सांस लेने की प्रक्रिया सिखाई जा रही थी. साथ ही ऑक्सीजन भी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल हो रही थी. उन्होंने निजी अस्पतालों को चेतावनी देते हुए कहा कि निजी अस्पताल ऑक्सीजन भी प्रशासन से ले रहे हैं. क्षमता से अधिक मरीजों को भी भर्ती कर रहे हैं और अपने यहां मरीजों को भर्ती नहीं करने का बोर्ड भी लगा रहे हैं. यह समय मरीज व उसके परिजनों को हिम्मत देने को सांत्वना देने का है.

अलवर. शहर में बीते कुछ दिनों से ऑक्सीजन की कमी महसूस हो रही है. ऐसे में निजी अस्पताल मरीजों का इलाज नहीं करने की धमकी दे रहे हैं. दो निजी अस्पताल तो ऑक्सीजन की कमी का बहाना बनाते हुए मरीजों का इलाज बंद कर चुके हैं. ऐसे में कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया ने निजी हॉस्पिटल संचालकों से कहा कि भय पैदा करके लोगों को मारने का प्रयास ना करें. मेरा डॉक्टरों से निवेदन है कि भय पैदा नहीं करें. भय से मरीजों को नुकसान होता है, उनकी जान भी जा सकती है. यह महामारी का समय है. इस दौर में मरीज और उनके परिजनों का हौसला अफजाई करें. सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है.

अलवर कलेक्टर ने निजी हॉस्पिटल संचालकों से की अपील

उन्होंने कहा कि कुछ अस्पताल ऑक्सीजन नहीं मिलने के बोर्ड लगा कर भय का माहौल बना रहे हैं, जिससे मरीज कमजोर होते हैं. पैनिक से मरीज की जान जा सकती है. संकट के समय में ऑक्सीजन मांगने पर प्रशासन की तरफ से ऑक्सीजन दी जाती है. अस्पतालों की मांग के अनुसार नियमित रूप से ऑक्सीजन दे रहे हैं. कुछ अस्पताल संचालकों में इगो है, वो खुद बात नहीं करते हैं, उनको हमारे एडीएम या अन्यअधिकारियों से बात करनी चाहिए.

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जब कलेक्टर महामारी में रोड पर है तो सबको सहयोग करने की जरूरत है. जिले में एक-दो अस्पताल ही ऐसे हैं, जिनसे कहना पड़ रहा है कि ऑक्सीजन का पूरा उपयोग करें. मरीज का हौसला नहीं तोड़ें, नहीं तो मरीज का घर बर्बाद हो जाएगा. निजी अस्पतालों को इलाज की रेट लिस्ट लगानी होगी. सरकार की तरफ से प्रत्येक इलाज का पैकेट निर्धारित किया गया है, उसी अनुसार उनको मरीजों से पैसा लेना होगा.

जिला कलेक्टर ने निजी अस्पतालों को कड़े शब्दों में कहा कि सरकार की तरफ से इलाज के पैसे निर्धारित हैं. सरकार के अनुसार निर्धारित पैकेज के अनुसार ही मरीज का इलाज करें, लगातार शिकायतें मिल रही हैं. कुछ अस्पताल मनमानी कर रहे हैं. बिना प्रशासन को जानकारी दिए मरीजों को भर्ती करते हैं. बेड के खाली होने की जानकारी भी समय पर नहीं दे रहे हैं.

निजी अस्पताल में इमरजेंसी में मरीज को भर्ती करना होगा. इमरजेंसी के लिए और ऑक्सीजन की जरूरत है तो दी जाएगी. हाल में सरकार ने 300 सिलेण्डर और बढ़ाए हैं. जिससे हमें राहत मिली है. जिन अस्पतालों में इमरजेंसी की सुविधा हैं, उनको मरीज भर्ती करने पड़ेंगे. कोई समस्या है तो हमें अवगत कराएं. जिला प्रशासन की तरफ से सभी को समान रुप से जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन दी जा रही है. लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में मरीजों की संख्या के अनुसार ऑक्सीजन कम पड़ रही है.

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उन्होंने एक निजी अस्पताल का नाम देते हुए कहा कि निरीक्षण के दौरान अस्पताल में मरीजों को उल्टा लेटा कर सांस लेने की प्रक्रिया सिखाई जा रही थी. साथ ही ऑक्सीजन भी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल हो रही थी. उन्होंने निजी अस्पतालों को चेतावनी देते हुए कहा कि निजी अस्पताल ऑक्सीजन भी प्रशासन से ले रहे हैं. क्षमता से अधिक मरीजों को भी भर्ती कर रहे हैं और अपने यहां मरीजों को भर्ती नहीं करने का बोर्ड भी लगा रहे हैं. यह समय मरीज व उसके परिजनों को हिम्मत देने को सांत्वना देने का है.

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