अलवर. अलवर जिला शुरुआत से शरणार्थियों के लिए पहली पसंद रहा है. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान बड़ी संख्या में सिंध प्रांत के लोग यहां आकर बसे थे. इसके अलावा पाकिस्तान के विभिन्न शहरों से शेख पंजाबी सिंधी समाज के लोग अलवर के खैरथल, रामगढ़ व अलवर शहर सहित जिले भर में ऐसे लोग बसे हुए हैं.
हाल ही में भी बड़ी संख्या में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाई लोग जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश व पाकिस्तान में रहते थे, लेकिन वहां के अत्याचारों से परेशान होकर भारत आए थे. उन लोगों को भारत की नागरिकता देने के लिए 11 दिसंबर को अलवर के कलेक्ट्रेट में एक शिविर का आयोजन होगा. नागरिकता अधिनियम 1955 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत जो व्यक्ति पात्र पाया जाएगा, उसको भारत की नागरिकता दी जाएगी.
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जिला कलेक्टर इंद्रजीत सिंह ने बताया कि नागरिकता के लिए पात्र व्यक्ति को ऑनलाइन आवेदन करना होगा. उसके बाद आवेदन पत्र की हार्ड कॉपी में मूल दस्तावेज शिविर में प्रस्तुत होकर देने होंगे. इसके अलावा आवेदन कर्ता को 500 रुपए का आवेदन शुल्क एसबीआई की किसी भी शाखा में जमा कर उसकी रसीद भी अपने फार्म के साथ देनी होगी. देश के संविधान के हिसाब से धारा व नियमों को ध्यान में रखते हुए जो व्यक्ति पात्र पाया जाएगा, उसको भारतीय नागरिकता दी जाएगी.