अलवर. अलवर के बारह बीयर बांध से बारिश के समय चलने वाली रुपारेल नदी के पानी का बड़ा हिस्सा भरतपुर जाता है. अलवर शहर विधायक संजय शर्मा की शिकायत है कि ऐसे में अलवर के बांध सूख गए हैं. उन तक पानी नहीं पहुंच पाता है और बांध के आसपास अतिक्रमण बढ़ रहा है. नाराजगी अवैध निर्माण को लेकर भी है. यही वजह है कि बारह बीयर का पानी अलवर में ही रोकने की मांग को लेकर शर्मा मंगलवार (14 जून 2022) को बारह बीयर बांध के गेट (Protest On Beer Dam) के पास पानी में धरने पर बैठ (Alwar MLA Unique Protest) गए. उनका साथ देने के लिए भाजपा नेता भी मौजूद रहे.
उनका कहना है कि जब तक इस बांध में गेट नहीं लगाया जाएगा उनका धरना जारी (MLA Protest into water for Water) रहेगा. आरोप है कि विधानसभा में मंत्री ने बांध गेट लगाने की बात कही थी लेकिन उसके बाद सिंचाई विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. वहीं मंगलवार देर रात प्रशासन की ओर से मांग पूरी किए जाने के आश्वासन के बाद धरना समाप्त कर दिया गया.
रियासत काल में ही अलवर की बियर नदी से बारिश के समय में रूपारेल नदी का तीन चौथाई पानी भरतपुर व एक तिहाई पानी अलवर में रखने का फैसला हुआ था. उसके बाद से बारिश के समय में नदी का ज्यादातर पानी भरतपुर चला जाता है. जबकि अलवर के बांध सूखे रहते हैं. बारह बीयर से पानी अलवर के जयसमंद बांध में आता है सालों से यह बांध सूखा है. पूरा बांध नहीं भरने के कारण आसपास क्षेत्र में जलस्तर भी गिर रहा है. लंबे समय से बारह बीयर से निकलने वाला पानी अलवर में रोकने की मांग उठ रही है. इसको लेकर कई बार प्रदर्शन हो चुके हैं लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हुआ. हर साल बारिश के समय पानी रोकने को लेकर बात होती है और यह मुद्दा उठता है लेकिन पुराने काल में हुए फैसले को आधार बनाकर मामला शांत करा दिया जाता है.
बीते दिनों शहर विधायक संजय शर्मा ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया और पानी रोकने के लिए गेट लगाने की मांग की. उस समय मंत्री ने कहा था की गेट लगाए जाएंगे और पानी अलवर में ही रोका जाएगा लेकिन उसके बाद भी सिंचाई विभाग की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया.ऐसे में शहर विधायक संजय शर्मा अपने समर्थकों के साथ नटनी का बारां के पास पानी में मंगलवार सुबह धरने पर बैठ गए. विधायक संजय शर्मा ने कहा कि स्टेट समय में भरतपुर में पानी की कमी थी इसलिए भरतपुर को पानी दिया गया लेकिन आज भरतपुर में चंबल का पानी सप्लाई हो रहा है. पानी की कमी नहीं है. वहीं, अलवर में पानी की कमी हो रही है (Water Scarcity In Alwar) सभी बांध सूखे हुए हैं, लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है.
अलवर की लाइफ लाइन जयसमंद बांध है. अगर जयसमंद बांध पूरा भरता है तो आसपास क्षेत्र में जल स्तर बेहतर होगा. इसके साथ ही जयसमंद के निचले हिस्से में जलदाय विभाग की बोरिंग में भी बेहतर पानी आएगा. यह पानी पूरे शहर को सप्लाई होता है इसलिए इस बांध का भरना जरूरी है. उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग की तरफ से भरतपुर जाने वाले पानी को रोकना चाहिए. उस पानी को जयसमंद अलवर के अन्य बांधों में स्टोर करना चाहिए जिससे लोगों को पीने के लिए पानी मिल सके, अलवर में किसानों को राहत मिल सके. पानी की कमी के चलते किसान भी परेशान हैं व उनकी खेती प्रभावित हो रही है. शर्मा ने कहा कि जब तक इस मुद्दे पर कोई सख्त कदम नहीं उठाए जाएंगे उनका धरना जारी रहेगा.
विधायक संजय शर्मा ने बताया कि प्रशासन की ओर से नटनी का बारा में गेट लगाने और पाइप लगाने की मांग को मान लिया गया है. इसके लिए उनकी ओर से 4 लाख 70 हजार रुपए विधायक कोष से जारी करने की अनुशंसा जिला कलेक्टर को भेज दी गई है. विधायक संजय शर्मा से बातचीत करने नटनी का बारा में धरना स्थल पर दिन में sdm प्यारेलाल सोंठवाल पहुंचे. विधायक से वार्ता के लिए पानी में SDM को भी उतरना पड़ा. विधायक ने विधानसभा में मंत्री के गेट लगाने की घोषणा पूरी करने की मांग रखी. अलवर sdm और सिंचाई विभाग के XEN राजेश वर्मा ने उनकी मांग को पूरा करने के लिए अधिकारियो ने गेट के लिए फंड की कमी बताई. इस पर विधायक ने 4 लाख रूपये गेट लगाने और 70 हजार DPR बनाने के लिए की अनुशंसा कर दी.
संजय शर्मा ने विधायक निधि से अनुशंसा का पत्र जिला कलेक्ट्रर को भेज दिया, लेकिन रात 10 बजे बाद प्रशासन से आखरी दौर की वार्ता में प्रशासन की ओर से 7 दिन का समय मांगा और इस दौरान डीपीआर जारी करने और काम शुरू करने का आश्वासन दिया. उसके बाद विधायक धरने से उठ गए और अपने समर्थकों के साथ वापस अलवर आ गए. भाजपा विधायक और नेताओं का यह धरना पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया. अनोखे अंदाज में भाजपा नेताओं ने अपनी बात रखी तो प्रशासन को भी उनकी मांग माननी पड़ी. अलवर में सबसे बड़ी समस्या पानी की है. इसके लिए प्रशासन को पानी के इंतजाम करने होंगे नही तो आगामी दिनों में लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा. ऐसे में संस्थाएं भी आगे आकर बारिश का पानी स्टोर करने व भूमिगत जल स्तर बढ़ाने को लेकर काम कर रहीं हैं.