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सरकारी अस्पताल के डॉक्टर हुए लामबंद, FIR से प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और दूसरे नर्सिंगकर्मियों के नाम हटाने की मांग

अलवर के सरकारी डॉक्टरों ने कोरोना संक्रमित इंजीनियर राहुल शर्मा की मौत मामले में दर्ज एफआईआर से प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और दूसरे नर्सिंगकर्मियों के नाम हटाने की मांग की. डॉक्टरों का कहना है कि पुलिस ने निजी अस्पताल और संचालक का नाम एफआईआर से हटा दिया. जबकि वहीं मौत के लिए जिम्मेदार हैं.

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सरकारी अस्पताल के डॉक्टर हुए लामबंद, FIR से प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और दूसरे नर्सिंगकर्मियों के नाम हटाने की मांग
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Published : Jun 4, 2021, 6:49 PM IST

अलवर. अलवर से जयपुर जाते समय एंबुलेंस में कोरोना पॉजिटिव राहुल शर्मा की मौत मामले में परिजनों ने प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, सानिया अस्पताल सहित अन्य नर्सिंग कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. पुलिस ने इस मामले में निजी अस्पताल के डॉक्टर और अस्पताल का नाम हटा दिया है. जबकि प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सहित अन्य चार कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

पढ़ें: कोरोना संक्रमित इंजीनियर की मौत मामले में केस दर्ज, परिजनों का पुलिस पर निजी अस्पताल के संचालक का नाम एफआईआर से हटाने का आरोप

सरकारी अस्पताल के डॉक्टर इस एफआईआर का विरोध कर रहे हैं. डॉक्टरों ने आईएमए हॉल में एक बैठक बुलाई और कहा कि प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और दूसरे नर्सिंग कर्मियों का नाम एफआईआर से हटाया जाए. डॉक्टरों ने कहा कि मानवता के नाते प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ने निजी अस्पताल में भर्ती मरीज को एंबुलेंस उपलब्ध कराई थी. इस मामले से प्रमुख चिकित्सा अधिकारी का कोई संबंध नहीं है. जबकि पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी निजी अस्पताल के संचालक का नाम हटा दिया है.

FIR से प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और दूसरे नर्सिंगकर्मियों के नाम हटाने की मांग

डॉक्टरों को कहना है कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन के दो सिलेंडर रखे थे. दोनों सिलेंडर भरे हुए थे. मामले में पुलिस ने निजी अस्पताल और उसके संचालक डॉक्टर का नाम हटा दिया. जबकि इस मामले में मुख्य आरोपी निजी अस्पताल ही है. उनकी लापरवाही के चलते ही राहुल की जान गई है. डॉक्टरों ने कहा कि अगर प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और दूसरे नर्सिंग कर्मियों के नाम एफआईआर से नहीं हटाए गए तो वो अपना विरोध दर्ज कराएंगे. डॉक्टरों ने पुलिस पर भी दबाव में काम करने और मिलीभगत का आरोप लगाया है.

क्या है पूरा मामला

अलवर के सानिया अस्पताल में कोरोना संक्रमित इंजीनियर राहुल शर्मा का इलाज चल रहा था. हालत खराब होने पर अस्पताल में राहुल को जयपुर के लिए रेफर किया. लेकिन अस्पताल में एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं थी. इसलिए परिजनों ने राजीव गांधी सामान्य अस्पताल से ऑक्सीजन सपोर्ट वाली एंबुलेंस के वेंटिलेटर पर राहुल को जयपुर रेफर किया. लेकिन दौसा के पास अचानक ऑक्सीजन खत्म हो गई. परिजन राहुल को दौसा के अस्पताल में लेकर गए. लेकिन समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण राहुल ने दम तोड़ दिया.

परिजनों ने इस मामले में सानिया अस्पताल व प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. जिला कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए हैं. मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने पर परेशान परिजनों ने 12 दिन बाद सानिया अस्पताल उसके डॉक्टर, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, एंबुलेंस ड्राइवर, नर्सिंग स्टाफ और एक अन्य के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. लेकिन इस मामले में सानिया अस्पताल के संचालक का नाम हटा दिया गया. प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सहित चार कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.

अलवर. अलवर से जयपुर जाते समय एंबुलेंस में कोरोना पॉजिटिव राहुल शर्मा की मौत मामले में परिजनों ने प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, सानिया अस्पताल सहित अन्य नर्सिंग कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. पुलिस ने इस मामले में निजी अस्पताल के डॉक्टर और अस्पताल का नाम हटा दिया है. जबकि प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सहित अन्य चार कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

पढ़ें: कोरोना संक्रमित इंजीनियर की मौत मामले में केस दर्ज, परिजनों का पुलिस पर निजी अस्पताल के संचालक का नाम एफआईआर से हटाने का आरोप

सरकारी अस्पताल के डॉक्टर इस एफआईआर का विरोध कर रहे हैं. डॉक्टरों ने आईएमए हॉल में एक बैठक बुलाई और कहा कि प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और दूसरे नर्सिंग कर्मियों का नाम एफआईआर से हटाया जाए. डॉक्टरों ने कहा कि मानवता के नाते प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ने निजी अस्पताल में भर्ती मरीज को एंबुलेंस उपलब्ध कराई थी. इस मामले से प्रमुख चिकित्सा अधिकारी का कोई संबंध नहीं है. जबकि पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी निजी अस्पताल के संचालक का नाम हटा दिया है.

FIR से प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और दूसरे नर्सिंगकर्मियों के नाम हटाने की मांग

डॉक्टरों को कहना है कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन के दो सिलेंडर रखे थे. दोनों सिलेंडर भरे हुए थे. मामले में पुलिस ने निजी अस्पताल और उसके संचालक डॉक्टर का नाम हटा दिया. जबकि इस मामले में मुख्य आरोपी निजी अस्पताल ही है. उनकी लापरवाही के चलते ही राहुल की जान गई है. डॉक्टरों ने कहा कि अगर प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और दूसरे नर्सिंग कर्मियों के नाम एफआईआर से नहीं हटाए गए तो वो अपना विरोध दर्ज कराएंगे. डॉक्टरों ने पुलिस पर भी दबाव में काम करने और मिलीभगत का आरोप लगाया है.

क्या है पूरा मामला

अलवर के सानिया अस्पताल में कोरोना संक्रमित इंजीनियर राहुल शर्मा का इलाज चल रहा था. हालत खराब होने पर अस्पताल में राहुल को जयपुर के लिए रेफर किया. लेकिन अस्पताल में एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं थी. इसलिए परिजनों ने राजीव गांधी सामान्य अस्पताल से ऑक्सीजन सपोर्ट वाली एंबुलेंस के वेंटिलेटर पर राहुल को जयपुर रेफर किया. लेकिन दौसा के पास अचानक ऑक्सीजन खत्म हो गई. परिजन राहुल को दौसा के अस्पताल में लेकर गए. लेकिन समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण राहुल ने दम तोड़ दिया.

परिजनों ने इस मामले में सानिया अस्पताल व प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. जिला कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए हैं. मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने पर परेशान परिजनों ने 12 दिन बाद सानिया अस्पताल उसके डॉक्टर, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, एंबुलेंस ड्राइवर, नर्सिंग स्टाफ और एक अन्य के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. लेकिन इस मामले में सानिया अस्पताल के संचालक का नाम हटा दिया गया. प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सहित चार कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.

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