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स्पेशल: खेल से खिलवाड़...मिट्टी में खिलाते हैं और उम्मीद सोने का पदक लाएं - athletic track news

देश भर में खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार बड़े-बड़े दावों के साथ हालात में सुधार लाने के लिए नई-नई योजनाएं लाती है. लेकिन अलवर सहित देश भर में खिलाड़ियों के पास खेलने के लिए बेहतर ग्राउंड तक नहीं है. इतना ही नहीं खिलाड़ियों के पास सुविधाओं का भी खासा अभाव है. कुछ ऐसे ही अभाव के हालात देखने को मिले अलवर के एथलेटिक ट्रैक में...

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आजादी से पहले बना अलवर का एथलेटिक ट्रैक...
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Published : Feb 6, 2020, 9:44 AM IST

Updated : Feb 6, 2020, 10:05 AM IST

अलवर. आजादी से पहले बनकर तैयार हुए अलवर के सेंडर ट्रैक की हालात इन दिनों दर से बदतर होती जा रही है. यहां के आरआर कॉलेज ग्राउंड में बना राजस्थान का पहला एथलेटिक ट्रैक अपनी बदहाली की दास्तां बया कर रहा है.

आजादी से पहले बना था ग्राउंड...

देश की आजादी से पहले साल 1941 में अलवर के आरआर कॉलेज ग्राउंड पर सेंडर एथलेटिक ट्रैक बनाया गया था. यह प्रदेश का पहला ट्रैक था. इस पर अलवर सहित प्रदेश भर के युवा अभ्यास करते थे. इस ट्रैक पर अभ्यास करने वाले अलवर के युवा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक भी जीत चुके हैं.

आजादी से पहले बना अलवर का एथलेटिक ट्रैक...

लेकिन इन दिनों इस ट्रैक की हालत खराब है. उखड़े हुए इस ट्रक से खिलाड़ियों को मिट्टी और घास खुद से ही हटानी पड़ती है. ट्रैक पर जगह-जगह पत्थर निकल गए हैं, जिसके कारण यहां अभ्यास करने वाले युवाओं को चोट लगने की संभावना बनी रहती है. इतना ही नहीं यहां कई खिलाड़ी चोटिल भी हो चुके हैं.

अपनी जेब से भरना पड़ता है पैसा...

इतना ही नहीं खिलाड़ियों को अपनी जेब खर्ची का पैसा मिलाकर ट्रैक पर पानी का छिड़काव करवाना पड़ता है. खिलाड़ी खुद इसका रख-रखाव करते हैं. अलवर के खिलाड़ी मजबूरी में अन्य शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं. इस ट्रैक पर सैकड़ों खिलाड़ी अभ्यास करते हैं. एशिया के खेलों में उम्दा प्रदर्शन करने के बाद इन्हीं खिलाड़ियों के राष्ट्रमंडल और ओलंपिक खेलों में पदक जीतने की उम्मीद की जाती है, जो इन दिनों बदहाल ट्रैक पर अभ्यास कर रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः Special: झालावाड़ में कॉलोनाइजर की मनमानी, अवैध बिजली से रोशन हो रही कॉलोनी

साथ ही जरूरत पड़ने पर मरम्मत भी खुद के पैसे से करते हैं. इस ट्रैक पर रतिराम सैनी, धारा यादव, विश्राम सहित कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी अभ्यास कर चुके हैं. साथ ही नए खिलाड़ियों में भविष्य की बेहतर संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं.

इन-इन जिलों के खिलाड़ी करते हैं अभ्यास...

अलवर के आरआर कॉलेज के इस ट्रैक पर भरतपुर, धौलपुर, जयपुर और सीकर सहित आसपास के कई जिलों से खिलाड़ी अभ्यास करने के लिए आते हैं. लेकिन लगातार ट्रैक के हालात खराब होने के कारण खिलाड़ियों को मजबूरी में पंजाब और हरियाणा के शहरों में जाना पड़ रहा है. अलवर में लंबे समय से सिंथेटिक ट्रैक की मांग उठ रही है. लेकिन आज तक इस मांग को पूरा नहीं किया गया.

जिन जगहों पर गिने चुने खिलाड़ी अभ्यास करते हैं, वहां सिंथेटिक ट्रैक बन गए हैं. जबकि अलवर में आज तक यह सुविधा नहीं है. हरियाणा में भी जगह-जगह सिंथेटिक ट्रैक बने हुए हैं. ऐसे में आरआर कॉलेज ग्राउंड में अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों का कहना है कि कई बार इसको ठीक कराने और सिंथेटिक ट्रैक बनाने के लिए उच्च अधिकारियों को प्रस्ताव दिया जा चुका है. लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. इस तरह के हालात रहें तो आने वाले समय में अपनी पहचान खो देगा.

अलवर. आजादी से पहले बनकर तैयार हुए अलवर के सेंडर ट्रैक की हालात इन दिनों दर से बदतर होती जा रही है. यहां के आरआर कॉलेज ग्राउंड में बना राजस्थान का पहला एथलेटिक ट्रैक अपनी बदहाली की दास्तां बया कर रहा है.

आजादी से पहले बना था ग्राउंड...

देश की आजादी से पहले साल 1941 में अलवर के आरआर कॉलेज ग्राउंड पर सेंडर एथलेटिक ट्रैक बनाया गया था. यह प्रदेश का पहला ट्रैक था. इस पर अलवर सहित प्रदेश भर के युवा अभ्यास करते थे. इस ट्रैक पर अभ्यास करने वाले अलवर के युवा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक भी जीत चुके हैं.

आजादी से पहले बना अलवर का एथलेटिक ट्रैक...

लेकिन इन दिनों इस ट्रैक की हालत खराब है. उखड़े हुए इस ट्रक से खिलाड़ियों को मिट्टी और घास खुद से ही हटानी पड़ती है. ट्रैक पर जगह-जगह पत्थर निकल गए हैं, जिसके कारण यहां अभ्यास करने वाले युवाओं को चोट लगने की संभावना बनी रहती है. इतना ही नहीं यहां कई खिलाड़ी चोटिल भी हो चुके हैं.

अपनी जेब से भरना पड़ता है पैसा...

इतना ही नहीं खिलाड़ियों को अपनी जेब खर्ची का पैसा मिलाकर ट्रैक पर पानी का छिड़काव करवाना पड़ता है. खिलाड़ी खुद इसका रख-रखाव करते हैं. अलवर के खिलाड़ी मजबूरी में अन्य शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं. इस ट्रैक पर सैकड़ों खिलाड़ी अभ्यास करते हैं. एशिया के खेलों में उम्दा प्रदर्शन करने के बाद इन्हीं खिलाड़ियों के राष्ट्रमंडल और ओलंपिक खेलों में पदक जीतने की उम्मीद की जाती है, जो इन दिनों बदहाल ट्रैक पर अभ्यास कर रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः Special: झालावाड़ में कॉलोनाइजर की मनमानी, अवैध बिजली से रोशन हो रही कॉलोनी

साथ ही जरूरत पड़ने पर मरम्मत भी खुद के पैसे से करते हैं. इस ट्रैक पर रतिराम सैनी, धारा यादव, विश्राम सहित कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी अभ्यास कर चुके हैं. साथ ही नए खिलाड़ियों में भविष्य की बेहतर संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं.

इन-इन जिलों के खिलाड़ी करते हैं अभ्यास...

अलवर के आरआर कॉलेज के इस ट्रैक पर भरतपुर, धौलपुर, जयपुर और सीकर सहित आसपास के कई जिलों से खिलाड़ी अभ्यास करने के लिए आते हैं. लेकिन लगातार ट्रैक के हालात खराब होने के कारण खिलाड़ियों को मजबूरी में पंजाब और हरियाणा के शहरों में जाना पड़ रहा है. अलवर में लंबे समय से सिंथेटिक ट्रैक की मांग उठ रही है. लेकिन आज तक इस मांग को पूरा नहीं किया गया.

जिन जगहों पर गिने चुने खिलाड़ी अभ्यास करते हैं, वहां सिंथेटिक ट्रैक बन गए हैं. जबकि अलवर में आज तक यह सुविधा नहीं है. हरियाणा में भी जगह-जगह सिंथेटिक ट्रैक बने हुए हैं. ऐसे में आरआर कॉलेज ग्राउंड में अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों का कहना है कि कई बार इसको ठीक कराने और सिंथेटिक ट्रैक बनाने के लिए उच्च अधिकारियों को प्रस्ताव दिया जा चुका है. लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. इस तरह के हालात रहें तो आने वाले समय में अपनी पहचान खो देगा.

Intro:अलवर
देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। खेलों के हालात में सुधार के लिए नई योजनाएं शुरू की जाती है। लेकिन अलवर सहित देशभर में खिलाड़ियों के पास खेलने के लिए बेहतर ग्राउंड तक नहीं है। साथ ही खिलाड़ियों के पास सुविधाओं का खासा अभाव है। इसी तरह के हालात अलवर में देखने को मिले। आजादी से पहले तैयार हुए अलवर के सेंडर ट्रैक की हालात इन दिनों खराब है। अलवर के आरआर कॉलेज ग्राउंड में बना राजस्थान का पहला एथलेटिक ट्रैक बदहाली की दास्तां बया कर रहा है।


Body:आजादी से पहले सन 1941 में अलवर के आरआर कॉलेज ग्राउंड पर सेंडर एथलेटिक ट्रैक बनाया गया। यह राजस्थान का पहला ट्रैक था। इस पर अलवर सहित प्रदेशभर के युवा अभ्यास करते थे। इस ट्रैक पर अभ्यास करने वाले अलवर के युवा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीत चुके हैं। लेकिन इन दिनों इस ट्रैक की हालत खराब है। उखड़े हुए इस ट्रक से खिलाड़ियों को मिट्टी व घास खुद को हटा नहीं पड़ती है। ट्रैक पर जगह-जगह पत्थर निकल गए हैं। जिसके कारण यहां अभ्यास करने वाले युवाओं के चोट लगने की संभावना रहती है। कई युवा खिलाड़ी पैर मुड़ने के कारण चोटिल भी हो चुके हैं। इतना ही नहीं खिलाड़ियों को अपनी जेब खर्ची का पैसा मिला कर ट्रैक पर पानी का छिड़काव करवाना पड़ता है। खिलाड़ी खुद इसका रखरखाव करते हैं। अलवर के खिलाड़ी मजबूरी में अन्य शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इस ट्रैक पर सैकड़ों खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। एशिया के खेलों में उम्दा प्रदर्शन करने के बाद इन्हीं खिलाड़ियों के राष्ट्रमंडल व ओलंपिक खेलों में पदक जीतने की उम्मीद की जाती है। जो इन दिनों बदहाल ट्रेक पर अभ्यास कर रहे हैं। साथ ही जरूरत पड़ने पर मरम्मत भी खुद के पैसे से करते हैं। इस ट्रैक पर रतिराम सैनी, धारा यादव, विश्राम सहित कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी अभ्यास कर चुके हैं। साथ ही नए खिलाड़ियों में भविष्य की बेहतर संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं।


Conclusion:अलवर के आरआर कॉलेज के इस ट्रैक पर भरतपुर, धौलपुर, जयपुर, सीकर सहित आसपास के कई जिलों से युवा खिलाड़ी अभ्यास करने के लिए आते हैं। लेकिन लगातार ट्रक के हालात खराब होने के कारण खिलाड़ियों को मजबूरी में पंजाब व हरियाणा के शहरों में जाना पड़ रहा है। अलवर में लंबे समय से सिंथेटिक ट्रैक की मांग उठ रही है। लेकिन आज तक इस मांग को पूरा नहीं किया गया। जिन जगहों पर गिने चुने खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। वहां सिंथेटिक ट्रैक बन गए हैं। जबकि अलवर में आज तक यह सुविधा नहीं है। हरियाणा जैसे छोटे से प्रदेश में जगह-जगह सिंथेटिक ट्रैक बने हुए हैं। यहां अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों का कहना है। कई बार इसको ठीक कराने व सिंथेटिक ट्रैक बनाने के लिए उच्च अधिकारियों को प्रस्ताव दिया जा चुका है। लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। इस तरह के हालात रहे तो आने वाले समय में अपनी पहचान खो देगा।

बाइट- खिलाड़ी
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बाइट- भगवान सैनी, कोच
Last Updated : Feb 6, 2020, 10:05 AM IST
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