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ये कैसा नियम! सरिस्का में शुरू हुई नई व्यवस्था, एक घंटे में दिया जा रहा है 30 वाहनों को प्रवेश, लगा लंबा जाम

भगवान के दर्शन पाने के लिए लोग किस तरह कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं इसका प्रमाण सरिस्का में देखने को मिला. जहां शनिवार को पांडुपोल हनुमान मंदिर में दर्शनार्थ श्रद्धालु जुटे तो कोरोना से बेफिक्री साफ दिखी. लम्बा जाम लगा और प्रशासन के नियमों का खास असर नहीं दिखा.

Jam in sariska
लापरवाही का नियम
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Published : Aug 14, 2021, 1:44 PM IST

अलवर: कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव कम होने के बाद सभी धार्मिक स्थलों पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचने लगे हैं. ऐसे में कोरोना की गाइड लाइन का उल्लंघन हो रहा है. साथ ही कोरोना की तीसरी लहर की आहट भी होने लगी है. सरिस्का के पांडुपोल मंदिर में शनिवार व मंगलवार को देशभर से हजारों लोग आते हैं. ऐसे में सरिस्का प्रशासन की तरफ से नई व्यवस्था शुरू की. हालांकि सीमित वाहनों को प्रवेश देना का Formula धरातल पर दम तोड़ता दिखा.

जलभराव की समस्या पर भड़के ग्रामीण, इटावा खातोली मार्ग पर किया चक्काजाम

शनिवार को एक घंटे में 30 वाहनों को प्रवेश दिया गया. जिसके चलते सरिस्का में कई किलोमीटर लंबा वाहनों का जाम लग गया. इस दौरान लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा.

यहां टूटा था भीम का घमंड: सरिस्का का पांडुपोल हनुमान मंदिर देश दुनिया में अपनी खास पहचान रखता है. कहते हैं की भीम का घमंड हनुमान जी ने पांडुपोल में तोड़ा था. उसी लेटी हुई अवस्था में हनुमान जी की यहां प्रतिमा है. राजनेता, फिल्मी सितारे सभी यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं. साल भर लोगों की भीड़ रहती है.

नियम की फांस: कोरोना के चलते कुछ नियम तय किए गए. पांडुपोल मंदिर में अब शनिवार व मंगलवार को लोग हनुमानजी के दर्शन करने आते हैं. निजी वाहनों को प्रवेश दिया जाता है. सो हजारों की संख्या में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. कोरोना काल, श्रद्धालुओं की श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने एक नियम बनाया. ये नियम ये गले की फांस बन गया. एक घण्टे में 30 वाहनों की एंट्री वाले नियम ने लंबे जाम को दावत दे दी. पांडुपोल जाने वाले मार्ग पर लंबा जाम लग गया.

लंबे जाम को देखते हुए सरिस्का प्रशासन के अधिकारियों ने कहा है कि दर्शनार्थियों को 3 बजे तक ही प्रवेश दिया जाएगा.

प्रवेश का नियम: सरिस्का की तरफ वाहनों से प्रवेश शुल्क लिया जाता है. इसके बाद प्रत्येक वाहन को एक पास जारी होता है. वापस लौटने पर वाहन चालक को पास वापस गेट पर लौट आना पड़ता है. सरिस्का प्रशासन का दावा है कि नई व्यवस्था से भीड़ भाड़ में कुछ कमी आएगी.
आखिर क्यों लिया ये फैसला: पांडुपोल मंदिर में दिन भर जाम के हालात रहते हैं. इससे ही पार पाने के लिए सरिस्का प्रशासन की तरफ से यह नई व्यवस्था शुरू की गई. सरिस्का प्रशासन के मुताबिक इससे कोरोना गाइडलाइन ठीक से पालन कराया जा सकेगा. भीड़ भाड़ कम होगी तो लोगों पर नजर रखना आसान होगा. चेहरे पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को ठीक से मेनटेन कराया जा सकेगा.

अलवर: कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव कम होने के बाद सभी धार्मिक स्थलों पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचने लगे हैं. ऐसे में कोरोना की गाइड लाइन का उल्लंघन हो रहा है. साथ ही कोरोना की तीसरी लहर की आहट भी होने लगी है. सरिस्का के पांडुपोल मंदिर में शनिवार व मंगलवार को देशभर से हजारों लोग आते हैं. ऐसे में सरिस्का प्रशासन की तरफ से नई व्यवस्था शुरू की. हालांकि सीमित वाहनों को प्रवेश देना का Formula धरातल पर दम तोड़ता दिखा.

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शनिवार को एक घंटे में 30 वाहनों को प्रवेश दिया गया. जिसके चलते सरिस्का में कई किलोमीटर लंबा वाहनों का जाम लग गया. इस दौरान लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा.

यहां टूटा था भीम का घमंड: सरिस्का का पांडुपोल हनुमान मंदिर देश दुनिया में अपनी खास पहचान रखता है. कहते हैं की भीम का घमंड हनुमान जी ने पांडुपोल में तोड़ा था. उसी लेटी हुई अवस्था में हनुमान जी की यहां प्रतिमा है. राजनेता, फिल्मी सितारे सभी यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं. साल भर लोगों की भीड़ रहती है.

नियम की फांस: कोरोना के चलते कुछ नियम तय किए गए. पांडुपोल मंदिर में अब शनिवार व मंगलवार को लोग हनुमानजी के दर्शन करने आते हैं. निजी वाहनों को प्रवेश दिया जाता है. सो हजारों की संख्या में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. कोरोना काल, श्रद्धालुओं की श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने एक नियम बनाया. ये नियम ये गले की फांस बन गया. एक घण्टे में 30 वाहनों की एंट्री वाले नियम ने लंबे जाम को दावत दे दी. पांडुपोल जाने वाले मार्ग पर लंबा जाम लग गया.

लंबे जाम को देखते हुए सरिस्का प्रशासन के अधिकारियों ने कहा है कि दर्शनार्थियों को 3 बजे तक ही प्रवेश दिया जाएगा.

प्रवेश का नियम: सरिस्का की तरफ वाहनों से प्रवेश शुल्क लिया जाता है. इसके बाद प्रत्येक वाहन को एक पास जारी होता है. वापस लौटने पर वाहन चालक को पास वापस गेट पर लौट आना पड़ता है. सरिस्का प्रशासन का दावा है कि नई व्यवस्था से भीड़ भाड़ में कुछ कमी आएगी.
आखिर क्यों लिया ये फैसला: पांडुपोल मंदिर में दिन भर जाम के हालात रहते हैं. इससे ही पार पाने के लिए सरिस्का प्रशासन की तरफ से यह नई व्यवस्था शुरू की गई. सरिस्का प्रशासन के मुताबिक इससे कोरोना गाइडलाइन ठीक से पालन कराया जा सकेगा. भीड़ भाड़ कम होगी तो लोगों पर नजर रखना आसान होगा. चेहरे पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को ठीक से मेनटेन कराया जा सकेगा.

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