अलवर. त्योहार के सीजन में खाद्य पदार्थों में होने वाली मिलावट के चलते अलवर पूरे देश में बदनाम हो रहा है. अलवर का कलाकंद पूरे देश में अपनी खास पहचान रखता है. लेकिन पैसों के लालच में मिलावटखोर दूध, कलाकंद व मावे से बनी हुई मिठाइयों में मिलावट करते हैं.
ऐसे में अलवर की साख खराब हो रही है. मिठाई व्यापारी मिलावटखोरों से खासे परेशान हैं. मिलावटखोरों के चलते अलवर में मिठाई का कारोबार भी प्रभावित हो रहा है. अलवर एनसीआर का हिस्सा है. अलवर से प्रतिदिन लाखों लीटर दूध मिठाई, मावा व कलाकंद दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में सप्लाई होता है. खाद विभाग की ओर से समय-समय पर खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए जाते हैं. इनकी जांच पड़ताल में कई खुलासे हो चुके हैं.
तेल, डिटर्जेंट पाउडर, चीनी की मिलावट
सरकारी रिपोर्ट पर नजर डालें तो खाद विभाग की ओर से लिए गए दूध के सैंपल में तेल, डिटर्जेंट पाउडर, चीनी सहित कई तरह के मिलावटी चीजें मिल चुकी हैं. इसी तरह से कलाकंद मिठाई भी जांच पड़ताल में आए दिन फेल होती हैं. 500 से अधिक सैंपल जांच पड़ताल के दौरान फेल हुए. लेकिन अभी तक इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इसके अलावा सैकड़ों की संख्या में सैंपल फेल होते हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के ढीले रवैए के कारण लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है.
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हर साल फेल होते हैं सैंपल
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने साल 2020 में 353 खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए थे. इनमें से 276 पास हो गए थे. इसके अलावा 61 सब्सटेंडर्ड मिले थे, 13 मिस ब्रांड तीन खाने के हिसाब से अनसेफ मिले जबकि 58 फेल हो गए थे. इस बार साल 2021 में अब तक 191 सैंपल लिए गए हैं. इनमें 150 पास हो गए, 41 फेल हो गए, 38 सब्सटेंडर्ड थे. जबकि छह मिस ब्रांड मिले हैं. इसी तरह से हर साल सैंपल फेल होते हैं. लेकिन मिलावट करने वालों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
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मिलावट के 5 साल तक के मामले लंबित
कानून के हिसाब से न्यायालय के माध्यम से मिलावटखोरों पर जुर्माना लगता है. 5 साल पुराने मामले भी न्यायालय में लंबित हैं. न्यायालय में समय पर सुनवाई नहीं हो पाती है. इसके अलावा सैंपल की रिपोर्ट भी देरी से आती है. एक से डेढ़ माह सैंपल की रिपोर्ट आने में लगता है. तब तक खाद्य सामग्री बाजार में बिक जाती है. ऐसे में साफ है कि मिलावटखोर खुले आम लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. जबकि प्रशासन नियमों को बंदिशों में बंद कर चुपचाप बैठा हुआ है.
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अलवर के परंपरागत हलवाई मिलावटखोरों से परेशान
मिलावटखोरों के चलते अलवर का नाम खराब हो रहा है. अलवर के व्यापारियों ने कहा कि आए दिन खाद्य पदार्थों जैसे दूध, मावा, कलाकंद व मिठाइयों में मिलावट की शिकायत मिलती है व मामले सामने आते हैं. ऐसे में लोग अब मिठाइयों से बचने लगे हैं. उन्होंने कहा कि अलवर शहर में लोग शुद्धता से काम करते हैं. किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ में मिलावट नहीं की जाती है. ग्रामीण क्षेत्र व जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में जगह जगह पर अवैध मिट्टी का चल रही है. जहां दिन रात नकली मावा नकली कलाकंद बनाने का काम चल रहा है. प्रशासन को ऐसे दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मिलावटखोरों के चलते व्यापार भी खासा प्रभावित हो रहा है. लोग मिलावट के चलते मिठाइयां खरीदने से बचने लगे हैं.
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त्योहार के समय में बढ़ जाती है मिलावट
त्योहार के सीजन में दूध मिठाई मावा की डिमांड कई गुना अधिक बढ़ जाती है. जिले में दूध की पैदावार कम है. ऐसे में मिलावटखोर इसका फायदा उठाते हैं व जमकर मिलावट करते हैं. अलवर एनसीआर का हिस्सा है. इसलिए अलवर से प्रतिदिन बड़ी संख्या में दूध मावा में मिठाई एनसीआर के शहर दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद, मेरठ के आसपास शहरों में सप्लाई होते हैं. डिमांड पूरी करने के लिए खाद्य पदार्थों में मिलावट होती है व माल आसानी से खत्म हो जाता है.
व्यापारियों ने कहा- शुद्ध है अलवर का मावा
व्यापारियों ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने कहा कि अलवर शहर में किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं होती है. लोग शुद्ध तरह से काम करते हैं. क्योंकि यहां अगर मिलावट होगी तो व्यापारी का नाम और उसका ब्रांड खराब होता है. व्यापारी अपनी साख बचाने के लिए शुद्ध मिठाई मावा तैयार करता है.
व्यापारियों ने लोगों को यह विश्वास भी दिलाया चॉकलेट व अन्य चीजों की तुलना में मिठाइयां बेहतर होती हैं. चॉकलेट व टॉफी व अन्य खाद्य पदार्थों से बच्चों को नुकसान होता है. जबकि मिठाइयों से किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है.