अजमेर. भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में स्वर्णिम विजय वर्ष मनाया जा रहा है. वर्ष भर चलने वाले उत्सव के अनुरूप विजय मशाल गुरुवार को अजमेर सैन्य स्टेशन पहुंची. यहां विजय मशाल के स्वागत के बाद 1971 युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
योद्धाओं की भूमि राजस्थान अपने समृद्ध इतिहास के लिए जानी जाती है. 1971 के युद्ध सहित कई युद्धों में राजस्थान के वीर जवानों ने सशस्त्र बलों में वीरता और शौर्य का परिचय दिया है. वहीं कई योद्धाओं ने वीरगति भी पाई है. ऐसे वीर योद्धाओं और सैनिकों को सम्मान देने के लिए 16 दिसंबर 2020 में दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी ने चार मशाल भारतीय सेना को सौंपी थी. गुरुवार को विभिन्न शहरों से होते हुए शहीदों के प्रति सम्मान एवं कृतज्ञता प्रकट करते हुए विजय मशाल गुरुवार को अजमेर सैन्य स्टेशन पहुंची.
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शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि
यहां विजय मशाल का स्वागत किया गया. साथ ही 1971 युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. सन 1971 में भारत-पाकिस्तान जंग में राष्ट्र की सुरक्षा एवं सम्मान को बनाए रखने और बांग्लादेश को पाक सशस्त्र बलों के अत्याचार से मुक्त करने के लिए कई सैनिकों ने अपना बलिदान दिया. 'स्वर्णिम विजय वर्ष' के उत्सव के रूप में 316 मीडियम रेजिमेंट की ओर से विजय मशाल प्रज्ज्वलित करने के उपलक्ष्य में 'लास्ट माइल रन' का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम में युद्ध में शामिल रहे एक्स आर्मी ऑफिसर्स ने भी अनुभवों को साझा किया.
भारतीय सेना को चार विजय मशालें सौंपीं थीं
कार्यक्रम का समापन युद्ध में शामिल हुए कैप्टन नरपत सिंह शेखावत का अभिनंदन भी हुआ. 16 दिसंबर 2020 से 16 दिसंबर 2021 तक शुरू होने वाले 'स्वर्णिम विजय वर्ष' के उत्सव की घोषणा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में की थी. इस दौरान भारतीय सेना को चार विजय मशालें सौंपीं गई थी. यह विजय मशालें सभी प्रमुख सैन्य छावनियों और शहरों के माध्यम से पूरे देश में भारतीय सेना की तरफ से 1971 के युद्ध के वीर जवानों के लिए कृतज्ञता प्रदर्शित करने के लिए यात्रा कर रही है.
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पूर्व सैन्य अफसरों ने साझा किए अनुभव
कार्यक्रम में कैप्टन नरपत सिंह बांग्लादेश में युद्ध को जाने वाली पहली भारतीय सेना की टुकड़ी में शामिल थे. कार्यक्रम में नसीराबाद छावनी के ब्रिगेडियर समीर कौशल, लेफ्टिनेंट कर्नल अंकुर तिवारी सहित कई सैन्य अधिकारी मौजूद रहे. बातचीत मेंं कैप्टन नरपत सिंह ने बताया कि विश्व में ऐसा कोई युद्ध नहीं हुआ जिसमें इतनी बड़ी जीत हासिल हुई हो. अपने अनुभवों को साझा करने के साथ ही कैप्टन शेखावत ने कहा कि बांग्लादेश में भारत-पाकिस्तान के बीच जो समझौता हुआ था उसमें एक बड़ी चूक यह रही थी इससे पहले जो भारतीय सैनिक पाकिस्तान की जेल में थे, उन्हें रिहा नहीं करवा पाए.
लेफ्टिनेंट जनरल सुरेंद्र कुलकर्णी ने कहा कि भारतीय सेना की परंपरा रही है कि युद्ध में वह कभी पीछे नहीं हटती. उसी तरह देश में वीरांगनाओं से पूछा जाए तो उनका जवाब भी यही होता कि वह एक और संतान युद्ध में देने के लिए तैयार हैं.