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अजमेरः झंडे की रस्म के साथ उर्स की अनौपचारिक शुरुआत, जायरीनों के आने का सिलसिला होगा शुरू

अजमेर में झंडे चढ़ाने की रस्म के साथ विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 808वां उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में दरगाह में झंडे की रस्म को देखने के लिए बड़ी संख्या में जायरीन और स्थानीय लोगों का दरगाह में हुजूम उमड़ पड़ा.

flag ceremony in Ajmer, उर्स की अनौपचारिक शुरुआत
झंडे की रस्म के साथ शुरु हुआ उर्स की अनौपचारिक शुरुआत
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Published : Feb 20, 2020, 11:07 PM IST

अजमेर. शहर के विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 808वें उर्स की अनौपचारिक शुरुआत झंडे की रस्म के साथ हो गई है. दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म धूमधाम से अदा की गई.

झंडे की रस्म के साथ शुरु हुआ उर्स की अनौपचारिक शुरुआत

दरगाह के बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाया गया है. इसका मतलब ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स आने वाला है. इसके साथ ही देश और दुनिया से जायरीन के अजमेर आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा. दरगाह में झंडे की रस्म को देखने के लिए बड़ी संख्या में जायरीन और स्थानीय लोगों का दरगाह में हुजूम उमड़ पड़ा.

असर की नमाज के बाद दरगाह गेस्ट हाउस से परचम का जुलूस निकाला गया. बैंड बाजों के साथ जुलूस के रूप में निजाम गेट होते हुए झंडे को बुलंद दरवाजा लाया गया. जुलूस के आगे चल रहे कलंदरो इस दौरान अपने हैरतअंगेज करतब ओर से लोगों को आश्चर्य में डाल दिया.

पढ़ेंः बजट 2020: शिक्षा विभाग का 85 प्रतिशत बजट वेतन भत्ते में, स्कूलों के विकास के लिए सिर्फ 5 करोड़ का ही Budget

झंडे के दरगाह पर पहुंचने पर उसे छूने और चूमने को लेकर लोगों में होड़ मच गई. बमुश्किल पुलिस ने लोगों को काबू किया. झंडे को अदब के साथ दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर गौरी परिवार की ओर से चढ़ाया गया. झंडे की रस्म अदा होने पर लोगों की आंखों से बरबस ही आंसू छलक पड़े लोगों ने ख्वाजा गरीब नवाज से दुआएं मांगी.

वहीं लोगों ने मुल्क में अमन-चैन और भाईचारे के लिए भी दुआ की. दरगाह में खादिम एसएफ हसन चिश्ती ने बताया कि भीलवाड़ा का गोरी परिवार 75 साल से दरगाह में झंडे की रस्म अदा कर रहा है.

पढ़ेंः खेल बजटः ओलम्पिक में गोल्ड पर अब मिलेंगे 3 करोड़ रुपए, राज्य खेलों में क्रिकेट और हैंडबॉल भी शामिल

दरगाह में खादिम एसएफ चिश्ती ने बताया कि महरौली से रवाना हुआ माल अंगों का जुलूस 24 फरवरी को अजमेर पहुंचेगा और उनकी ओर से भी झंडा चढ़ाया जाएगा. चांद देखने पास 24 फरवरी को उर्स की विधिवत शुरुआत होगी. चांद के नहीं दिखने पर 25 फरवरी से उर्स शुरू होगा.

अजमेर. शहर के विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 808वें उर्स की अनौपचारिक शुरुआत झंडे की रस्म के साथ हो गई है. दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म धूमधाम से अदा की गई.

झंडे की रस्म के साथ शुरु हुआ उर्स की अनौपचारिक शुरुआत

दरगाह के बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाया गया है. इसका मतलब ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स आने वाला है. इसके साथ ही देश और दुनिया से जायरीन के अजमेर आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा. दरगाह में झंडे की रस्म को देखने के लिए बड़ी संख्या में जायरीन और स्थानीय लोगों का दरगाह में हुजूम उमड़ पड़ा.

असर की नमाज के बाद दरगाह गेस्ट हाउस से परचम का जुलूस निकाला गया. बैंड बाजों के साथ जुलूस के रूप में निजाम गेट होते हुए झंडे को बुलंद दरवाजा लाया गया. जुलूस के आगे चल रहे कलंदरो इस दौरान अपने हैरतअंगेज करतब ओर से लोगों को आश्चर्य में डाल दिया.

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झंडे के दरगाह पर पहुंचने पर उसे छूने और चूमने को लेकर लोगों में होड़ मच गई. बमुश्किल पुलिस ने लोगों को काबू किया. झंडे को अदब के साथ दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर गौरी परिवार की ओर से चढ़ाया गया. झंडे की रस्म अदा होने पर लोगों की आंखों से बरबस ही आंसू छलक पड़े लोगों ने ख्वाजा गरीब नवाज से दुआएं मांगी.

वहीं लोगों ने मुल्क में अमन-चैन और भाईचारे के लिए भी दुआ की. दरगाह में खादिम एसएफ हसन चिश्ती ने बताया कि भीलवाड़ा का गोरी परिवार 75 साल से दरगाह में झंडे की रस्म अदा कर रहा है.

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दरगाह में खादिम एसएफ चिश्ती ने बताया कि महरौली से रवाना हुआ माल अंगों का जुलूस 24 फरवरी को अजमेर पहुंचेगा और उनकी ओर से भी झंडा चढ़ाया जाएगा. चांद देखने पास 24 फरवरी को उर्स की विधिवत शुरुआत होगी. चांद के नहीं दिखने पर 25 फरवरी से उर्स शुरू होगा.

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