अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज के 809वें उर्स की शुरुआत झंडे की रस्म के साथ हुई. इस दरमियान संदल की रस्म भी अदा की गई. संदल की रस्म अजमेर दरगाह के खादिम निभाते हैं.
क्या है संदल की रस्म?
संदल की रस्म सिर्फ गरीब नवाज के उर्स में ही निभाई जाती है. संदल (चंदन) को कहा जाता है, जो की गरीब नवाज की मजार के ऊपरी हिस्से पर लेप की तरह लगाया जाता है, जो खादिमों की तरफ से रोज पेश किया जाता है. उर्स के एक दिन पहले गरीब नवाज के उर्स के समय ही इसे गरीब नवाज के खादिम उतारते हैं. इस संदल को उतारने के बाद इसे जायरीनों में बांटा जाता है, जिसे पाने के लिए बाहर से आने वाले जायरीनों में होड़ सी मच जाती है.
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वहीं ऐसा भी माना जाता है कि इस संदल को पानी के साथ पीने से और इसे खाने से इंसान के सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं. इसलिए जायरीन बोतल में इसका पानी बनाकर यहां से ले जाते हैं.
दरगाह शरीफ के खादिम कुतुबुद्दीन सखी ने बताया कि संदल के लिए ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर आने वाले जायरीन साल भर इंतजार करते हैं. जब मजार शरीफ से संदल को उतारा जाता है तो काफी संख्या में इस तबर्रुक को लेने के लिए काफी संख्या में भीड़ जमा हो जाती है. वहीं खादिम कुतुबुद्दीन सखी की तरफ से शाह जाने मस्जिद में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर आने वाले जायरीन को संदल तबर्रुक के रूप में दिया गया.