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Special: ट्रेड लाइसेंस रिन्यूवल से परहेज कर रहे व्यापारी, कारोबार पर भारी पड़ी महामारी

अजमेर में कोरोना महामारी का विपरीत असर हर छोटे-बड़े कारोबार पर पड़ा है. इनमें खाद्य पदार्थों से जुड़े व्यवसायी भी शामिल हैं. हालात यह है कि लॉकडाउन में बन्द हुई खाद्य सामग्री बेचने वाली कई दुकानें अनलॉक के बाद भी नहीं खुल पाई हैं. नगर निगम में ट्रेड लाइसेंस के इस वर्ष के आंकड़े बता रहे हैं कि गत वर्ष की तुलना में व्यापार में गिरावट आई है.

Less people who got trade license renewal
ट्रेड लाइसेंस रिन्यूवल कराने वाले हुए कम
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Published : Nov 4, 2020, 10:15 PM IST

अजमेर. कोरोना महामारी ने सब कुछ बदल कर रख दिया है. लॉकडाउन से पहले तक स्थिति सामान्य थी और व्यापार अपनी चाल पकड़े हुए थे. 22 मार्च को कोरोना महामारी के चलते अचानक लॉकडाउन के बाद संकट खड़ा हो गया. ऐसे में रोजाना स्ट्रीट फूड बेचने वालों पर तो मानो गाज ही गिर पड़ी है. अनलॉक के बाद भी कई दुकानें अभी तक नहीं खुल पाईं हैं. जिन कारोबारियों ने दुकानें खोल ली हैं उनका व्यवसाय भी मंदा पड़ा है. बिजली-पानी, दुकान का किराया तक नहीं निकल पा रहा है.

ट्रेड लाइसेंस रिन्यूवल कराने वाले हुए कम

व्यापारी भी थोड़ी बहुत बिक्री में ही जैसे-तैसे दिन बिता रहे हैं. केवल परचून की दुकानों को छोड़ दें तो फास्ट फूड, रेस्टोरेंट, चाय स्टॉल, कचौड़ी पकौड़ी की दुकानों पर लगने वाली ग्राहकों की भीड़ अब दिखाई नहीं देती है. कोरोना वायरस की वजह से लोग अभी भी बाहर का खाना खाने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि यह व्यवसाय गति नहीं पकड़ पा रहा है.

Sweets lying in sweet shops
मिठाई की दुकानों पड़ी सूनी

यह भी पढ़ें: Special: अब भरतपुर में भी फूड डेस्टिनेशन, नगर निगम 75 लाख रुपए की लागत से तैयार करेगा चौपाटी

नगर निगम में ट्रेड लाइसेंस के विगत वर्ष 2019-20 के आंकड़े देखें तो 1723 दुकानदारों ने लाइसेंस लिया था जबकि यह तब की स्थिति है जब नगर निगम ने ठेके पर ट्रेड लाइसेंस देने का काम किया था. जबकि इस बार ट्रेड लाइसेंस के लिए नगर निगम ने ठेका नहीं लिया है बल्कि खुद ही आवेदकों को ट्रेड लाइसेंस बनाकर दिए जा रहे हैं. जुलाई 2020 से अभी तक 472 व्यवसायियों ने लाइसेंस लिया है. इससे स्पष्ट है कि कई व्यवसाई लाइसेंस रिन्यूअल तक करवा पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. वहीं पहले की अपेक्षा व्यापार की स्थिति आधे से भी कम हो गई है.

There is no rush in the offices for license renewal
लाइसेंस रिन्यूवल के लिए दफ्तरों में नहीं लग रही भीड़

यह भी पढ़ें: SPECIAL: इस बार की दीवाली 25% महंगी, तेल और चाय में आया उबाल, सब्जियों पर भी महंगाई की मार

नगर निगम खाद्य वस्तुओं के व्यापार के लिए ट्रेड लाइसेंस अस्थाई तौर पर 1 वर्ष के लिए देता है. इनमें परचून की दुकान, मिठाई, फास्ट फूड के ठेले, चाय के स्टॉल, जूस सेंटर, कचौड़ी-पकौड़ी ,चाट की दुकानें शामिल हैं. व्यवहार के अनुसार ट्रेड लाइसेंस की दरें निर्धारित हैं. यह दर 500 से 5000 तक होती है. ट्रेड लाइसेंस के तौर पर नगर निगम को मिलने वाले राजस्व में भी काफी कमी आई है. हालांकि अभी वित्तीय वर्ष जारी है. ऐसे में नगर निगम के अधिकारियों को भी उम्मीद है कि आगामी दिनों में व्यापार में बरकत आएगी और व्यापारी नगर निगम से ट्रेड लाइसेंस रिन्यूअल जरूर करवाएंगे.

ट्रेड लाइसेंस के नगर निगम के आंकड़ों ने व्यापार की कमजोर स्थिति बयां कर दी है. यही वजह है कि ट्रेड लाइसेंस के लिए रिन्यूअल नहीं करवाने वाले व्यापारियों के खिलाफ नगर निगम सख्ती न दिखाकर वेट एंड वॉच की नीति अपना रहा है.

अजमेर. कोरोना महामारी ने सब कुछ बदल कर रख दिया है. लॉकडाउन से पहले तक स्थिति सामान्य थी और व्यापार अपनी चाल पकड़े हुए थे. 22 मार्च को कोरोना महामारी के चलते अचानक लॉकडाउन के बाद संकट खड़ा हो गया. ऐसे में रोजाना स्ट्रीट फूड बेचने वालों पर तो मानो गाज ही गिर पड़ी है. अनलॉक के बाद भी कई दुकानें अभी तक नहीं खुल पाईं हैं. जिन कारोबारियों ने दुकानें खोल ली हैं उनका व्यवसाय भी मंदा पड़ा है. बिजली-पानी, दुकान का किराया तक नहीं निकल पा रहा है.

ट्रेड लाइसेंस रिन्यूवल कराने वाले हुए कम

व्यापारी भी थोड़ी बहुत बिक्री में ही जैसे-तैसे दिन बिता रहे हैं. केवल परचून की दुकानों को छोड़ दें तो फास्ट फूड, रेस्टोरेंट, चाय स्टॉल, कचौड़ी पकौड़ी की दुकानों पर लगने वाली ग्राहकों की भीड़ अब दिखाई नहीं देती है. कोरोना वायरस की वजह से लोग अभी भी बाहर का खाना खाने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि यह व्यवसाय गति नहीं पकड़ पा रहा है.

Sweets lying in sweet shops
मिठाई की दुकानों पड़ी सूनी

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नगर निगम में ट्रेड लाइसेंस के विगत वर्ष 2019-20 के आंकड़े देखें तो 1723 दुकानदारों ने लाइसेंस लिया था जबकि यह तब की स्थिति है जब नगर निगम ने ठेके पर ट्रेड लाइसेंस देने का काम किया था. जबकि इस बार ट्रेड लाइसेंस के लिए नगर निगम ने ठेका नहीं लिया है बल्कि खुद ही आवेदकों को ट्रेड लाइसेंस बनाकर दिए जा रहे हैं. जुलाई 2020 से अभी तक 472 व्यवसायियों ने लाइसेंस लिया है. इससे स्पष्ट है कि कई व्यवसाई लाइसेंस रिन्यूअल तक करवा पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. वहीं पहले की अपेक्षा व्यापार की स्थिति आधे से भी कम हो गई है.

There is no rush in the offices for license renewal
लाइसेंस रिन्यूवल के लिए दफ्तरों में नहीं लग रही भीड़

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नगर निगम खाद्य वस्तुओं के व्यापार के लिए ट्रेड लाइसेंस अस्थाई तौर पर 1 वर्ष के लिए देता है. इनमें परचून की दुकान, मिठाई, फास्ट फूड के ठेले, चाय के स्टॉल, जूस सेंटर, कचौड़ी-पकौड़ी ,चाट की दुकानें शामिल हैं. व्यवहार के अनुसार ट्रेड लाइसेंस की दरें निर्धारित हैं. यह दर 500 से 5000 तक होती है. ट्रेड लाइसेंस के तौर पर नगर निगम को मिलने वाले राजस्व में भी काफी कमी आई है. हालांकि अभी वित्तीय वर्ष जारी है. ऐसे में नगर निगम के अधिकारियों को भी उम्मीद है कि आगामी दिनों में व्यापार में बरकत आएगी और व्यापारी नगर निगम से ट्रेड लाइसेंस रिन्यूअल जरूर करवाएंगे.

ट्रेड लाइसेंस के नगर निगम के आंकड़ों ने व्यापार की कमजोर स्थिति बयां कर दी है. यही वजह है कि ट्रेड लाइसेंस के लिए रिन्यूअल नहीं करवाने वाले व्यापारियों के खिलाफ नगर निगम सख्ती न दिखाकर वेट एंड वॉच की नीति अपना रहा है.

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