अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के निकट बना मराठा काल का प्राचीन झरनेश्वर महादेव मंदिर भी इस बार सूना रहेगा. कोरोना संक्रमण की वजह से इस मंदिर में अभिषेक और पूजा अर्चना की भी अनुमति नहीं मिली है. बता दें कि सावन माह की शुरुआत सोमवार से हो चुकी है, लेकिन इस बार सभी शिवालय सुने ही रहेंगे. इस बार किसी प्रकार की सामूहिक सहस्त्रधारा और प्रसादी का आयोजन भी नहीं किया जाएगा.
भगवान शिव की आराधना के लिए धार्मिक दृष्टि से विशेष माने जाने वाला सावन की शुरुआत रविवार 5 जुलाई से हो चुकी है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण काल के चलते शिव मंदिर सुने ही दिखाई दे रहे हैं. वहीं, इसमें अजमेर में अंदरकोट की पहाड़ी पर बना ऐतिहासिक झरनेश्वर महादेव मंदिर भी शामिल है. ये मंदिर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के निकट ही स्थित है, जिसे सांप्रदायिक सौहार्द ही कहा जाएगा कि सावन माह में जब अंदरकोट से कावड़ यात्रा गुजरती हैं तब मुस्लिम समाज के लोगों की ओर से फूलों की बरसात की जाती है. सावन माह में इस क्षेत्र के शिव भक्तों में खासा उत्साह रहता है और यही वजह है कि झरनेश्वर महादेव के मंदिर में पूरे सावन माह में सहस्त्रधारा और बड़े अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं.
सूना पड़ा है भोले का दरबार
इस बार कोरोना माहमारी के चलते पहली बार ऐसा हुआ है की शिवालयों में किसी प्रकार की गूंज नहीं है. हर साल सुबह से ही हजारों की तादात में इस प्राचीन मंदिर पर लोग आना शुरू हो जाते हैं. महाआरती का आयोजन किया जाता है. वहीं, पूरे सावन माह में लोगों की काफी भीड़ यहां जमा रहती है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा. राजस्थान सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों को खोलने के कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं ना ही किसी तरह के बड़े अनुष्ठान किए जाएंगे. इसलिए पूरा सावन इस बार सूखा ही रहने वाला है.
इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा
वहीं, मंदिर के इतिहास में ये पहला अवसर है कि सावन माह में झरनेश्वर महादेव मंदिर सुना होगा. प्रशासन ने मंदिर परिसर में पूजा करने की अनुमति कोरोना संक्रमण को देखते हुए नहीं दी है. इससे मंदिर से जुड़े श्रद्धालु भी बेहद मायूस हैं.
झरनेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस पूरे सावन माह में अंदरकोट का क्षेत्र हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज जाता है. गर्मी के दिनों में जगह-जगह शीतल जल के काउंटर लगाए जाते हैं. 400 फीट की ऊंचाई पर बने इस मंदिर के पहाड़ी रास्ते में श्रद्धालुओं के लिए अनेक सुविधाएं समिति की ओर से उपलब्ध की जाती है. जहां भगवान शिव का बाल स्वरूप विराजमान हैं. मंदिर में प्रवेश को लेकर किसी प्रकार का कोई जाति भेद भी नहीं होता.
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अजमेर के इतिहास की जानकारी रखने वालों के अनुसार मराठा काल में अजमेर में एक साथ तीन स्थानों पर भगवान शिव को विराजमान करवाया गया था. वहीं, बालस्वरूप अंदरकोट की पहाड़ी पर, युवा स्वरूप को मदार गेट पर और अब शांतेश्वर महादेव मंदिर नया बाजार के शिव बाग में स्थापित किया गया है. इन तीनों मंदिरों का ही काफी महत्व है.
इस बार नहीं निकलेगी कावड़ यात्रा
शहर में सबसे बड़ी झरनेश्वर महादेव मंदिर समिति की ओर से कावड़ यात्रा को निकाला जाता है, लेकिन इस बार कोरोना काल के चलते कांवड़ यात्रा का आयोजन भी नहीं किया जाएगा. झरनेश्वर महादेव मंदिर समिति से जुड़े सभी श्रद्धालु इस बार मायूस हैं कि वो अपने भोले बाबा की भक्ति को नहीं कर पाएंगे. वहीं, शिव के भक्तों का कहना है कि साल 2020 पूरा ही कोरोना काल की भेंट चढ़ चुका है. जिसमें किसी प्रकार के सामूहिक और धार्मिक कार्यक्रम के आयोजनों की अनुमति नहीं दी गई है.