अजमेर. कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग बर्तन और सोना-चांदी से बनी चीजें खरीदते हैं, जिसकी दीपावली वाले दिन पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन इन सामान की खरीदारी करना शुभ माना जाता है. दीपावाली से 2 दिन पहले आने वाले धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ-साथ यमराज की पूजा भी की जाती है.
भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता है. यह कहावत आज भी प्रचलित है 'पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में माया' इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है. जो भारतीय संस्कृति के हिसाब से बिल्कुल अनुकूल है.
राम मंडल के पंडित गोपीचंद शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अवतार हैं. संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था.
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धनतेरस के मौके पर अजमेर के बाजारों में सुबह से ही लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी. शोरूम संचालक रोहन गांधी ने जानकारी देते हुए बताया कि धनतेरस के मौके पर बिक्री में बढ़ोत्तरी होती है. क्योंकि सभी लोग धनतेरस पर खरीदारी करना शुभ मानते हैं. वहीं उनका मानना है कि आज के दिन लगभग 20 से 30 लाख तक उनकी बिक्री पहुंच सकती है.
वहीं धनतेरस के दिन से ही लोग घरों के बाहर दीपक जलाना शुरू कर देते हैं. क्योंकि धनतेरस के मौके से दीपावली की शुरुआत हो जाती है. ऐसे में लोग अपने घरों के बाहर दीपक लगाकर रोशनी करते हैं और दीपावली के त्योहार का स्वागत करते हुए नजर आते हैं. घरों के बाहर दिये लगाना भी शुभ माना जाता है, जिससे दीपावली के मौके पर लक्ष्मी पूजन के साथ में चांदी व सोने के सामानों की पूजा भी की जाती है.