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अजमेर में धनतेरस के मौके पर हुई धन्वंतरी की पूजा और बाजारों में दिखी रौनक

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग सोने-चांदी से बनी चीजें और बर्तन खरीदते हैं. धनतेरस के मौके पर अजमेर के बाजारों में रौनक देखने को मिली. बाजार में सजी दुकानों में दिनभर ग्राहकों की भीड़ नजर आई.

Ajmer Diwali News, अजमेर न्यूज
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Published : Oct 25, 2019, 10:17 PM IST

अजमेर. कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग बर्तन और सोना-चांदी से बनी चीजें खरीदते हैं, जिसकी दीपावली वाले दिन पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन इन सामान की खरीदारी करना शुभ माना जाता है. दीपावाली से 2 दिन पहले आने वाले धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ-साथ यमराज की पूजा भी की जाती है.

धनतेरस को बाजारों में दिखी रौनक

भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता है. यह कहावत आज भी प्रचलित है 'पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में माया' इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है. जो भारतीय संस्कृति के हिसाब से बिल्कुल अनुकूल है.

राम मंडल के पंडित गोपीचंद शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अवतार हैं. संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था.

पढ़ें- दिवाली से पहले यात्रियों को रेलवे का तोहफा, अब उदयपुर-कोटा-उदयपुर स्पेशल ट्रेन का होगा संचालन

धनतेरस के मौके पर अजमेर के बाजारों में सुबह से ही लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी. शोरूम संचालक रोहन गांधी ने जानकारी देते हुए बताया कि धनतेरस के मौके पर बिक्री में बढ़ोत्तरी होती है. क्योंकि सभी लोग धनतेरस पर खरीदारी करना शुभ मानते हैं. वहीं उनका मानना है कि आज के दिन लगभग 20 से 30 लाख तक उनकी बिक्री पहुंच सकती है.

वहीं धनतेरस के दिन से ही लोग घरों के बाहर दीपक जलाना शुरू कर देते हैं. क्योंकि धनतेरस के मौके से दीपावली की शुरुआत हो जाती है. ऐसे में लोग अपने घरों के बाहर दीपक लगाकर रोशनी करते हैं और दीपावली के त्योहार का स्वागत करते हुए नजर आते हैं. घरों के बाहर दिये लगाना भी शुभ माना जाता है, जिससे दीपावली के मौके पर लक्ष्मी पूजन के साथ में चांदी व सोने के सामानों की पूजा भी की जाती है.

अजमेर. कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग बर्तन और सोना-चांदी से बनी चीजें खरीदते हैं, जिसकी दीपावली वाले दिन पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन इन सामान की खरीदारी करना शुभ माना जाता है. दीपावाली से 2 दिन पहले आने वाले धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ-साथ यमराज की पूजा भी की जाती है.

धनतेरस को बाजारों में दिखी रौनक

भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता है. यह कहावत आज भी प्रचलित है 'पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में माया' इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है. जो भारतीय संस्कृति के हिसाब से बिल्कुल अनुकूल है.

राम मंडल के पंडित गोपीचंद शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अवतार हैं. संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था.

पढ़ें- दिवाली से पहले यात्रियों को रेलवे का तोहफा, अब उदयपुर-कोटा-उदयपुर स्पेशल ट्रेन का होगा संचालन

धनतेरस के मौके पर अजमेर के बाजारों में सुबह से ही लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी. शोरूम संचालक रोहन गांधी ने जानकारी देते हुए बताया कि धनतेरस के मौके पर बिक्री में बढ़ोत्तरी होती है. क्योंकि सभी लोग धनतेरस पर खरीदारी करना शुभ मानते हैं. वहीं उनका मानना है कि आज के दिन लगभग 20 से 30 लाख तक उनकी बिक्री पहुंच सकती है.

वहीं धनतेरस के दिन से ही लोग घरों के बाहर दीपक जलाना शुरू कर देते हैं. क्योंकि धनतेरस के मौके से दीपावली की शुरुआत हो जाती है. ऐसे में लोग अपने घरों के बाहर दीपक लगाकर रोशनी करते हैं और दीपावली के त्योहार का स्वागत करते हुए नजर आते हैं. घरों के बाहर दिये लगाना भी शुभ माना जाता है, जिससे दीपावली के मौके पर लक्ष्मी पूजन के साथ में चांदी व सोने के सामानों की पूजा भी की जाती है.

Intro:अजमेर/ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है जहां इस दिन लोग बर्तन सोना चांदी से बनी चीजें खरीदते हैं जिसकी दिवाली वाले दिन पूजा-अर्चना की जाती है जिस दिन इन सामान की खरीदारी करना शुभ माना जाता है दीपावाली से 2 दिन पहले आने वाले इस पर्व का खास महत्व है धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ-साथ यमराज की पूजा भी की जाती है साल 2019 में धनतेरस 25 अक्टूबर को मनाई जा रही है

आखिर क्या बनाया जाता है धनतेरस का त्यौहार


भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता है यह कहावत आज भी प्रचलित है "पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में माया " इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है जो भारतीय संस्कृति के हिसाब से बिल्कुल अनुकूल है


राम मंडल के पंडित गोपीचंद शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुई मान्यता है कि भगवान धन्वंतरी विष्णु के अंशवतार है संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था जहां भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष में इस धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है


जहां धनतेरस के मौके पर अजमेर के बाजारों में सुबह से ही लोगों की भीड़ जमुना शुरू हो गई थी तो वहीं बाजारों में और दुकानों पर सामान खरीदने वालों की रौनक नजर आयी जहां शोरूम संचालक रोहन गांधी ने जानकारी देते हुए बताया कि धनतेरस के मौके पर बिक्री में बढ़ोतरी होती है क्योंकि सभी लोग धनतेरस पर खरीदारी करना शुभ मानते हैं तो वहीं उनका मानना है कि आज के दिन लगभग 20 से 30 लाख की खरीदारी उनकी पहुंच सकती है



वही धनतेरस के दिन से ही लोग घरों के बाहर दीपक जलाना शुरू कर देते हैं क्योंकि धनतेरस के मौके से दीपावली की शुरुआत हो जाती है तो ऐसे में लोग अपने घरों के बाहर दीपक लगाकर रोशनी करते हैं और दीपावली के त्यौहार का स्वागत करते हुए नजर आते हैं , घरों के बाहर दिए लगाना भी शुभ माना जाता है जिससे दीपावली के मौके पर सभी लक्ष्मी पूजन के साथ में चांदी व सोने के सामानों की पूजा भी करते हैं


बाईट-गोपीचंद्र शर्मा पंडित

बाईट-,रोहन गांधी शोरूम संचालक




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