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लोक आस्था का केंद्र खुंडियावास : श्रद्धालुओं की मान्यता- उनके दुख दूर करेंगे लोक देवता बाबा रामदेव - clay offerings

जो श्रद्धालु रामदेवरा नहीं जा पाते वे अजमेर के खुंडियावास (Khundiawas) में लोक देवता बाबा रामदेव (baba ramdev) के दर्शन करते हैं. बाबा रामदेव में लोगों की गहरी आस्था है. श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इस स्थान पर आकर उनके रोग, दुख-दर्द मिट जाएंगे. अपनी मनौतियां लेकर दूर-दूर से यहां आस्थावान आते हैं.

लोक आस्था का केंद्र खुंडियावास
लोक आस्था का केंद्र खुंडियावास
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Published : Aug 31, 2021, 7:35 PM IST

Updated : Aug 31, 2021, 10:26 PM IST

अजमेर. राजस्थान में लोक देवताओं को पूजा जाता है. मान्यता है कि बाबा रामदेव का जन्म राजस्थान की धरा पर हुआ. रामदेवरा के अलावा बाबा रामदेवजी का एक और स्थान अजमेर के खुंडियावास में भी है. कहा जाता है कि इस स्थान की मिट्टी खाने से रोग दूर हो जाते हैं.

अजमेर और नागौर की सीमा पर स्थित खुंडियावास में लोक देवता बाबा रामदेव मंदिर (Baba Ramdev Temple) है. माना जाता है कि जो श्रद्धालु रामदेवरा के दर्शन के लिए नहीं जा पाते वे खुंडियावास में बाबा रामदेव के दर्शन कर लें तो उन्हें उतना ही पुण्य मिलता है जितना रामदेवरा के दर्शन से प्राप्त होता है. बाबा रामदेवजी का मुख्य स्थान जैसलमेर में पोकरण के रामदेवरा (ramdevra) में है. रक्षाबंधन पर पूर्णिमा के दिन से अगली पूर्णिमा तक बाबा रामदेव का मेला हर साल भरता है.

अजमेर के खुंडियावास में है बाबा रामदेव का मंदिर

बाबा रामदेवजी के भक्त राजस्थान के अलावा हरियाणा, पंजाब, गुजरात सहित कई राज्यों में हैं. देशभर से बड़ी संख्या में लोग बाबा रामदेव के दर्शन के लिए रामदेवरा आते हैं. कई श्रद्धालु ऐसे हैं जो रामदेवरा के साथ-साथ खुंडियावास रामदेव मंदिर में भी दर्शन करने आते हैं. खुंडियावास में बाबा रामदेवजी के मंदिर के पास ही एक भक्त भोजराज गुर्जर (Bhakt Bhojraj Gurjar) की भी समाधि है. रामदेवरा पैदल जाने वाले यात्री इसी मार्ग से होकर जाते थे.

लोक आस्था का केंद्र खुंडियावास
अजमेर से उत्तर दिशा में करीब 35 km दूर है खुंडियावास बाबा रामदेव मंदिर

पढ़ें- SPECIAL : यहां नीम है भगवान देवनारायण का स्वरूप...पेड़ काटना तो दूर, एक टहनी तक तोड़ने पर पाबंदी

भक्त भोजराज की कहानी

कहा जाता है कि बूंदी जिले के लाखेरी तहसील में देवपुरा गांव में भोजराज गुर्जर नाम का एक व्यक्ति था. यह बाबा रामदेव का भक्त था और हर साल रामदेवरा की पदयात्रा करता था. भोजराज हर साल बाबा रामदेव के सालाना मेले में दंडवत करते हुए बूंदी से रामदेवरा जाता था. 24 वर्षों तक भोजराज हर साल इसी तरह पदयात्रा करता. 1986 में भक्त भोजराज दंडवत करते हुए रामदेवरा जा रहा था. कहा जाता है कि खुंडियावास में बाबा रामदेव ने अपने भक्त भोजराज को दर्शन दिये और कहा कि अब से रामदेवरा आने की जरूरत नहीं है, मैं खुद यहां आ गया हूं.

भोजराज गुर्जर ने उसी स्थान पर ध्वजा लगा दी. तब से भोजराज वहीं रहने लगा. उसने बाबा रामदेव के भक्तों के सहयोग से खुंडियावास में बाबा रामदेव का भव्य मंदिर बनवाया. मंदिर के सामने अपना आश्रम बनाया. खुंडियावास मंदिर में दर्शन करने वालों के लिये भोजराज भोजन का प्रबंध आश्रम में करता. धीरे-धीरे इस स्थान के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती गई. कहा जाता है कि भक्तों को यहां कई चमत्कार भी दिखे, श्रद्धालुओं के दुख-दर्द दूर होने लगे. भक्तों का आवागमन बढ़ा तो खुंडियास में बाबा रामदेव का वार्षिक मेला भरने लगा.

लोक आस्था का केंद्र खुंडियावास
भक्त भोजराज गुर्जर की समाधि

मंदिर के पुजारी सत्यनारायण बताते हैं कि खुंडियास बाबा रामदेव का मंदिर क्षेत्र पुष्कर का ही अरण्य क्षेत्र है. उन्होंने कहा कि भक्त भोजराज के प्रताप से ही खुंडियावास लोगों की आस्था का केंद्र बन गया. यहां आने वाले भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं.

पढ़ें- कृष्ण भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है पीतांबर की गाल, यहां 42 दिन श्रीनाथजी ने किया था विश्राम

भोजराज के समाधि स्थल की मिट्टी खाते हैं श्रद्धालु

खुंडियावास में बाबा रामदेव मंदिर में दर्शन करने के बाद श्रद्धालु अखंड धूनी के दर्शन करते है और भक्त भोजराज गुर्जर की समाधि की परिक्रमा करते हैं. मंदिर सेवा समिति के सदस्य बनाराम ने बताया कि श्रद्धालु समाधि के चारों ओर फैली मिट्टी को प्रसाद मानकर खा लेते हैं. साथ ही इस मिट्टी को शरीर पर भी मलते हैं. श्रद्धालु यहां की मिट्टी अपने साथ भी ले जाते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मिट्टी से उनके शारीरिक कष्ट दूर होते हैं.

लोक आस्था का केंद्र खुंडियावास
भक्त भोजराज गुर्जर ने की मंदिर स्थापना

श्रद्धालुओं ने सुनाए अपने अनुभव

मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से ईटीवी भारत ने बात की. उनका कहना है कि मंदिर में आरती के वक्त उन्हें विशेष अनुभूति होती है. श्रद्धालु अंजू ने बताया कि वह यहां 8 वर्ष से आ रही है. यहां आने से उसके सारे कार्य सिद्ध होते हैं. अंजू को विश्वास है कि उसका खोया हुआ बच्चा उसे मिल जाएगा. टोंक से आए श्रद्धालु दलपत सिंह कहते हैं कि उनकी बहन पर किसी ऊपरी छाया का प्रकोप था, यहां आने के बाद उसे काफी राहत मिली है. सवाई माधोपुर जिले से आए कैलाश ने बताया कि उन्होंने सपरिवार खुंडियावास की पदयात्रा की है. उन्हें यकीन है कि बाबा उन पर कृपा करेंगे.

ईटीवी भारत अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता. लेकिन खुंडियावास बाबा रामदेव मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं का दावा है कि यहां आकर उन्हें राहत मिलती है और उनके काम सिद्ध होते हैं. मान्यताओं, परंपराओं और अटूट विश्वासों के देश भारत में यही लोक रीतियां सदियों से चली आ रही है.

अजमेर. राजस्थान में लोक देवताओं को पूजा जाता है. मान्यता है कि बाबा रामदेव का जन्म राजस्थान की धरा पर हुआ. रामदेवरा के अलावा बाबा रामदेवजी का एक और स्थान अजमेर के खुंडियावास में भी है. कहा जाता है कि इस स्थान की मिट्टी खाने से रोग दूर हो जाते हैं.

अजमेर और नागौर की सीमा पर स्थित खुंडियावास में लोक देवता बाबा रामदेव मंदिर (Baba Ramdev Temple) है. माना जाता है कि जो श्रद्धालु रामदेवरा के दर्शन के लिए नहीं जा पाते वे खुंडियावास में बाबा रामदेव के दर्शन कर लें तो उन्हें उतना ही पुण्य मिलता है जितना रामदेवरा के दर्शन से प्राप्त होता है. बाबा रामदेवजी का मुख्य स्थान जैसलमेर में पोकरण के रामदेवरा (ramdevra) में है. रक्षाबंधन पर पूर्णिमा के दिन से अगली पूर्णिमा तक बाबा रामदेव का मेला हर साल भरता है.

अजमेर के खुंडियावास में है बाबा रामदेव का मंदिर

बाबा रामदेवजी के भक्त राजस्थान के अलावा हरियाणा, पंजाब, गुजरात सहित कई राज्यों में हैं. देशभर से बड़ी संख्या में लोग बाबा रामदेव के दर्शन के लिए रामदेवरा आते हैं. कई श्रद्धालु ऐसे हैं जो रामदेवरा के साथ-साथ खुंडियावास रामदेव मंदिर में भी दर्शन करने आते हैं. खुंडियावास में बाबा रामदेवजी के मंदिर के पास ही एक भक्त भोजराज गुर्जर (Bhakt Bhojraj Gurjar) की भी समाधि है. रामदेवरा पैदल जाने वाले यात्री इसी मार्ग से होकर जाते थे.

लोक आस्था का केंद्र खुंडियावास
अजमेर से उत्तर दिशा में करीब 35 km दूर है खुंडियावास बाबा रामदेव मंदिर

पढ़ें- SPECIAL : यहां नीम है भगवान देवनारायण का स्वरूप...पेड़ काटना तो दूर, एक टहनी तक तोड़ने पर पाबंदी

भक्त भोजराज की कहानी

कहा जाता है कि बूंदी जिले के लाखेरी तहसील में देवपुरा गांव में भोजराज गुर्जर नाम का एक व्यक्ति था. यह बाबा रामदेव का भक्त था और हर साल रामदेवरा की पदयात्रा करता था. भोजराज हर साल बाबा रामदेव के सालाना मेले में दंडवत करते हुए बूंदी से रामदेवरा जाता था. 24 वर्षों तक भोजराज हर साल इसी तरह पदयात्रा करता. 1986 में भक्त भोजराज दंडवत करते हुए रामदेवरा जा रहा था. कहा जाता है कि खुंडियावास में बाबा रामदेव ने अपने भक्त भोजराज को दर्शन दिये और कहा कि अब से रामदेवरा आने की जरूरत नहीं है, मैं खुद यहां आ गया हूं.

भोजराज गुर्जर ने उसी स्थान पर ध्वजा लगा दी. तब से भोजराज वहीं रहने लगा. उसने बाबा रामदेव के भक्तों के सहयोग से खुंडियावास में बाबा रामदेव का भव्य मंदिर बनवाया. मंदिर के सामने अपना आश्रम बनाया. खुंडियावास मंदिर में दर्शन करने वालों के लिये भोजराज भोजन का प्रबंध आश्रम में करता. धीरे-धीरे इस स्थान के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती गई. कहा जाता है कि भक्तों को यहां कई चमत्कार भी दिखे, श्रद्धालुओं के दुख-दर्द दूर होने लगे. भक्तों का आवागमन बढ़ा तो खुंडियास में बाबा रामदेव का वार्षिक मेला भरने लगा.

लोक आस्था का केंद्र खुंडियावास
भक्त भोजराज गुर्जर की समाधि

मंदिर के पुजारी सत्यनारायण बताते हैं कि खुंडियास बाबा रामदेव का मंदिर क्षेत्र पुष्कर का ही अरण्य क्षेत्र है. उन्होंने कहा कि भक्त भोजराज के प्रताप से ही खुंडियावास लोगों की आस्था का केंद्र बन गया. यहां आने वाले भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं.

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भोजराज के समाधि स्थल की मिट्टी खाते हैं श्रद्धालु

खुंडियावास में बाबा रामदेव मंदिर में दर्शन करने के बाद श्रद्धालु अखंड धूनी के दर्शन करते है और भक्त भोजराज गुर्जर की समाधि की परिक्रमा करते हैं. मंदिर सेवा समिति के सदस्य बनाराम ने बताया कि श्रद्धालु समाधि के चारों ओर फैली मिट्टी को प्रसाद मानकर खा लेते हैं. साथ ही इस मिट्टी को शरीर पर भी मलते हैं. श्रद्धालु यहां की मिट्टी अपने साथ भी ले जाते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मिट्टी से उनके शारीरिक कष्ट दूर होते हैं.

लोक आस्था का केंद्र खुंडियावास
भक्त भोजराज गुर्जर ने की मंदिर स्थापना

श्रद्धालुओं ने सुनाए अपने अनुभव

मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से ईटीवी भारत ने बात की. उनका कहना है कि मंदिर में आरती के वक्त उन्हें विशेष अनुभूति होती है. श्रद्धालु अंजू ने बताया कि वह यहां 8 वर्ष से आ रही है. यहां आने से उसके सारे कार्य सिद्ध होते हैं. अंजू को विश्वास है कि उसका खोया हुआ बच्चा उसे मिल जाएगा. टोंक से आए श्रद्धालु दलपत सिंह कहते हैं कि उनकी बहन पर किसी ऊपरी छाया का प्रकोप था, यहां आने के बाद उसे काफी राहत मिली है. सवाई माधोपुर जिले से आए कैलाश ने बताया कि उन्होंने सपरिवार खुंडियावास की पदयात्रा की है. उन्हें यकीन है कि बाबा उन पर कृपा करेंगे.

ईटीवी भारत अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता. लेकिन खुंडियावास बाबा रामदेव मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं का दावा है कि यहां आकर उन्हें राहत मिलती है और उनके काम सिद्ध होते हैं. मान्यताओं, परंपराओं और अटूट विश्वासों के देश भारत में यही लोक रीतियां सदियों से चली आ रही है.

Last Updated : Aug 31, 2021, 10:26 PM IST
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