अफसरों ने भुलाया...लेकिन, कर्मचारियों ने मनाया राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का 63 वां स्थापना दिवस - अजमेर न्यूज़
अजमेर में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का 63 वां स्थापना दिवस शनिवार को मंत्रालयिक कर्मचारी स्टाफ क्लब ने मनाया. वहीं, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में अवकाश की वजह से स्थापना दिवस पर बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारौली और सचिव अरविंद सेंगवा सहित एक भी अधिकारी उपस्थित नहीं हुआ. बता दें कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की स्थापना 1 अगस्त 1957 को हुई थी.
अजमेर. जिले में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की स्थापना 1 अगस्त 1957 को हुई थी. बोर्ड का 63 वर्ष का स्वर्णिम इतिहास रहा है. कोरोना संक्रमण काल मे परीक्षा आयोजित करवाकर एवं परीक्षा परिणाम जारी कर बोर्ड ने पूरे देश में अपनी धाक स्थापित की. इसके बावजूद बोर्ड अध्यक्ष एवं अधिकारी बोर्ड का स्थापना दिवस ही भूल गए. ऐसे में बोर्ड के मंत्रालयिक कर्मचारी स्टॉफ क्लब ने स्थापना दिवस मनाने की परंपरा को सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए मनाया.
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वहीं, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में अवकाश की वजह से स्थापना दिवस पर बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारौली और सचिव अरविंद सेंगवा सहित एक भी अधिकारी उपस्थित नहीं हुआ. बोर्ड के मंत्रालयिक कर्मचारी स्टॉफ क्लब ने बोर्ड का स्थापना दिवस मनाया. मंत्रालयिक कर्मचारी स्टाफ क्लब के सदस्यों ने बोर्ड कार्यालय में बोर्ड के चिन्ह के आगे एकत्रित हुए, जहां विद्या की देवी मां सरस्वती की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्ज्वलित किया गया. इसके बाद मां सरस्वती को मिठाई का भोग लगाकर कर्मचारियों ने एक- दूसरे को मिठाई खिलाकर स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं.
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण काल में परीक्षा आयोजन एवं जल्द परिणाम जारी कर वाहवाही लूटने वाले अधिकारी बोर्ड के स्थापना दिवस पर नदारद रहे. इसको लेकर कर्मचारियों में चर्चा का विषय रहा. बोर्ड कर्मचारी स्टॉफ क्लब के अध्यक्ष मोहन सिंह रावत ने कहा कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का गौरवमयी इतिहास रहा है. देशभर में बोर्ड की विशिष्ट पहचान है.
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मोहन सिंह रावत ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में एकमात्र राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सफलतापूर्वक परीक्षा का आयोजन करवाया और विषम परिस्थितियों में जल्द रिजल्ट जारी किया. यह कर्मचारियों की अथक मेहनत का ही नतीजा था. अफसरों के स्थापना दिवस के अवसर पर नहीं आने के सवाल पर रावत ने कहा कि अफसर तो आते-जाते रहते हैं. लेकिन, कर्मचारियों का बोर्ड से गहरा नाता है. बोर्ड पर हमें गर्व है. बोर्ड से ही हमारा परिवार चलता है.