अजमेर. जिले के भिनाय पंचायत समिति की पडंगा ग्राम पंचायत में दो भाइयों ने मिलकर विकास की वो इबारत लिख दी है, जो उन धनी लोगों के लिए नजीर बन गई है. जिनके पास दौलत तो है, लेकिन जनकल्याण के लिए वे उसका सदुपयोग नहीं करते. दोनों सगे भाइयों ने बिना किसी सरकारी मदद के स्वयं के खर्चे से पडंगा गांव को स्मार्ट विलेज बना दिया.
![राजस्थान हिंदी न्यूज, स्मार्ट विलेज पडंगा, Smart Village Padanga in ajmer, special story of etv bharat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7468306_aj2.png)
करीब 20 साल पहले की बात है. एक जैन परिवार पडंगा गांव से जयपुर के विराटनगर कस्बे में रहने को चला गया. सुनील जैन और बालचंद जैन इस परिवार का ही हिस्सा हैं. दोनों को गांव से इतना लगाव था कि विराटनगर चले जाने के बाद भी वे अपने गांव के बारे में ही सोचा करते थे. लेकिन परिस्थितियां बदली और व्यवसाय में व्यस्त होने के कारण दोनों की यह सोच एक सपना बन कर रह गई.
एक भाई बना सरपंच
शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. ग्राम पंचायत के चुनाव में ग्रामीणों ने एक भाई सुनील जैन को सरपंच का चुनाव लड़ने का आग्रह किया. सुनील को ग्रामीणों की यह राय काफी पसंद आई, लेकिन उनके 3 बच्चे थे. इस वजह से वो चुनाव नहीं लड़ सकते थे, इसलिए उन्होंने अपने भाई बालचंद को एक शर्त के साथ सरपंच का चुनाव लड़ने की सहमति दे दी. शर्त यह थी कि गांववालों को सरपंच, उपसरपंच और सभी पंचों को निर्विरोध ही चुनना होगा.
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ग्रामीणों ने शर्त मान ली और जिले में एक मात्र पडंगा ग्राम पंचायत ही ऐसी रही, जिसमें पूरे जनप्रतिनिधि निर्विरोध चुनाव जीते. सरपंच बनने के बाद बालचंद जैन और भाई सुनील जैन ने गांव के लिए कुछ करने की सपने को जैसे पंख लग गए.
भाइयों ने बदली गांव की सूरत
- गांव में सड़क, पानी, बिजली और नालियां जैसी मूलभूत सुविधा बिना किसी सरकारी मदद के खुद के खर्चे पर ही ग्रमीणों के लिए बनवाई.
- गांव की सड़क महज 7 किलोमीटर चौड़ी थी. जिसे और चौड़ा करवाया गया.
- बीसलपुर की पाइप लाइन गांव में थी, लेकिन ग्रामीणों को पानी की समस्या से जूझना ना पड़े. इसके लिए घर-घर नल लगवाएं.
- गांव में बिजली के खंभे थे, लेकिन स्ट्रीट लाइट स्वयं के खर्चे से लगवाई.
- जल आपूर्ति के लिए एक दर्जन हैंडपंप और 3 ट्यूबवेल भी खुदवाए.
- गांव के लोगों को ठंडा पानी पिलाने के लिए 3 वाटर कूलर भी गांव में अलग-अलग जगहों पर लगवाएं.
ग्रामीण बताते हैं कि सालों से अटके जिन कामों के लिए सरकारी मदद का इंतजार था. वह कार्य बिना सरकारी मदद के दोनों भाइयों ने पूरे कर दिए. गांव में पेयजल की बहुत बड़ी समस्या थी. लेकिन दोनों भाइयों ने समस्या को ही जड़ से मिटा दिया. गांव की हरियाली, स्वच्छता, सार्वजनिक श्मशान को अतिक्रमण से मुक्त करवाया. गांव में विभिन्न समाज के टूटे-फूटे पड़े मंदिरों को जीर्णोद्धार करवाया.
इन सबमें सबसे अहम कार्य था, गांव का मॉर्डन तालाब. जिसकी इन्होंने सूरत ही बदल कर रख दी. तालाब की पाल को ऊंचा करवाने के साथ ही पाल को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित कर दिया. अब यह देखने में ही काफी आकर्षक लगता है. शायद ही किसी गांव में आपको ऐसा पार्क और तालाब देखने को मिले.
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मां की मौत के बाद लिया ले प्रण
समाजसेवी सुनील जैन बताते हैं कि सालों पहले उनकी माता प्रेम देवी का देहांत अस्पताल में उस वक्त हुआ था, जब उन्हें अस्पताल में चिकित्सकों ने ड्रिप लगा रखी थी और उन्हें पानी पीने के लिए मना किया गया था. तब से ही उन्होंने ठान लिया कि ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाएंगे.
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वहीं उन्होंने बताया कि कुछ सालों पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के कई शहरों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट दिया. तब उनके मन में चाहत हुई की उनका गांव पडंगा भी स्मार्ट विलेज बने. बस इस सोच के साथ ही तब से अपने सपनों का गांव बनाने में दोनों भाई जुटे हुए हैं. गांव की मूलभूत सुविधा के साथ सौंदर्यीकरण को लेकर दोनों भाइयों ने कोई कमी नहीं छोड़ी.
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नहीं है कोई निजी स्वार्थ
गांव के सरपंच बाल चंद जैन कहते हैं कि पैतृक गांव के विकास की मन में हमेशा चाहत थी जो अब साकार हो रही है. उन्होंने कहा कि वे किसी राजनीति पार्टी से नहीं जुड़े हुए है और ना ही किसी पद की उन्हें लालसा हैं. उनका गांव और गांव के लोगों से बरसों से नाता रहा है. इस प्यार और मातृभूमि का कर्ज उतारने के लिए वो हमेशा गांव की उन्नति के लिए अग्रसर रहेंगे.
दोनों सगे भाइयों ने अपने व्यवसाय से खूब कमाया और इस कमाई का बड़ा हिस्सा उन्होंने अपने पैतृक गांव पडंगा को स्मार्ट विलेज बनाने में लगा दिया. दोनों भाइयों का यह पुनीत कार्य अब रूका नहीं है, बल्कि आगे भी निरंतर जारी है. इनकी मेहनत का ही यह फल है की आज यह गांव स्मार्ट विलेज है और दिनों दिन तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ता जा रहा है.