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स्पेशल स्टोरी: बहादुर शाह जफर के उर्स पर अजमेर में निर्मित चादर होगी पेश... भारत सरकार की ओर से जाएगी रंगून

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Published : Nov 15, 2019, 11:31 PM IST

अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर की मयमार के रंगून स्थित मजार पर 23 नवंबर को उनका 157वां उर्स आयोजित होगा। इसके लिए दरगाह कमेटी, दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज की ओर से तैयार करवाई गई विशेष चादर मजार पर पेश होगी।

Bahadur Shah Zafar Urs, बहादुर शाह जफर का 157वां उर्स,

अजमेर. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 10 दिसंबर 2018 में म्यांमार यात्रा के दौरान अजमेर में निर्मित चादर बहादुर शाह जफर की मजार पर पेश की थी. अजमेर में बनी चादर रंगून में बेहद पसंद की गई. इस बार भी अजमेर से ही चादर भेजने के लिए विशेष आग्रह किया गया है. बहादुर शाह जफर की मजार के उर्स सेलिब्रेशन कमेटी के चेयरमैन अलहाज ने ये विशेष आग्रह किया था. लिहाजा चादर को राजस्थानी टच देते हुए बनवाया गया है.

स्पेशल स्टोरी: बहादुर शाह जफर के उर्स पर अजमेर में निर्मित चादर होगी पेश

जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा ने बताया कि यह अजमेर के लिए गर्व की बात है कि यहां से दूसरी बार चादर बहादुर शाह जफर की मजार पर जा रही है. वहीं दरगाह कमेटी के नाजिम शकील अहमद ने बताया कि बहादुर शाह जफर की मजार पर पेश की जाने वाली चादर शनिवार को दिल्ली में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को सौंप दी जाएगी. जहां से चादर म्यांमार भारतीय दूतावास जाएगी. वहां भारतीय दूतावास के अधिकारी 23 नवंबर को बहादुर शाह जफर के उर्स के मौके पर अजमेर से भेजी गई विशेष चादर को मजार पर पेश करेंगे.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: कोटा में 'मुद्रा भंडार', एडवोकेट शैलेश के पास है 2500 सालों के प्रचलित सिक्के और मोहरें

अजमेर में चादर को तैयार करने वाले कारीगर मोहम्मद लियाकत बताते हैं कि उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी अजमेर दरगाह के लिए चादर बनाता आ रहा है. यह उनके लिए फक्र की बात है कि उनका हुनर देश के लिए काम आ रहा है. उनके द्वारा बनाई गई चादर म्यांमार के रंगून में अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की मजार पर पेश होगी. उन्होंने बताया कि इस बार तैयार की गई चादर का वजन 2 किलो 600 ग्राम है. इसमें नारंगी और नीले रंग के बनारसी सिल्क के कपड़े पर राजस्थानी बंधेज का कार्य किया गया है. चादर 6 फीट चौड़ी और 8 फीट लंबी है. चादर को सुंदर मोतियों से सजाया गया है वहीं कोनों पर गोटे का कार्य किया गया है.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: मिट्टी के मुखौटों ने बढ़ा दिया मान, आदिवासी बहुल सियावा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिलाई पहचान

बता दें कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई 1857 की जंग में अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने भी सहयोग किया था. इस कारण उन्हें अंग्रेजी हुकूमत का कोप झेलना पड़ा, बल्कि उन्हें रंगून ले जाकर कैद कर लिया गया. वही पर बहादुर शाह जफर ने अंतिम सांस ली थी. कैद में रहते हुए 7 नवंबर 1862 में बहादुर शाह जफर का निधन हो गया था. बहादुर शाह जफर शायर भी थे. उन्होंने अपने एक शेर में अपना दर्द बयां किया था.

कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में

अजमेर में तैयार की गई चादर दूसरी बार रंगून में बहादुर शाह जफर की मजार पर पेश होगी. अजमेर का म्यांमार से नए रिश्ते का यह सूत्र अब बन गया है.

अजमेर. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 10 दिसंबर 2018 में म्यांमार यात्रा के दौरान अजमेर में निर्मित चादर बहादुर शाह जफर की मजार पर पेश की थी. अजमेर में बनी चादर रंगून में बेहद पसंद की गई. इस बार भी अजमेर से ही चादर भेजने के लिए विशेष आग्रह किया गया है. बहादुर शाह जफर की मजार के उर्स सेलिब्रेशन कमेटी के चेयरमैन अलहाज ने ये विशेष आग्रह किया था. लिहाजा चादर को राजस्थानी टच देते हुए बनवाया गया है.

स्पेशल स्टोरी: बहादुर शाह जफर के उर्स पर अजमेर में निर्मित चादर होगी पेश

जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा ने बताया कि यह अजमेर के लिए गर्व की बात है कि यहां से दूसरी बार चादर बहादुर शाह जफर की मजार पर जा रही है. वहीं दरगाह कमेटी के नाजिम शकील अहमद ने बताया कि बहादुर शाह जफर की मजार पर पेश की जाने वाली चादर शनिवार को दिल्ली में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को सौंप दी जाएगी. जहां से चादर म्यांमार भारतीय दूतावास जाएगी. वहां भारतीय दूतावास के अधिकारी 23 नवंबर को बहादुर शाह जफर के उर्स के मौके पर अजमेर से भेजी गई विशेष चादर को मजार पर पेश करेंगे.

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अजमेर में चादर को तैयार करने वाले कारीगर मोहम्मद लियाकत बताते हैं कि उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी अजमेर दरगाह के लिए चादर बनाता आ रहा है. यह उनके लिए फक्र की बात है कि उनका हुनर देश के लिए काम आ रहा है. उनके द्वारा बनाई गई चादर म्यांमार के रंगून में अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की मजार पर पेश होगी. उन्होंने बताया कि इस बार तैयार की गई चादर का वजन 2 किलो 600 ग्राम है. इसमें नारंगी और नीले रंग के बनारसी सिल्क के कपड़े पर राजस्थानी बंधेज का कार्य किया गया है. चादर 6 फीट चौड़ी और 8 फीट लंबी है. चादर को सुंदर मोतियों से सजाया गया है वहीं कोनों पर गोटे का कार्य किया गया है.

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बता दें कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई 1857 की जंग में अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने भी सहयोग किया था. इस कारण उन्हें अंग्रेजी हुकूमत का कोप झेलना पड़ा, बल्कि उन्हें रंगून ले जाकर कैद कर लिया गया. वही पर बहादुर शाह जफर ने अंतिम सांस ली थी. कैद में रहते हुए 7 नवंबर 1862 में बहादुर शाह जफर का निधन हो गया था. बहादुर शाह जफर शायर भी थे. उन्होंने अपने एक शेर में अपना दर्द बयां किया था.

कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में

अजमेर में तैयार की गई चादर दूसरी बार रंगून में बहादुर शाह जफर की मजार पर पेश होगी. अजमेर का म्यांमार से नए रिश्ते का यह सूत्र अब बन गया है.

Intro:अजमेर। अंतिम मुगल ताजदार बहादुर शाह जफर की मयमार के रंगून स्थित मजार पर 23 नवंबर को उनका 157 वा फोर्स आयोजित होगा। इसके लिए दरगाह कमेटी, दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज की ओर से तैयार करवाई गई विशेष चादर मजार पर पेश होगी।

अंग्रेजो के खिलाफ लड़ी गई 1857 की जंग में अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने भी सहयोग किया था। इस कारण उन्हें अंग्रेजी हुकूमत का कोप झेलना पड़ा बल्कि उन्हें रंगून ले जाकर कैद कर लिया गया। वही पार बहादुर शाह जफर ने अंतिम सांस ली थी। कैद में रहते हुए 7 नवंबर 18 सो 62 में बहादुर शाह जफर का निधन हो गया था। बहादुर शाह जफर शायर भी थे। उन्होंने अपने एक शेर में अपना दर्द बयां किया था।
कितना है बद - नसीब 'जफर' दफन के लिए
दो गज जमीन भी ना मिली कु-ए यार में

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 10 दिसंबर 2018 में म्यामांर यात्रा के दौरान अजमेर में निर्मित चादर बहादुर शाह जफर की मजार पर पेश की थी। अजमेर में बनी चादर रंगून में बेहद पसंद की गई। इस बार भी अजमेर से ही चादर भेजने के लिए विशेष आग्रह बहादुर शाह जफर की मजार के उर्स सेलिब्रेशन कमेटी के चेयरमैन अलहाज ने किया था। लिहाजा चादर को राजस्थानी टच देते हुए बनवाया गया है। जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा ने बताया कि यह अजमेर के लिए गर्व की बात है कि यहां से दूसरी बार चादर बहादुर शाह जफर की मजार पर जा रही है....
बाइट- विश्व मोहन शर्मा कलेक्टर अजमेर

दरगाह कमेटी के नाजिम शकील अहमद ने बताया कि बहादुर शाह जफर की मजार पर पेश की जाने वाली चादर शनिवार को दिल्ली में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को सौंप दी जाएगी। जहां से चादर मयमार भारतीय दूतावास जाएगी वहां भारतीय दूतावास के अधिकारी 23 नवंबर को बहादुर शाह जफर के उर्स के मौके पर अजमेर से भेजी गई विशेष चादर को मजार पर पेश करेंगे.....
बाइट शकील अहमद नाजिम दरगाह कमेटी

अजमेर में चादर को तैयार करने वाले कारीगर मोहम्मद लियाकत बताते हैं कि उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी अजमेर दरगाह के लिए चादर बनाता आ रहा है। यह उनके लिए फक्र की बात है कि उनका हुनर देश के लिए काम आ रहा है। उनके द्वारा बनाई गई चादर मयमार के रंगून में अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की मजार पर पेश होगी। उन्होंने बताया कि इस बार तैयार की गई चादर का वजन 2 किलो 600 ग्राम है। इसमें नारंगी और नीले रंग के बनारसी सिल्क के कपड़े पर राजस्थानी बंधेज का कार्य किया गया है। चादर 6 फीट चौड़ी और 8 फीट लंबी है।
चादर को सुंदर मोतियों से सजाया गया है वहीं कौनो पर गोटे का कार्य किया गया है....
बाइट- मोहम्मद लियाकत- कारीगर

अजमेर में तैयार की गई चादर दूसरी बार रंगून में बहादुर शाह जफर की मजार पर पेश होगी। अजमेर का मयमार से नए रिश्ते का यह सूत्र अब बन गया है।




Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


Conclusion:
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