अजमेर. कोरोना महामारी से जहां एक तरफ पूरा देश जूझ रहा है. वहीं अब सरकारों ने अपने-अपने क्षेत्र में अलग-अलग व्यापारियों को राहत देना शुरू कर दिया है. लेकिन एक व्यापार ऐसा भी है, जिसे कहने के लिए तो छूट मिली है. लेकिन वह छूट ही उसके व्यापार को ठप कर रही है. हम बात कर रहे हैं होटल, रेस्टोरेंट, कैफे की. यहां सरकार ने छूट तो दे दी है, लेकिन इन्हें छूट सिर्फ Take Away ऑर्डर पर ही दी गई है.
इस ऑर्डर के चलते ग्राहक उनके पास नहीं आ पा रहे और उनका व्यापार भी ठप पड़ा हुआ है, जिस तरह से Hotel संचालकों के द्वारा काफी लोगों को रोजगार दिया जाता है. लेकिन इस पाबंदी के चलते, जो होटलों और रेस्टोरेंट में वेटर कार्य करते हैं, उन्हें भी काम नहीं मिल पा रहा है. वहीं खाने की डिलीवरी पर भी लोगों में खास रुचि नहीं दिखाई दे रही है. ऐसे में होटल और रेस्टोरेंट मालिक कैसे अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाएंगे, यह सोचने वाली बात है. वहीं अब लोगों की नजर सरकार के अगले आदेशों पर टिकी है कि कब उन्हें पहले की तरह राहत प्रदान की जाएगी.
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रेस्टोरेंट्स व्यापारी कमल प्रकाश किशनानी ने बताया कि मई और जून के महीने में छुट्टियां रहने की वजह से काफी भीड़ रेस्टोरेंट में देखी जाती है, जिसके चलते व्यापार भी काफी अधिक रहता है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते उनकी कमर टूट चुकी है. ना तो व्यापार हो पा रहा है और ना ही कर्मचारी रेस्टोरेंट में मौजूद हैं. कोरोना महामारी के चलते रेस्टोरेंट्स में कार्य करने वाले कर्मचारी भी लगातार पलायन कर रहे हैं. ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति भी बिगड़ने लगी है, जिसके चलते रेस्टोरेंट व्यापारियों को करोड़ों रुपए का घाटा हुआ है.
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नहीं मिली सरकार से राहत
रेस्टोरेंट्स संचालकों को सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की राहत प्रदान नहीं की गई, जिस तरह से उन्हें उम्मीद थी कि सरकार लगभग लॉकडाउन 5.0 में राहत देते हुए एक बार फिर से सुचारू रूप से रेस्टोरेंट खोलने की अनुमति देगी. लेकिन उनकी उम्मीद पर पूरी तरह से पानी फिर गया. अब ऐसे में कई रेस्टोरेंट तो बंद हो चुके हैं, क्योंकि Take Away भी शुरू करने के लिए सभी चीजों को व्यवस्थित करना होगा. इसके लिए व्यापार होने से ज्यादा खर्चा वहन करने में व्यापारियों को नुकसान हो रहा है.
किशनानी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 8 जून को रेस्टोरेंट को राहत देने की बात की गई थी. लेकिन राजस्थान सरकार द्वारा किसी तरह की भी राहत प्रदान नहीं की गई. ऐसे में रेस्टोरेंट व्यापारियों के साथ-साथ श्रमिकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में इस व्यापार को काफी नुकसान पहुंचने वाला है.
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Take Away में केवल 10 से 12 ऑर्डर
गिरीश कुमार की मानें तो रोजाना केवल 10 से 12 ऑर्डर ही निकल पाते हैं. पहले के मुकाबले सेल में काफी फर्क आया है. क्योंकि लोगों में लगातार अभी तक डर बना हुआ है. जब तक लोगों में डर समाप्त नहीं होगा, तब तक रस्टोरेंट व्यापारियों की सेलिंग में फर्क नहीं आएगा. गौरतलब है कि ऐसे में रेस्टोरेंट्स व्यापारियों की कमर पूरी तरह से टूट चुकी है. रेस्टोरेंट संचालकों को नुकसान के साथ-साथ रेस्टोरेंट बंद करने की नौबत आन पड़ी है.
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बंद होने के कगार पर होटल
बता दें कि शहर में लगभग 200 से 300 रेस्टोरेंट संचालित होते हैं, जिसमें से काफी रेस्टोरेंट बंद हो चुके हैं. क्योंकि उनके रेस्टोरेंट में किसी भी तरह की Take Away की सुविधा शुरू नहीं की गई है. व्यापारियों की मानें तो उन्हें नुकसान के साथ-साथ काफी घाटा भी हुआ है. कई व्यापारियों ने तो रेस्टोरेंट बंदकर दूसरे व्यापार शुरू कर दिए हैं. क्योंकि आने वाले समय में लगता है कि सबसे ज्यादा कोरोना की मार व्यापार पर पड़नी है.