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SPECIAL : बुनियादी शिक्षा पर कोरोना का वज्रपात जारी...कैसे होगा बच्चों का बौद्धिक विकास

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Published : Apr 6, 2021, 7:21 PM IST

Updated : Apr 6, 2021, 10:59 PM IST

कोरोना महामारी का संकट टला नही है बल्कि दोगुनी रफ्तार से संक्रमण फैल रहा है. एक वर्ष के कोरोना काल में शिक्षा पर गहरा आघात पंहुचा है. सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान कर तहत बच्चों को शिक्षा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाए. निजी स्कूलों ने भी ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखा. इन सबके बावजूद विद्यार्थियों का मानसिक विकास अवरुद्ध हुआ है.

School closed due to Corona,  Impact on basic education
बुनियादी शिक्षा पर कोरोना का असर

अजमेर. शिक्षा के प्रति लोगों में आई जागरुकता की वजह से सरकारी स्कूलों में भी नामांकन संतोषजनक स्थिति में पहुच रहा था. 23 मार्च 2020 को देश में वैश्विक कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन हुआ तो इसका जबरदस्त असर शिक्षा पर पड़ा. रिपोर्ट देखिये...

बुनियादी शिक्षा पर कोरोना का असर

लंबे लॉकडाउन के बाद 18 जनवरी 2021 को स्कूल खोले गए. लेकिन कक्षा 9 से 12 तक की ही क्लास शुरू की गई. इस लंबी अवधि के दौरान बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा. अभिभावक बताते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई उतनी कारगर साबित नहीं हो रही है. इससे ज्यादा नुकसान बच्चों को हो रहा है. बच्चे मोबाइल पर दूसरी चीजें देखने के आदी बन चुके हैं. बच्चों की मानसिक स्थिति पहले जैसी नहीं रही है.

School closed due to Corona,  Impact on basic education
कब तक स्कूल रहेंगे बंद, तय नहीं

अभिभावकों ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों ने फीस के लिए दबाव बनाया. यदि कुछ जरूरी जानकारी स्कूल से मांगी जाती है तो पहले फीस जमा कराने की बात कही जाती है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है. स्कूल कब खुलेंगे इसका भी कोई अनुमान नहीं है. इसका विपरीत असर बच्चों पर पड़ रहा है. 8 फरवरी 2021 में राज्य सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार 6 से 12 वीं कक्षा तक स्कूल खोले गए. लेकिन 1 से 5 वी तक के विद्यार्थी घर पर ही रहे जो आज भी घर पर ही हैं. 1 से 8 वीं तक की शिक्षा को बुनियादी माना जाता है. इस समय जो कुछ पढ़ा और समझा है, वह आगे भी काम आता है. लेकिन कोरोना ने बुनियादी शिक्षा पर ही आघात कर दिया है.

पढ़ें- बाड़मेर: निजी स्कूल उड़ा रहे हैं कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां, रोक के बाद भी संचालित हो रही हैं कक्षाएं

कोरोना महामारी के दौरान बच्चे घर पर ही कर रहे हैं. ऐसे में उनके स्वभाव में भी परिवर्तन आ गया है. स्कूल में बच्चे शिक्षक, स्टडी मैटेरियल और सहपाठियों से सीखते हैं. लेकिन यहां सीखने की स्थिति अवरोध हो गई है. अब केवल ऑनलाइन शिक्षा के आधार पर ही बच्चों को महज शिक्षा से जुड़े रखने का प्रयास हो रहा है. अजमेर की बात करें तो जिले में 3 हजार 334 सरकारी और गैर सरकारी स्कूल हैं. इनमें 1846 सरकारी एवं 1488 प्राइवेट स्कूल हैं. वर्तमान में राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में नवीं तक की कक्षाएं बन्द कर दी हैं.

School closed due to Corona,  Impact on basic education
ऑनलाइन शिक्षा से नहीं हो पा रहा बच्चों का समग्र विकास

शिक्षा विभाग में संयुक्त निदेशक अजय गुप्ता ने कहा कि कोविड 19 की वजह से विद्यार्थियों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है. राज्य सरकार ने दूरदर्शन पर शिक्षा दर्शन, रेडियो पर शिक्षा वाणी और एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर स्माइल कार्यक्रम के तहत बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखा. सब जानते हैं कि सरकारी स्कूलों में गरीब तबके के विद्यार्थी पढ़ते हैं अधिकांश अभिभावकों के पास एंड्राइड मोबाइल तो दूर की बात घर में टीवी तक नहीं है. ऐसे में हजारों बच्चे शिक्षा से नहीं जुड़ पाए.

School closed due to Corona,  Impact on basic education
हजारों निजी स्कूल हुई बंद

इधर निजी स्कूलों में भी ऑनलाइन क्लासेज के जरिए अपने विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़े रखा. लेकिन सही मायने में विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़े रखने का प्रयास कम और फीस के लिए भूमिका तैयार करने का माध्यम बन गया. यही वजह रही कि ग्रामीण और कस्बों में सरकारी स्कूलों में नामांकन पहले की तुलना में बढ़ गया है. लोगों को लगने लगा है कि जब ऑनलाइन क्लास से ही पढ़ना है तो फिर सरकारी स्कूल में क्यों नहीं. निजी स्कूलों के मुकाबले में सरकारी स्कूलों की फीस काफी कम है. शिक्षा विभाग का कार्य सरकार से मिली गाइडलाइन के अनुसार व्यवस्थाएं देना.

School closed due to Corona,  Impact on basic education
स्कूलें लंबे समय से पड़ी हैं बंद

बुनियादी शिक्षा पर कोरोना के वज्रपात ने बच्चों के मानसिक स्तर को भी कम किया है. अभिभावकों कि अपनी मजबूरियां हैं. वहीं शिक्षा व्यवसाय से जुड़े लोगों की अपनी परेशानियां हैं. अजमेर में कोरोना काल के दौरान एक भी निजी स्कूल संचालक ने संस्था को पूरी तरह से बंद नहीं किया. राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश चंद शर्मा ने बताया कि अजमेर में कोरोना काल में देहात क्षेत्रों में काफी स्कूल है बंद हो गई हैं.

पढ़ें - कोरोना का खौफ: सरकार ने शहरी इलाकों में कक्षा 6 से 9 तक स्कूल फिर किए बंद, ग्रामीण इलाकों के स्कूल पर जल्द होगा फैसला

40 फ़ीसदी निजी स्कूल ग्रामीण और छोटे कस्बों में किराए की बिल्डिंगों में चलती है. कोरोना की वजह से सरकार ने स्कूली बंद कर दी जिससे अभिभावकों ने भी फीस देना बंद कर दिया. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 100 फ़ीसदी वसूल करने के आदेश दिए थे. लेकिन सरकार ने इन आदेशों के क्रम में फीस वसूली को लेकर कोई निर्देश जारी नहीं किए.

School closed due to Corona,  Impact on basic education
कक्षा 1 से 9 तक के बच्चे घर

स्कूल का किराया बिजली पानी और स्टाफ का वेतन संचालक को देना होता है. लेकिन फीस नहीं मिलने से सभी निजी स्कूलों आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं. सरकार ने वर्ष 2020-21 का आरटीई का पैसा भी नहीं दिया है. सरकार की ओर से निम्न और मध्यम वर्गीय स्कूलों को कोई सहायता नहीं मिली है.

कोरोना का संकट टला नहीं है. यह संकट कब तक बना रहेगा इसका पूर्वानुमान लगाना भी मुश्किल है. ऐसे में सबसे ज्यादा मुश्किल बच्चों की बुनियादी शिक्षा पर पड़ रही है. एक वर्ष बीत चुका है और आगे भी कोरोना खड़ा है.

अजमेर. शिक्षा के प्रति लोगों में आई जागरुकता की वजह से सरकारी स्कूलों में भी नामांकन संतोषजनक स्थिति में पहुच रहा था. 23 मार्च 2020 को देश में वैश्विक कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन हुआ तो इसका जबरदस्त असर शिक्षा पर पड़ा. रिपोर्ट देखिये...

बुनियादी शिक्षा पर कोरोना का असर

लंबे लॉकडाउन के बाद 18 जनवरी 2021 को स्कूल खोले गए. लेकिन कक्षा 9 से 12 तक की ही क्लास शुरू की गई. इस लंबी अवधि के दौरान बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा. अभिभावक बताते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई उतनी कारगर साबित नहीं हो रही है. इससे ज्यादा नुकसान बच्चों को हो रहा है. बच्चे मोबाइल पर दूसरी चीजें देखने के आदी बन चुके हैं. बच्चों की मानसिक स्थिति पहले जैसी नहीं रही है.

School closed due to Corona,  Impact on basic education
कब तक स्कूल रहेंगे बंद, तय नहीं

अभिभावकों ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों ने फीस के लिए दबाव बनाया. यदि कुछ जरूरी जानकारी स्कूल से मांगी जाती है तो पहले फीस जमा कराने की बात कही जाती है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है. स्कूल कब खुलेंगे इसका भी कोई अनुमान नहीं है. इसका विपरीत असर बच्चों पर पड़ रहा है. 8 फरवरी 2021 में राज्य सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार 6 से 12 वीं कक्षा तक स्कूल खोले गए. लेकिन 1 से 5 वी तक के विद्यार्थी घर पर ही रहे जो आज भी घर पर ही हैं. 1 से 8 वीं तक की शिक्षा को बुनियादी माना जाता है. इस समय जो कुछ पढ़ा और समझा है, वह आगे भी काम आता है. लेकिन कोरोना ने बुनियादी शिक्षा पर ही आघात कर दिया है.

पढ़ें- बाड़मेर: निजी स्कूल उड़ा रहे हैं कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां, रोक के बाद भी संचालित हो रही हैं कक्षाएं

कोरोना महामारी के दौरान बच्चे घर पर ही कर रहे हैं. ऐसे में उनके स्वभाव में भी परिवर्तन आ गया है. स्कूल में बच्चे शिक्षक, स्टडी मैटेरियल और सहपाठियों से सीखते हैं. लेकिन यहां सीखने की स्थिति अवरोध हो गई है. अब केवल ऑनलाइन शिक्षा के आधार पर ही बच्चों को महज शिक्षा से जुड़े रखने का प्रयास हो रहा है. अजमेर की बात करें तो जिले में 3 हजार 334 सरकारी और गैर सरकारी स्कूल हैं. इनमें 1846 सरकारी एवं 1488 प्राइवेट स्कूल हैं. वर्तमान में राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में नवीं तक की कक्षाएं बन्द कर दी हैं.

School closed due to Corona,  Impact on basic education
ऑनलाइन शिक्षा से नहीं हो पा रहा बच्चों का समग्र विकास

शिक्षा विभाग में संयुक्त निदेशक अजय गुप्ता ने कहा कि कोविड 19 की वजह से विद्यार्थियों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है. राज्य सरकार ने दूरदर्शन पर शिक्षा दर्शन, रेडियो पर शिक्षा वाणी और एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर स्माइल कार्यक्रम के तहत बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखा. सब जानते हैं कि सरकारी स्कूलों में गरीब तबके के विद्यार्थी पढ़ते हैं अधिकांश अभिभावकों के पास एंड्राइड मोबाइल तो दूर की बात घर में टीवी तक नहीं है. ऐसे में हजारों बच्चे शिक्षा से नहीं जुड़ पाए.

School closed due to Corona,  Impact on basic education
हजारों निजी स्कूल हुई बंद

इधर निजी स्कूलों में भी ऑनलाइन क्लासेज के जरिए अपने विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़े रखा. लेकिन सही मायने में विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़े रखने का प्रयास कम और फीस के लिए भूमिका तैयार करने का माध्यम बन गया. यही वजह रही कि ग्रामीण और कस्बों में सरकारी स्कूलों में नामांकन पहले की तुलना में बढ़ गया है. लोगों को लगने लगा है कि जब ऑनलाइन क्लास से ही पढ़ना है तो फिर सरकारी स्कूल में क्यों नहीं. निजी स्कूलों के मुकाबले में सरकारी स्कूलों की फीस काफी कम है. शिक्षा विभाग का कार्य सरकार से मिली गाइडलाइन के अनुसार व्यवस्थाएं देना.

School closed due to Corona,  Impact on basic education
स्कूलें लंबे समय से पड़ी हैं बंद

बुनियादी शिक्षा पर कोरोना के वज्रपात ने बच्चों के मानसिक स्तर को भी कम किया है. अभिभावकों कि अपनी मजबूरियां हैं. वहीं शिक्षा व्यवसाय से जुड़े लोगों की अपनी परेशानियां हैं. अजमेर में कोरोना काल के दौरान एक भी निजी स्कूल संचालक ने संस्था को पूरी तरह से बंद नहीं किया. राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश चंद शर्मा ने बताया कि अजमेर में कोरोना काल में देहात क्षेत्रों में काफी स्कूल है बंद हो गई हैं.

पढ़ें - कोरोना का खौफ: सरकार ने शहरी इलाकों में कक्षा 6 से 9 तक स्कूल फिर किए बंद, ग्रामीण इलाकों के स्कूल पर जल्द होगा फैसला

40 फ़ीसदी निजी स्कूल ग्रामीण और छोटे कस्बों में किराए की बिल्डिंगों में चलती है. कोरोना की वजह से सरकार ने स्कूली बंद कर दी जिससे अभिभावकों ने भी फीस देना बंद कर दिया. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 100 फ़ीसदी वसूल करने के आदेश दिए थे. लेकिन सरकार ने इन आदेशों के क्रम में फीस वसूली को लेकर कोई निर्देश जारी नहीं किए.

School closed due to Corona,  Impact on basic education
कक्षा 1 से 9 तक के बच्चे घर

स्कूल का किराया बिजली पानी और स्टाफ का वेतन संचालक को देना होता है. लेकिन फीस नहीं मिलने से सभी निजी स्कूलों आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं. सरकार ने वर्ष 2020-21 का आरटीई का पैसा भी नहीं दिया है. सरकार की ओर से निम्न और मध्यम वर्गीय स्कूलों को कोई सहायता नहीं मिली है.

कोरोना का संकट टला नहीं है. यह संकट कब तक बना रहेगा इसका पूर्वानुमान लगाना भी मुश्किल है. ऐसे में सबसे ज्यादा मुश्किल बच्चों की बुनियादी शिक्षा पर पड़ रही है. एक वर्ष बीत चुका है और आगे भी कोरोना खड़ा है.

Last Updated : Apr 6, 2021, 10:59 PM IST
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