अजमेर. संभाग के सबसे बड़े और पुराने सम्राट राजकीय पृथ्वीराज चौहान महाविद्यालय (जीसीए) कॉलेज काफी प्रतिष्ठित कॉलेज है. सवाल कॉलेज की प्रतिष्ठा का नहीं है. बल्कि मातृभाषा जिसे राजभाषा का दर्जा भी मिला हुआ है. आज उसी पर ईटीवी भारत में हिंदी दिवस के अवसर पर कॉलेज विद्यार्थियों का हिंदी भाषा को लेकर रियलिटी चेक किया. विद्यार्थियों से वही सवाल पूछे गए जिनके साथ विद्यार्थी हर रोज रहते हैं. मसलन कंप्यूटर, मोबाइल को हिंदी में क्या कहते हैं.
विद्यार्थियों को यह भी नहीं पता कि आज हिंदी दिवस है
चौंकाने वाली बात यह नहीं है कि कंप्यूटर और मोबाइल का विद्यार्थी हिंदी अर्थ नहीं जानते बल्कि हैरान कर देने वाली बात यह सामने आई कि अधिकांश विद्यार्थियों को यह भी नहीं पता कि आज हिंदी दिवस है. इस पूरी रियलिटी चेक में लगा कि मोबाइल और कंप्यूटर की जनरेशन में विद्यार्थी मातृभाषा हिंदी का बेसिक भी भूलते जा रहे हैं. मोबाइल और कंप्यूटर पर ज्यादा हिंदी भाषा में सर्च करना अच्छी बात है लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है मातृभाषा हिंदी की बुनियादी शिक्षा को बरकरार रखना. यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और भी सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का ज्ञान नहीं है.
हिंदी की वर्णमाला भी बच्चों को याद नहीं
विद्यार्थियों को एबीसीडी आती है. लेकिन बहुत ही कम विद्यार्थी हैं जिन्हें हिंदी की वर्णमाला आती हो. रियलिटी चेक में जब एक विद्यार्थी से प्रश्न किया जा रहा था तो शेष विद्यार्थी प्रश्नों से कतरा कर दूर जा रहे थे. सवाल यह नहीं है कि कॉलेज के विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का ज्ञान नहीं है. सवाल यह है कि प्राथमिक शिक्षा से लेकर कॉलेज शिक्षा तक विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का ज्ञान किस प्रकार का दिया गया है. सरकारी दावों और आंकड़ों से हिंदी भाषा के विकास की सार्थकता पूरी नहीं हो जाती. मातृभाषा हिंदी को बढ़ावा देने की बड़ी-बड़ी बातें की जाती है. मगर शिक्षा में ही मातृभाषा हिंदी का यह हाल है कि कॉलेज के विद्यार्थियों को हिंदी का बेसिक नॉलेज भी नहीं है.
पढ़ें- हिंदी दिवस पर बच्चों का भाषा पर रियलिटी चेक
हिंदी भाषा के प्रति विद्यार्थियों को संस्कारवान और गुणवान बनाना
जीसीए कॉलेज में हिंदी दिवस मनाया गया. ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक के क्रम में कॉलेज के प्राचार्य मुन्ना लाल अग्रवाल को रियलिटी चेक और उसके परिणाम के बारे में बताया. अग्रवाल ने ईटीवी भारत से सहमत होते हुए माना कि अभी तक शिक्षकों और अभिभावकों द्वारा विद्यार्थियों में जागृति नहीं लाई गई कि विद्यार्थी हिंदी को समझने, सीखने और बोलने के लिए अग्रसर होते. इसके लिए समाज में चेतना लानी होगी. हिंदी भाषा के प्रति विद्यार्थियों को संस्कारवान और गुणवान बनाना है. सभी मिलकर सकारात्मक प्रयास करेंगे तो निश्चित रूप से हम सफल होंगे.