अजमेर. कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. इसी बीच लंबे समय से शिक्षण संस्थान बंद हैं. ऐसे में शिक्षण संस्थानों से जुड़े हुए सभी वर्गों को आर्थिक रूप से नुकसान झेलना पड़ रहा है. अब शिक्षण संस्थानों के संचालकों का सब्र भी जवाब देने लगा है.
राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश चंद शर्मा ने कहा कि कोरोना काल में 10 माह से बंद पड़े विद्यालयों को सरकार अब 4 जनवरी को नहीं खोलती है तो महासंघ 11 जनवरी से स्कूल, कॉलेज और कोचिंग खोलने की घोषणा कर देगा, उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार की गाइडलाइन का ध्यान रखा जाएगा और अभिभावकों की सहमति ली जाएगी.
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राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश चंद शर्मा ने बताया कि शैक्षणिक गतिविधियां बंद होने से उनसे जुड़े कई वर्गों के लोगों का रोजगार खत्म हो गया है. जिससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार का कामकाज जारी है, व्यवसायिक गतिविधियां चल रही हैं. ऐसे में शैक्षणिक गतिविधियों की सरकार अनदेखी कर रही है.
उन्होंने कहा कि सरकार को शिक्षा के मंदिरों में ही कोरोना वायरस बैठा नजर आता है. शिक्षण संस्थानों के बंद होने से प्रदेश की 50 हजार स्कूलों में कार्यरत 11 लाख कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं. सरकार को स्कूल संचालकों और अभिभावकों के बारे में सोचना चाहिए. कक्षा 6 से कक्षा 12 तक की स्कूलों का संचालन 4 जनवरी से करने के लिए सरकार को अनुमति देनी चाहिए.
प्राइवेट एजुकेशन से जुड़े विभिन्न संगठनों के संयुक्त महासंघ की बैठक में 11 जनवरी से शिक्षण संस्थानों को खोले जाने का प्रस्ताव पास किया गया है. शर्मा ने कहा कि यदि सरकार 4 जनवरी को स्कूल खोलने की अनुमति नहीं देती है तो महासंघ के आह्वान पर 11 जनवरी से समस्त स्कूल, कोचिंग और कॉलेज खोले जाएंगे.