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नसीराबाद के छावनी परिषद ने नहीं खोले गए रैन बसेरे, कड़ाके की ठंड में ठिठुर रहे लोग

प्रदेश में सर्दी बढ़ गई है. ऐसे में अजमेर के नसीराबाद में गरीबों और बाहर से आने वाले लोगों के लिए रैन बसेरों के ताले अभी तक नहीं खोले गए हैं. इससे सर्द रातों में लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, गरीब लोग खुले में अपनी रात गुजारने को मजबूर हो रहे हैं.

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Published : Dec 4, 2020, 10:31 PM IST

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नसीराबाद में अब तक नहीं खोले गए रैन बसेरों के ताले

नसीराबाद (अजमेर). देश और प्रदेश में जहां कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा. वहीं सर्दी ने भी तीखे तेवर दिखाने शुरू कर दिए. लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार के रक्षामंत्रालय के अधीन स्थानीय निकाय छावनी परिषद ने सदर थाना के बाहर बने रैन बसेरे के ताले अभी तक नहीं खोले गए हैं. ऐसे में रात में गरीब असहाय और बाहर से आने वाले यात्री खुले में रात गुजारने को मजबूर हैं.

गौरतलब है कि सदर थाना के बाहर छावनी परिषद का रैन बसेरा है जिसमें की सर्दी में असहाय और गरीबों के ठहरने की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी स्थानीय निकाय छावनी परिषद की है, लेकिन पिछले माह से सर्दी शुरू हो जाने के बावजूद छावनी परिषद ने रैन बसेरे की सुध नहीं ली और अभी तक रैन बसेरे पर ताले लटके हुए हैं.

पढ़ें- अजमेर : पालिकाध्यक्ष सचिन सांखला पर हमला का मामला...आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर CM के नाम ज्ञापन

जबकि सर्दी शुरू होने से पहले ही छावनी परिषद को बंद पड़े रैन बसेरे भवन की सुध लेकर व्यवस्था करनी चाहिए थी. यदि रैन बसेरे में सर्दी में रजाई, बिस्तर और बिजली पानी की व्यवस्था छावनी परिषद की ओर से कर दी जाती तो इन गरीब असहाय लोगों को रात में भटकना नहीं पड़ता.

नसीराबाद (अजमेर). देश और प्रदेश में जहां कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा. वहीं सर्दी ने भी तीखे तेवर दिखाने शुरू कर दिए. लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार के रक्षामंत्रालय के अधीन स्थानीय निकाय छावनी परिषद ने सदर थाना के बाहर बने रैन बसेरे के ताले अभी तक नहीं खोले गए हैं. ऐसे में रात में गरीब असहाय और बाहर से आने वाले यात्री खुले में रात गुजारने को मजबूर हैं.

गौरतलब है कि सदर थाना के बाहर छावनी परिषद का रैन बसेरा है जिसमें की सर्दी में असहाय और गरीबों के ठहरने की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी स्थानीय निकाय छावनी परिषद की है, लेकिन पिछले माह से सर्दी शुरू हो जाने के बावजूद छावनी परिषद ने रैन बसेरे की सुध नहीं ली और अभी तक रैन बसेरे पर ताले लटके हुए हैं.

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जबकि सर्दी शुरू होने से पहले ही छावनी परिषद को बंद पड़े रैन बसेरे भवन की सुध लेकर व्यवस्था करनी चाहिए थी. यदि रैन बसेरे में सर्दी में रजाई, बिस्तर और बिजली पानी की व्यवस्था छावनी परिषद की ओर से कर दी जाती तो इन गरीब असहाय लोगों को रात में भटकना नहीं पड़ता.

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