अजमेर. कोरोना महामारी अपने प्रचंड रूप में दुनिया भर में कहर बरसा रही है. भारत में इसकी दूसरी लहर तबाही मचा रही है जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा चौपट हो चुका है. इसी में से एक है पोल्ट्री फॉर्म व्यवसाय.
अजमेर का प्रमुख पोल्ट्री फॉर्म व्यवसायः
अजमेर की अर्थव्यवस्था में पोल्ट्री फार्म व्यवसाय का अपना अलग वजूद है यह एक ऐसा व्यवसाय है जो अजमेर की जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को रोजगार उपलब्ध करवा रहा है, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए जन अनुशासन पखवाड़े और उसके बाद संपूर्ण लॉकडाउन की वजह से यह व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो रहा है. इसे कई कारण है जिन पर हमने इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की राय ली आइए बताते हैं इस व्यवसाय को लेकर क्या तथ्य सामने आ रहे हैं.
लॉकडाउन के दौरान भी सरकार की बेरुखी की मार
राजस्थान पोल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष और नेशनल एग कोआर्डिनेशन कमेटी (NECC) में राजस्थान के अध्यक्ष डॉ. राजकुमार जयपाल बताते हैं कि पिछले साल लगे लॉकडाउन और इस साल लगे लॉकडाउन की वजह से पोल्ट्री फॉर्म मालिकों की हालत नाजुक बनी हुई है. इस व्यवसाय को लेकर सरकार की बेरुखी भी सामने आ रही है. एक तो वैसे ही पोल्ट्री फॉर्म संचालक बैंक का कर्जा चुकाने में असमर्थ हैं.
वहीं दूसरी ओर सरकार भी लॉकडाउन के लिए जारी की गई अपनी गाइडलाइंस में कभी भी चिकन और अंडों की दुकान खोलने को लेकर कोई दिशा निर्देश जारी नहीं कर रही है. स्थिति यह है की अंडे और चिकन की सही कीमत भी पॉल्ट्री फार्म संचालकों को नहीं मिल पा रही. वहीं पुलिस और जिला प्रशासन भी पोल्ट्री फॉर्म संचालकों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है. ना तो पोल्ट्री फॉर्म संचालकों को अपने चिकन और अंडे की दुकान खोलने दी जा रही है और ना ही सरकार की तरफ से उन्हें किसी तरह की कोई राहत प्रदान की जा रही है. ऐसे में यह व्यवसाय कोरोना के साथ साथ सरकार की बेरुखी का भी शिकार बन रहा है.
अजमेर में पोल्ट्री फॉर्म व्यवसाय की स्थिति
राजकुमार जयपाल बताते हैं की सिर्फ अजमेर में ही 50 लाख लेयर बर्ड्स मौजूद है जो सिर्फ अंडे देने के लिए पाली जाती है. अजमेर में पोल्ट्री फार्म व्यवसाय का अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं कि अभी भी लॉकडाउन के दौरान 40 से 45 लाख अंडे रोज पैदा हो रहे हैं, लेकिन इतने उत्पादन का भी कोई फायदा नहीं है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से ना तो पॉल्ट्री फॉर्म संचालकों को अंडों के सही दाम मिल पा रहे हैं और ना ही वह अंडो का ट्रांसपोर्टेशन करवा पा रहे हैं.
अजमेर मैं पैदा होने वाले अंडों की डिमांड राजस्थान के बाहर भी काफी होती है. यहां पैदा हुए अंडे पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश के कुछ भागों में भेजे जाते हैं. फिलहाल लॉक डाउन की वजह से इन अंडों का ट्रांसपोर्टेशन नहीं हो पा रहा जिसकी वजह से हर रोज लाखों अंडे खराब हो रहे हैं.
पोल्ट्री फॉर्म संचालकों की स्थिति और रोजगारः
डॉ. राजकुमार जयपाल बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से पॉल्ट्री फॉर्म संचालक बड़ी नाजुक स्थिति का सामना कर रहे हैं. पोल्ट्री फॉर्म इंडस्ट्री अजमेर की सबसे बड़ी इंडस्ट्री है जिससे करीब 10 हजार परिवारों को रोजगार मिल रहा है, लेकिन कोरोना महामारी ने इस व्यवसाय की कमर तोड़ दी है. पॉल्ट्री फॉर्म संचालक बैंक का कर्ज पिछले 1 साल से नहीं चुका पा रहे, जिसका नतीजा यह हो रहा है कि उनके कर्ज में बढ़ोतरी होती जा रही है.
जहां अजमेर में प्रतिदिन 60 लाख अंडों का उत्पादन होता था वही अब यह उत्पादन 40 लाख अंडे प्रतिदिन पर आकर सिमट गया है. अजमेर के करीब 25 से 30 फीसदी पोल्ट्री फॉर्म बंद हो गए हैं, जिसकी वजह से कई परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.
जनता से अपीलः
डॉक्टर राजकुमार जयपाल ने पोल्ट्री फार्म व्यवसाय की वर्तमान स्थिति पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने अजमेर की जनता से अपील की है की अजमेर की जनता अंडों का उपयोग जरूर करें. उन्होंने बताया की कोरोना वायरस से लड़ने के लिए शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रोटीन काफी मददगार होता है. अंडा प्रोटीन का सबसे बढ़िया स्त्रोत है. इसीलिए डॉ. जयपाल ने अजमेर की जनता से अपील की है कि वह ज्यादा से ज्यादा अपने खाने में अंडे का उपयोग करें, ताकि शरीर को स्वस्थ बनाकर इस महामारी से बच सकें.