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अजमेर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए पुलिस ने दो युवतियों को पकड़ा

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Published : May 8, 2021, 2:26 AM IST

अजमेर में दो युवतियों को पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए पकड़ा है. युवतियां इंजेक्शन को 23 हजार रुपए में बेचने की तैयारी में थीं कि इतने में सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया.

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रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी

अजमेर. देश भर में कोरोना का कहर लगातार जारी है. बीमारी में लगने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है. शुक्रवार को एक युवक ने युवती से फोन पर इंजेक्शन खरीदने की बात कही. इसके बाद युवक ने फेसबुक पर लाइव किया, जिसमें एक कार में दो युवतियां आईं और उन्होंने यह इंजेक्शन 23 हजार रुपए में देने की बात कही.

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी

बता दें, इस पर आशीष सोनी नामक युवक ने युवतियों से इंजेक्शन छीना और उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई. इस लाइव वीडियो में युवती रोते हुए इंजेक्शन की कालाबाजारी करने से इनकार करते हुए रोती हुई नजर आ रही है. बाद में कोतवाली थाना पुलिस वहां पहुंचती है और इन युवतियों को थाने ले जाती है. युवतियों के थाने पहुंचने के बाद शहर के कई प्रतिष्ठित लोग थाने में आते-जाते भी नजर आते हैं.

यह भी पढ़ें: जयपुर: रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते चिकित्सक सहित तीन आरोपी गिरफ्तार

इस बारे में आशीष सोनी का कहना है, एक गरीब व्यक्ति को इंजेक्शन की जरूरत थी. युवती ने ही गरीब व्यक्ति से 23 हजार रुपए में इंजेक्शन देने को कहा. बाद में उसने जाल बिछाकर युवती को पकड़ा और पुलिस को सौंप दिया.

रो-रोकर युवतियां लगाती रही गुहार

फेसबुक लाइव किए गए वीडियो में युवतियां रो-रोकर यह कहती नजर आ रही थी कि उनकी कोई गलती नहीं है. जितने में उन्हें यह इंजेक्शन दिए गए, उतने में ही वह बेच रही हैं. एक युवती ने कार में रखी रिपोर्ट और दवाएं भी दिखाई और उन्हें छोड़ने की गुहार लगाई.

यह भी पढ़ें: रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने को चिकित्सा विभाग ने उठाए कदम, इंजेक्शन पर अंकित होगा मरीज का नाम और आईपीडी नंबर

दोनों युवतियों के माता-पिता बताए जा रहे बीमार

सूत्रों की माने तो दोनों युवतियां सरकारी नौकरी में हैं. युवतियों के माता-पिता बीमार बताए जा रहे हैं. उनका इलाज भी चल रहा है. रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी को लेकर लगे आरोप कितने सही हैं. यह तो जांच में ही स्पष्ट हो सकेगा. प्रथम दृष्टया पुलिस उन्हें दोषी नहीं मान रही है. वहीं कोतवाली थानाधिकारी शमशेर खान ने कहा, शिकायत मिली थी कि थाना क्षेत्र सिविल लाइन का होने के कारण अब जांच सिविल लाइन थाना पुलिस करेगी. उनसे जब कार्रवाई को लेकर और युवतियों को हिरासत में लेने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने इसकी जानकारी नहीं होने की बात कही.

यह भी पढ़ें: कोटा: ESI हॉस्पिटल के अधिकारियों, कार्मिकों को किया अधिग्रहित, कोविड केयर सेंटर में लगाया

इस मामले में दूरभाष पर एसपी जगदीश चंद्र शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने कहा, युवतियों के परिवार में कोई बीमार था. इसलिए उन्होंने किसी से यह खरीदा था. बाद में आवश्यकता नहीं होने पर वह वापस दे रही थी, जिनसे यह इंजेक्शन खरीदे गए, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

अजमेर. देश भर में कोरोना का कहर लगातार जारी है. बीमारी में लगने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है. शुक्रवार को एक युवक ने युवती से फोन पर इंजेक्शन खरीदने की बात कही. इसके बाद युवक ने फेसबुक पर लाइव किया, जिसमें एक कार में दो युवतियां आईं और उन्होंने यह इंजेक्शन 23 हजार रुपए में देने की बात कही.

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी

बता दें, इस पर आशीष सोनी नामक युवक ने युवतियों से इंजेक्शन छीना और उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई. इस लाइव वीडियो में युवती रोते हुए इंजेक्शन की कालाबाजारी करने से इनकार करते हुए रोती हुई नजर आ रही है. बाद में कोतवाली थाना पुलिस वहां पहुंचती है और इन युवतियों को थाने ले जाती है. युवतियों के थाने पहुंचने के बाद शहर के कई प्रतिष्ठित लोग थाने में आते-जाते भी नजर आते हैं.

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इस बारे में आशीष सोनी का कहना है, एक गरीब व्यक्ति को इंजेक्शन की जरूरत थी. युवती ने ही गरीब व्यक्ति से 23 हजार रुपए में इंजेक्शन देने को कहा. बाद में उसने जाल बिछाकर युवती को पकड़ा और पुलिस को सौंप दिया.

रो-रोकर युवतियां लगाती रही गुहार

फेसबुक लाइव किए गए वीडियो में युवतियां रो-रोकर यह कहती नजर आ रही थी कि उनकी कोई गलती नहीं है. जितने में उन्हें यह इंजेक्शन दिए गए, उतने में ही वह बेच रही हैं. एक युवती ने कार में रखी रिपोर्ट और दवाएं भी दिखाई और उन्हें छोड़ने की गुहार लगाई.

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दोनों युवतियों के माता-पिता बताए जा रहे बीमार

सूत्रों की माने तो दोनों युवतियां सरकारी नौकरी में हैं. युवतियों के माता-पिता बीमार बताए जा रहे हैं. उनका इलाज भी चल रहा है. रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी को लेकर लगे आरोप कितने सही हैं. यह तो जांच में ही स्पष्ट हो सकेगा. प्रथम दृष्टया पुलिस उन्हें दोषी नहीं मान रही है. वहीं कोतवाली थानाधिकारी शमशेर खान ने कहा, शिकायत मिली थी कि थाना क्षेत्र सिविल लाइन का होने के कारण अब जांच सिविल लाइन थाना पुलिस करेगी. उनसे जब कार्रवाई को लेकर और युवतियों को हिरासत में लेने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने इसकी जानकारी नहीं होने की बात कही.

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इस मामले में दूरभाष पर एसपी जगदीश चंद्र शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने कहा, युवतियों के परिवार में कोई बीमार था. इसलिए उन्होंने किसी से यह खरीदा था. बाद में आवश्यकता नहीं होने पर वह वापस दे रही थी, जिनसे यह इंजेक्शन खरीदे गए, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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