अजमेर. विश्व में अस्थिरता का माहौल है. वहीं, कोरोना महामारी सम्पूर्ण मानव जाति के लिए खतरा बनी हुई. देश में कोरोना प्रकोप बढ़ता जा रहा है. इस बीच सूर्य ग्रहण की घटना ने कई तरह की अनिश्चितता को जन्म दे दिया है.
बताया जा रहा है कि सूर्य ग्रहण का असर कई राशियों पर विपरीत पड़ेगा. यही वजह है कि सूर्य ग्रहण में लोगों ने धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जप, हवन किया. वहीं, बूढ़ा पुष्कर में पंडितों ने कोरोना को मृत आत्मा मानकर उसका पिंडदान किया. जगतपिता ब्रह्मा की नगरी में तीन पुष्कर है. तीनों पुष्कर की समान धार्मिक मान्यताएं है.
बूढ़ा पुष्कर में सूर्य ग्रहण के दिन धर्म परायण लोगों ने सूर्य ग्रहण के विपरीत प्रभावों से बचने के लिए शास्त्रों के अनुसार जप, तप और हवन किया. वहीं, कुछ पंडितों ने विश्व कल्याण, विपत्ति समाधान और कोरोना से मुक्ति के लिए नौ ग्रहों की शांति के लिए यज्ञ किया. यज्ञ में हर आहुति के साथ कोरोना से मुक्ति और विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की गई. इस दौरान पंडितों ने कोरोना का आटे से पिंड बनाया. साथ ही मास्क सैनिटाइजर के साथ उसका विधिवत पिंडदान पवित्र तीर्थ बूढ़ा पुष्कर के जल में कर दिया.
पंडित दीपक कुमार पाराशर ने बताया कि परिवार के लोगों ने मिलकर सूर्य ग्रहण के प्रभावों से शांति और कोरोना महामारी के अंत के लिए यज्ञ किया है. साथ ही कोरोना का पिंडदान किया है ताकि देश से कोरोना खत्म हो और देश में खुशहाली आए.
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साल 2020 के प्रारम्भ के बाद से देश में किसी ना किसी रूप में अनिश्चितता का माहौल है. प्राकृतिक आपदा, पड़ोसी देशों के साथ अनबन, कोरोना महामारी इससे देश में हर व्यक्ति परेशान है. पवित्र तीर्थ बूढ़ा पुष्कर के लिए सदियों से मान्यता रही है कि इसके जल के तीर पर किए गए अनुष्ठान कभी निष्फल नहीं जाते. यही वजह है कि देश में आई विपत्तियों को समाप्त करने के उद्देश्य से ग्रहों की शांति के लिए सूर्य ग्रहण के दौरान बूढ़ा पुष्कर के पवित्र सरोवर के किनारे यज्ञ किया गया है. यज्ञ के माध्यम से विश्व शांति और सबके कल्याण की कामना की गई है. वर्तमान में भयावह रूप ले चुके कोरोना को भी मृत आत्मा मानकर सूर्यग्रहण के दौरान ही उसका पिंडदान किया गया है. ताकि लोगों को कोरोना से मुक्ति मिले.