ETV Bharat / city

मोहर्रम : दरगाह परिसर में चौकी की रस्म हुई सम्पन्न...100 साल से चली आ रही है रस्म

चौकी कायम करने की रस्म 100 साल से पुरानी है. इस रस्म के दौरान आस्ताना शरीफ़ से चांदी की चौकी पर एक गिलाफ लाकर बांधा जाता है. जिसे लंगरखाने से दरगाह स्थित मकबरे में ले जाया जाता है.

author img

By

Published : Aug 9, 2021, 10:39 PM IST

अजमेर दरगाह मोहर्रम
अजमेर दरगाह मोहर्रम

अजमेर. मोर्हरम की परम्पराओं को लेकर सोमवार को चौकी कायम करने की रस्म सम्पन्न हुई. लंगरखाना स्थित क़दीम इमाम बारगाह में समस्त बावर्चीयान और दरगाह की ओर से सांकेतिक रूप से रस्म आयोजित की गई.

असर की नमाज़ के बाद रस्म के दौरान निसार अहमद चिश्ती और सहयोगियों की ओर से मर्सिया ‘दागे अकबर, लहु रूलाता है‘ और इसके बाद ‘शाम हुई है री मां, बा अब तक न आए‘ पढ़ा गया. इस मौके पर खुद्दाम हज़रात के साथ हाजी सरदार अली, हुसैन खां, मुजफ्फर भारती, मुनव्वर अली, साजिद, शोएब खान, शदीद खान इत्यादि मौजूद रहे. दरगाह में भीड़ ज्यादा न हो इसलिए दरगाह के समस्त गेट पर पुलिस के जवान तैनात किए गए थे.

पढ़ें- स्वतंत्रता सेनानियों के मोनोग्राफ हुए डिजिटल, CM गहलोत ने कहा-ये स्वरूप युवा पीढ़ी के लिए होगा प्रेरक

100 साल से ज्यादा पुरानी है रस्म

गौरतलब है कि चौकी कायम करने की रस्म 100 साल से पुरानी है. इस रस्म के दौरान आस्ताना शरीफ़ सें चांदी की चौकी पर एक गिलाफ (कपड़ा) लाकर बांधा जाता है. जिसे लंगरखाने से दरगाह स्थित मकबरे में ले जाया जाता है. जहां चौकी पर खुद्दाम की ओर से पेश किए गए तर्बरूक़ात ताजिया शरीफ़ पर पेश किए जाते हैं.

कोविड गाइडलाइंस की पालना, सांकेतिक तौर पर निभाई रस्म

कोविड-19 की वजह से मोहर्रम के अवसर पर परंपरागत धार्मिक रस्मों को निभाने की स्वीकृति गाइडलाइन के अनुसार प्रशासन ने नहीं दी है. ऐसे में दरगाह कमेटी और अंजुमन कमेटी की ओर से सांकेतिक तौर पर मोहर्रम की रस्में अदा की जा रही हैं. इस दौरान भी कोविड गाइडलाइन की पालना करवाने की व्यवस्था की गई है. बता दें कि दरगाह में जियारत के लिए आने वाले जायरीन को गाइडलाइन की पालना करनी होगी.

अजमेर. मोर्हरम की परम्पराओं को लेकर सोमवार को चौकी कायम करने की रस्म सम्पन्न हुई. लंगरखाना स्थित क़दीम इमाम बारगाह में समस्त बावर्चीयान और दरगाह की ओर से सांकेतिक रूप से रस्म आयोजित की गई.

असर की नमाज़ के बाद रस्म के दौरान निसार अहमद चिश्ती और सहयोगियों की ओर से मर्सिया ‘दागे अकबर, लहु रूलाता है‘ और इसके बाद ‘शाम हुई है री मां, बा अब तक न आए‘ पढ़ा गया. इस मौके पर खुद्दाम हज़रात के साथ हाजी सरदार अली, हुसैन खां, मुजफ्फर भारती, मुनव्वर अली, साजिद, शोएब खान, शदीद खान इत्यादि मौजूद रहे. दरगाह में भीड़ ज्यादा न हो इसलिए दरगाह के समस्त गेट पर पुलिस के जवान तैनात किए गए थे.

पढ़ें- स्वतंत्रता सेनानियों के मोनोग्राफ हुए डिजिटल, CM गहलोत ने कहा-ये स्वरूप युवा पीढ़ी के लिए होगा प्रेरक

100 साल से ज्यादा पुरानी है रस्म

गौरतलब है कि चौकी कायम करने की रस्म 100 साल से पुरानी है. इस रस्म के दौरान आस्ताना शरीफ़ सें चांदी की चौकी पर एक गिलाफ (कपड़ा) लाकर बांधा जाता है. जिसे लंगरखाने से दरगाह स्थित मकबरे में ले जाया जाता है. जहां चौकी पर खुद्दाम की ओर से पेश किए गए तर्बरूक़ात ताजिया शरीफ़ पर पेश किए जाते हैं.

कोविड गाइडलाइंस की पालना, सांकेतिक तौर पर निभाई रस्म

कोविड-19 की वजह से मोहर्रम के अवसर पर परंपरागत धार्मिक रस्मों को निभाने की स्वीकृति गाइडलाइन के अनुसार प्रशासन ने नहीं दी है. ऐसे में दरगाह कमेटी और अंजुमन कमेटी की ओर से सांकेतिक तौर पर मोहर्रम की रस्में अदा की जा रही हैं. इस दौरान भी कोविड गाइडलाइन की पालना करवाने की व्यवस्था की गई है. बता दें कि दरगाह में जियारत के लिए आने वाले जायरीन को गाइडलाइन की पालना करनी होगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.