अजमेर. अनिशा सिंह भाटी के पति की मौत के बाद उसके परिवारवालों ने उस से दूरी बना ली. रिवाज के अनुसार मौत के बाद पगड़ी घर के किसी ज्येष्ठ सदस्य की होनी चाहिए. कोई आगे नहीं आया तो अनिशा ने अपनी डेढ़ साल की मासूम बेटी को लेकर ही पगड़ी की रस्म पूरी कर दी.
गुलाबबाड़ी दानमल माथुर कॉलोनी निवासी अनिशा सिंह के लिए गुजरा एक महीना तूफान से कम नहीं था. कोरोना ने उसके हंसते-खेलते परिवार को उजाड़ दिया. अनिशा के पति और सास की मौत ने उसे बुरी तरह से तोड़ कर रख दिया. ऐसे में रिश्तेदारों ने भी किनारा कर लिया.
बता दें कि 4 मई को अनिशा की सास की मृत्यु उपचार के दौरान हो गई थी. अनिशा और उसके पति गजेंद्र अस्पताल में थे इसलिए रिश्तेदारों ने सास का अंतिम संस्कार कर दिया. घर लौटी तो 13 मई को पति गजेंद्र की भी मृत्यु हो गई. रिश्तेदारों ने गजेंद्र का अंतिम संस्कार तो कर दिया लेकिन लेकिन पगड़ी की रस्म में अड़ंगे डालने लगे.
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रिश्तेदार चाहते थे कि पगड़ी गजेंद्र के ताऊ के बेटे हेमंत भाटी के सिर बांधी जाए. रिश्तेदारों ने अनिशा पर दबाव बनाना शुरू कर दिया. अनिशा चाहती थी कि उसके पति के बाद पगड़ी उसी की संतान के सिर बंधे. ऐसे में उसने डेढ़ साल की बेटी के सिर पगड़ी बांधने की ठान ली. रिश्तेदारों ने जोर दिया तो अनिशा ने अलवर गेट थाने में जाकर मामले की शिकायत कर दी. थाना प्रभारी सुनीता गुर्जर के हस्तक्षेप के बाद रिश्तेदार इस मामले से दूर हो गए. इस तरह दिवंगत पिता की पगड़ी मासूम बेटी के सिर बांधी गई.
अनीशा का गुलाबबाड़ी निवासी गजेंद्र सिंह भाटी से 2018 में विवाह हुआ था. गजेंद्र मेयो कॉलेज हॉस्पिटल में मैस इंचार्ज का काम करते थे. बीती 22 अप्रैल को कोरोना संक्रमण होने पर बाद गजेंद्र ने खुद को होम आइसोलेट कर दिया था. लेकिन बाद में 29 अप्रैल को कॉलेज के अस्पताल में भर्ती हुआ. जहां उसे 30 अप्रैल को जवाहरलाल नेहरू अस्पताल रेफर कर दिया.
इस दौरान गजेंद्र की माता संतोष कंवर भी संक्रमित हुई तो नेहरू अस्पताल में उन्हें भी भर्ती कराया गया. 2 दिन बाद अनिशा भी संक्रमित हो गई. जहां उसने पहले मेयो कॉलेज और बाद में मौसी के जरिए जयपुर के बड़े अस्पताल के चिकित्सक से परामर्श लेते हुए घर पर ही उपचार किया. डेढ़ साल की बेटी को ननद ने अपने घर रखा था.