अजमेर. प्रदेश की एकमात्र हाई सिक्योरिटी जेल अजमेर में स्थित है. हाई सिक्योरिटी जेल में सुरक्षा प्रबंधों की जांच के लिए जिला प्रशासन द्वारा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया. इस मॉक ड्रिल के दौरान अजमेर जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित अजमेर पुलिस अधीक्षक जगदीश चंद्र शर्मा सहित पुलिस के कई आला अधिकारी मौजूद रहे.
कैदियों के बीच विवाद और जेल में आग लगने की सूचना पर आधारित थी मॉक ड्रिल
अजमेर एसपी जगदीश चंद्र शर्मा ने बताया कि अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में समय-समय पर सुरक्षा प्रबंधों की जांच के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाता है. इसी कड़ी में शुक्रवार को कैदियों के बीच में विवाद की वजह से जेल में आग लगने की सूचना पर ड्रिल का आयोजन किया गया. इस मॉक ड्रिल के दौरान प्रशासन द्वारा 25 से 30 मिनट के इमरजेंसी टाइम में सुरक्षा से संबंधित अधिकारियों की प्रतिक्रिया को रखा गया.
एसपी शर्मा ने बताया की मॉक ड्रिल के दौरान जिले की सभी रेस्क्यू टीम फायर ब्रिगेड एंबुलेंस सहित पुलिस का अतिरिक्त जाप्ता भी मौके पर पहुंच गया. एडिशनल एसपी के नेतृत्व में गठित की गई टीम के साथ अजमेर जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित और एसपी जगदीश चंद्र शर्मा ने हाई सिक्योरिटी जेल के सभी बैरकों का बारीकी से मुआयना किया. इस दौरान उन्हें किसी भी तरह की कोई संदिग्ध वस्तु कैदियों के पास नहीं मिली.
अधिकारियों के मौके पर पहुंचने का टाइम किया गया नोट
मॉक ड्रिल के दौरान अधिकारियों की इमरजेंसी घटनाओं के प्रति प्रतिक्रिया को भी परखा गया. एसपी शर्मा ने कहा की इमरजेंसी घटनाओं के वक्त मौके पर पहुंचने का समय 25 से 30 मिनट का होता है. हाई सिक्योरिटी जेल में विवाद और आग लगने की सूचना पर सुरक्षा से संबंधित सभी अधिकारी कितनी देर में मौके पर पहुंचे. इस टाइम को नोट किया गया है. जिन अधिकारियों ने तय वक्त से ज्यादा समय मौके पर पहुंचने पर लगाया है, उनसे इसका कारण पूछा जाएगा.
हाई सिक्योरिटी जेल को और ज्यादा हाईटेक बनाने के लिए सरकार ने उपलब्ध कराया अलग से बजट
एसपी शर्मा ने बताया कि अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल को और ज्यादा हाईटेक बनाने के लिए राज्य सरकार ने अलग से बजट उपलब्ध करवाया है. इसका उपयोग हाई सिक्योरिटी जेल में सुरक्षा व्यवस्थाओं को बढ़ाने में किया जाएगा.