अजमेर. पुष्कर में विश्व के इकलौते ब्रह्मा मंदिर में साढ़े 4 साल से प्रबंधन का कार्य कलेक्टर की अध्यक्षता में बनी अस्थाई प्रबंध समिति देख रही है. इतने वर्षों से मंदिर के महंत का पद खाली है. रिपोर्ट देखिये...
मंदिर में सरकारी तौर तरीके से ही पारंपरिक रस्मों को निभाया जा रहा है. जिससे श्रद्धालुओं की भावनाएं भी आहत हो रही हैं. देश के प्रमुख मंदिरों में शुमार जगतपिता ब्रह्मा का पुष्कर में यह मंदिर आदिकाल से है. इतिहास में पहली बार इस मंदिर की गद्दी पर कोई महंत नहीं है.
![Mahanta's throne in Brahma temple, Brahma temple in Pushkar, Brahma temple Mahanta's throne](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11167494_198_11167494_1616761804787.png)
क्यों है गद्दी सूनी
11 जनवरी 2017 को ब्रह्मा मंदिर के महंत सोमपुरी महाराज की दूदू के पास सड़क हादसे में मौत हुई थी. इसके बाद मंदिर के महंत की महत्वपूर्ण गद्दी के असली हकदार का फैसला नहीं हुआ. जगद्गुरू शंकराचार्य की यह महत्वपूर्ण गद्दी तब से खाली पड़ी है. महंत के अभाव में मंदिर प्रबंधन सरकारी अधिकारियों के हाथ में है.
![Mahanta's throne in Brahma temple, Brahma temple in Pushkar, Brahma temple Mahanta's throne](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11167494_sdgdfhdfnh.png)
पढ़ें- गोविंद के दर पर कृष्ण-राधा ने खेली फूलों की होली, तो झूम उठे श्रदालु
देवस्थान कोर्ट में पहुंचा विवाद
महंत सोमपुरी महाराज से पहले गद्दी पर महंत लहरपुरी महाराज थे. उनके निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी शिष्य सोमपुरी मंदिर के 32वें महंत बने थे. वे सिर्फ सवा तीन साल महंत रहे. उन्होंने चूंकि अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था. 2017 में उनके निधन के बाद नए महंत को लेकर घमासान शुरू हो गया. गद्दी के लिए महानिर्वाणी अखाड़े और पुजारी परिवार के साथ कई लोगों ने दावेदारी की. मामला सहायक देवस्थान कोर्ट में पहुंच गया.
किस-किस ने की दावेदारी
महंत बनने के लिए सोमपुरी महाराज के भतीजे दिवलाल पुरी ने मुंडन तक करा लिया. मंदिर के वरिष्ठ पुजारी लक्ष्मीनिवास ने गृहस्थी छोड़ने का ऐलान कर दिया. सोमपुरी महाराज की मौत के बाद दो सप्ताह तक घमासान चला. दर्जनभर लोग महंत बनने आ गए. ऐसे में मामला कोर्ट में जाना ही था.
![Mahanta's throne in Brahma temple, Brahma temple in Pushkar, Brahma temple Mahanta's throne](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11167494_klgjkfgjk.png)
हल नहीं निकला तब बनी मंदिर कमेटी
कोर्ट में करीब 8 लोगों ने महंत बनने के लिए दावे पेश कर रखे हैं. लेकिन देवस्थान कोर्ट इस महत्वपूर्ण गद्दी के असली हकदार का फैसला नहीं कर सका. मंदिर के 1360 साल के इतिहास में महंत की गद्दी पहली बार इतने लंबे समय के लिए खाली है. ब्रह्मा मंदिर में महंत की गद्दी को लेकर हुए विवाद का सरकार निपटारा तो नहीं सकी. लेकिन जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय अस्थाई मंदिर प्रबंधन कमेटी जरूर गठित कर दी. यही कमेटी मंदिर की पूरी कमान संभाल रही है.
![Mahanta's throne in Brahma temple, Brahma temple in Pushkar, Brahma temple Mahanta's throne](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11167494_124_11167494_1616761790149.png)
मंदिर में लगे दान पात्रों में आने वाला चढ़ावा अस्थाई प्रबंध समिति के माध्यम से सरकार को पहुंच रहा है. सदियों से मंदिर में गुरु शिष्य परंपरा के अनुसार ही महंत की नियुक्ति होती आई है. मगर मामला कोर्ट में विचाराधीन होने की वजह से महंत की नियुक्ति अधर में लटक गई है. संत समाज का मानना है कि किसी भी मंदिर की महंत की गद्दी खाली होना अच्छा नहीं माना जाता है.
पढ़ें- पुष्कर की कपड़ा फाड़ होली पर लगा कोरोना का ग्रहण...सामूहिक आयोजन पर प्रशासन ने लगाई रोक
महंत ही मंदिर में पौराणिक रीति-रिवाजों करते आए हैं. इसमें भक्त और भगवान के बीच की भावनाओं का सम्मिश्रण होता है. सरकारी स्तर पर की जाने वाली व्यवस्थाओं में भावनाएं नहीं औपचारिकताएं होती हैं.
जगतपिता ब्रह्मा के मंदिर से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. लोग भी चाहते हैं कि मंदिर में धार्मिक क्रियाकलाप परंपरा के अनुसार हो इसके लिए शीघ्र ही महंत की नियुक्ति हो.