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पुष्कर पशु मेले पर लंपी बीमारी का ग्रहण! सरकार के निर्णय पर टिकी सबकी निगाहें - cows death due to lumpy in Ajmer

पुष्कर के अंतरराष्ट्रीय पशु मेले पर लंपी बीमारी की छाया मंडराने लगी (Lumpy effect on Pushkar Pashu Mela) है. लंपी बीमारी पर जल्द नियंत्रण नहीं पाया गया, तो इस बार पुष्कर में केवल धार्मिक मेला ही होगा. पशु मेले के आयोजन को लेकर पशुपालन विभाग ने कलेक्टर के जरिए सरकार से मार्गदर्शन मांगा है.

lumpy affect on Pushkar Mela
पुष्कर पशु मेला पर लंपी बीमारी का ग्रहण ! संरकार के निर्णय पर टिकी है सबकी निगाए
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Published : Sep 21, 2022, 5:05 PM IST

Updated : Sep 22, 2022, 12:01 AM IST

अजमेर. लंपी बीमारी गौवंश पर कहर ढहा रही है. दो वर्ष बाद होने जा रहे पुष्कर के अंतरराष्ट्रीय पशु मेला पर भी लंपी बीमारी की छाया मंडराने लगी (Lumpy effect on Pushkar Pashu Mela) है. मसलन लंपी बीमारी पर जल्द नियंत्रण नही पाया गया, तो इस बार पुष्कर में केवल धार्मिक मेला ही होगा. पशु मेले को लेकर पशुपालकों में आशंका बनी हुई है. यही वजह है कि अजमेर पशुपालन विभाग ने कलेक्टर के जरिए सरकार से मार्गदर्शन मांगा है.

पुष्कर पशु मेले को लेकर संशय: पुष्कर में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले को लेकर इस बार आशंका बनी हुई है. पुष्कर पशु मेले पर लंपी बीमारी का ग्रहण लगने की संभावना नजर आ रही है. लंपी बीमारी से पशुपालकों में भी चिंता है. बता दें कि पुष्कर पशु मेले में ऊंट, घोड़ों के अलावा गाय, भैंस, बैल, गधे, भेड़, बकरियां भी आते हैं. ऐसे में पशु मेले में अपने पशुओं को लानेे को लेकर पशुपालक भी रिस्क मान रहे हैं.

पुष्कर पशु मेले पर लंपी बीमारी का ग्रहण

पढ़ें: सदन में लंपी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने पर भिड़े डोटासरा और गुलाब चंद कटारिया, स्पीकर ने मंत्री को दी नसीहत

विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ प्रफुल्ल माथुर ने बताया कि पुष्कर पशु मेला बड़े स्तर पर होता है. अन्य प्रदेशों और जिलों से पशुपालक अपने पशुओं को मेले में लाते हैं. डॉ माथुर ने बताया कि गोगामेडी पशु मेला और नागौर पशु मेले पर सरकार ने रोक लगाई थी, वह बरकरार है. उन्होंने बताया कि पुष्कर पशु मेले की तैयारी को लेकर स्थानीय प्रशासन के साथ विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई थी. कलेक्टर के माध्यम से सरकार से मार्गदर्शन मांगा गया है कि इस बार पुष्कर पशु मेला होगा या नहीं होगा. फिलहाल इसको लेकर सरकार के स्तर पर अभी निर्णय नहीं हुआ है.

पढ़ें: अलवर में लम्पी का कहर: खुले में पड़ी हैं मृत गाय, कई किलोमीटर तक फैली बदबू

जिले में कृषि के अलावा लोगों की आय का स्त्रोत पशुपालन है. लंपी बीमारी ने कई पशुपालकों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी है. जिले में हजारों गाय काल का ग्रास बन चुकी हैं. जिले में पशु पालन विभाग की ओर से लंपी बीमारी की रोकथाम के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए आइसोलेशन सेंटर भी बनाए गए हैं. डॉ माथुर ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पशुओं को सूखी जगह पर रखने, दिन में दो बार धुंआ करने एवं फिटकरी और नीम का पानी जानवरों पर छिड़कने के लिए भी जागरूक किया जा रहा है.

पढ़ें: Lumpy In Rajasthan: हजारों गायों की मौत के बाद चेती सरकार, बढ़ाया टीकाकरण

लंपी बीमारी से यह है जिले के हाल: पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 40 हजार 64 गोवंश लंपी बीमारी से ग्रस्त हुआ है. इनमें से 17405 पशु बीमारी से ठीक हो गए हैं. जबकि 4102 पशु मर चुके हैं. पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ प्रफुल्ल माथुर ने बताया कि 55916 पशुओं के टीके लग चुके हैं. बता दें कि विभाग के आंकड़ों से परे जिले में 10 हजार से अधिक गाय लंपी बीमारी से मर चुकी हैं.

अजमेर. लंपी बीमारी गौवंश पर कहर ढहा रही है. दो वर्ष बाद होने जा रहे पुष्कर के अंतरराष्ट्रीय पशु मेला पर भी लंपी बीमारी की छाया मंडराने लगी (Lumpy effect on Pushkar Pashu Mela) है. मसलन लंपी बीमारी पर जल्द नियंत्रण नही पाया गया, तो इस बार पुष्कर में केवल धार्मिक मेला ही होगा. पशु मेले को लेकर पशुपालकों में आशंका बनी हुई है. यही वजह है कि अजमेर पशुपालन विभाग ने कलेक्टर के जरिए सरकार से मार्गदर्शन मांगा है.

पुष्कर पशु मेले को लेकर संशय: पुष्कर में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले को लेकर इस बार आशंका बनी हुई है. पुष्कर पशु मेले पर लंपी बीमारी का ग्रहण लगने की संभावना नजर आ रही है. लंपी बीमारी से पशुपालकों में भी चिंता है. बता दें कि पुष्कर पशु मेले में ऊंट, घोड़ों के अलावा गाय, भैंस, बैल, गधे, भेड़, बकरियां भी आते हैं. ऐसे में पशु मेले में अपने पशुओं को लानेे को लेकर पशुपालक भी रिस्क मान रहे हैं.

पुष्कर पशु मेले पर लंपी बीमारी का ग्रहण

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विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ प्रफुल्ल माथुर ने बताया कि पुष्कर पशु मेला बड़े स्तर पर होता है. अन्य प्रदेशों और जिलों से पशुपालक अपने पशुओं को मेले में लाते हैं. डॉ माथुर ने बताया कि गोगामेडी पशु मेला और नागौर पशु मेले पर सरकार ने रोक लगाई थी, वह बरकरार है. उन्होंने बताया कि पुष्कर पशु मेले की तैयारी को लेकर स्थानीय प्रशासन के साथ विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई थी. कलेक्टर के माध्यम से सरकार से मार्गदर्शन मांगा गया है कि इस बार पुष्कर पशु मेला होगा या नहीं होगा. फिलहाल इसको लेकर सरकार के स्तर पर अभी निर्णय नहीं हुआ है.

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जिले में कृषि के अलावा लोगों की आय का स्त्रोत पशुपालन है. लंपी बीमारी ने कई पशुपालकों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी है. जिले में हजारों गाय काल का ग्रास बन चुकी हैं. जिले में पशु पालन विभाग की ओर से लंपी बीमारी की रोकथाम के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए आइसोलेशन सेंटर भी बनाए गए हैं. डॉ माथुर ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पशुओं को सूखी जगह पर रखने, दिन में दो बार धुंआ करने एवं फिटकरी और नीम का पानी जानवरों पर छिड़कने के लिए भी जागरूक किया जा रहा है.

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लंपी बीमारी से यह है जिले के हाल: पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 40 हजार 64 गोवंश लंपी बीमारी से ग्रस्त हुआ है. इनमें से 17405 पशु बीमारी से ठीक हो गए हैं. जबकि 4102 पशु मर चुके हैं. पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ प्रफुल्ल माथुर ने बताया कि 55916 पशुओं के टीके लग चुके हैं. बता दें कि विभाग के आंकड़ों से परे जिले में 10 हजार से अधिक गाय लंपी बीमारी से मर चुकी हैं.

Last Updated : Sep 22, 2022, 12:01 AM IST
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