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टिड्डी टेररः अजमेर पहुंचा टिड्डी दल, उपनिदेशक का दावा- कृषि विस्तारक बनाए हुए हैं नजर - उपनिदेशक वीके शर्मा

अजमेर में चार दिन के अंदर तीसरी बार टिड्डियों के आगमन को देखते हुए कृषि विभाग अलर्ट हो चुका है. अजमेर की सीमा से सटे अलनियावास क्षेत्र में टिड्डियों के होने का पता चला है. जो पुष्कर उपखंड के गोविंदगढ़ और नांद क्षेत्र तक टिड्डियों का मूवमेंट बताया जा रहा है.

ajmer news  locust attack in ajmer  farmers in problem  उपनिदेशक वीके शर्मा  ajmer deputy director of agriculture
अजमेर में टिड्डी दल का हमला
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Published : May 15, 2020, 10:49 AM IST

अजमेर. ईटीवी भारत की टीम ने अजमेर में मंडरा रहे टिड्डियों के खतरे के बारे में कृषि विभाग के उपनिदेशक वीके शर्मा से विशेष बातचीत की. उपनिदेशक ने बताया कि अजमेर में पिछले चार दिन में तीसरी बार टिड्डियों का प्रवेश हुआ है. वहीं चौथी बार टिड्डियों के जिले की सीमा में प्रवेश करने की संभावना बनी हुई है.

कृषि उपनिदेशक ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए

वीके शर्मा ने बताया कि कृषि विस्तारक टिड्डियों के मूवमेन्ट पर नजर जमाए हुए हैं. पुष्कर उपखंड क्षेत्र में टिड्डियों के रात्रि ठहराव की संभावना है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग की 30 टीमें टिड्डी नियंत्रण कार्य में जुटी हुई हैं. टिड्डियों का रात्रि ठहराव यदि पुष्कर में होता है तो टिड्डियों के नियंत्रण के लिए ऑपरेशन चलाना होगा. इसके तहत कृषि विभाग की सभी तैयारियां पहले से ही पूरी कर ली गई हैं. उन्होंने बताया कि अजमेर में साल 1993 में टिड्डियों का प्रवेश हुआ था. इसके बाद टिड्डियां जिले में कभी नहीं आई.

अजमेर में टिड्डी दल का हमला

यह भी पढ़ेंः टिड्डी दल ने किया अजमेर जिले में प्रवेश, अग्निशमन वाहनों के जरिए किया जा रहा उनका सफाया

उन्होंने बताया कि टिड्डियों की रोकथाम के लिए कृषि विभाग कृषि पर्यवेक्षक के माध्यम से किसानों को जागरूक कर रहा है. किसानों को बताया जा रहा है कि टिड्डियों को खेतों में बैठने न दिया जाए. ढोल, थाली या अन्य धोनी के साधनों के माध्यम से टिड्डियों को भगा दिया जाए. इसके अलावा टिड्डियों के रात्रि ठहराव को लेकर किसान कृषि विभाग की ओर से बनाए गए कंट्रोल रूम को सूचना दें. ताकि कृषि विभाग की टीमें टिड्डी नियंत्रण के लिए ऑपरेशन चला सकें.

ajmer news  locust attack in ajmer  farmers in problem  उपनिदेशक वीके शर्मा  ajmer deputy director of agriculture
अजमेर में साल 1993 में टिड्डियों का प्रवेश हुआ था

उपनिदेशक वीके शर्मा ने बताया कि टिड्डी दिन भर हवा में उड़ती है और भूख लगने पर ही जमीन पर आती है. रात्रि को टिड्डियों का ठहराव ऊंचे पेड़ पर होता है. ब्यावर में टिड्डियों ने रात्रि ठहराव बबूल के पेड़ पर किया था. वहीं पुष्कर में जामुन और अरूड़ के पेड़ पर टिड्डियों ने रात्रि ठहराव किया था. उन्होंने बताया कि ऊंचे पेड़ पर ठहराव होने की वजह से इन पर नियंत्रण पाना कठिन होता है.

ajmer news  locust attack in ajmer  farmers in problem  उपनिदेशक वीके शर्मा  ajmer deputy director of agriculture
लोकस्ट वॉर्निंग ऑर्गेनाइजेशन टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए बनाई गई टीम

उन्होंने यह भी बताया कि टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए दमकल और ट्रैक्टर स्पेयर कि मदद कीटनाशक छिड़काव के लिए की जाती है. शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई 'लोकस्ट वॉर्निंग आर्गेनाईजेशन' की ओर से भी टिड्डियों पर नियंत्रण पाने के लिए सहयोग मिल रहा है. शर्मा ने बताया कि जिले में खेतों में फसलें नहीं हैं. जायद की फसल कुछ क्षेत्रों में हैं. वहीं हरे वृक्षों को टिड्डियों से खतरा है. बता दें कि जिले में कोविड-19 से जंग जारी है. वहीं टिड्डियों के रूप में नई मुसीबत और मंडरा रही है.

अजमेर. ईटीवी भारत की टीम ने अजमेर में मंडरा रहे टिड्डियों के खतरे के बारे में कृषि विभाग के उपनिदेशक वीके शर्मा से विशेष बातचीत की. उपनिदेशक ने बताया कि अजमेर में पिछले चार दिन में तीसरी बार टिड्डियों का प्रवेश हुआ है. वहीं चौथी बार टिड्डियों के जिले की सीमा में प्रवेश करने की संभावना बनी हुई है.

कृषि उपनिदेशक ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए

वीके शर्मा ने बताया कि कृषि विस्तारक टिड्डियों के मूवमेन्ट पर नजर जमाए हुए हैं. पुष्कर उपखंड क्षेत्र में टिड्डियों के रात्रि ठहराव की संभावना है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग की 30 टीमें टिड्डी नियंत्रण कार्य में जुटी हुई हैं. टिड्डियों का रात्रि ठहराव यदि पुष्कर में होता है तो टिड्डियों के नियंत्रण के लिए ऑपरेशन चलाना होगा. इसके तहत कृषि विभाग की सभी तैयारियां पहले से ही पूरी कर ली गई हैं. उन्होंने बताया कि अजमेर में साल 1993 में टिड्डियों का प्रवेश हुआ था. इसके बाद टिड्डियां जिले में कभी नहीं आई.

अजमेर में टिड्डी दल का हमला

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उन्होंने बताया कि टिड्डियों की रोकथाम के लिए कृषि विभाग कृषि पर्यवेक्षक के माध्यम से किसानों को जागरूक कर रहा है. किसानों को बताया जा रहा है कि टिड्डियों को खेतों में बैठने न दिया जाए. ढोल, थाली या अन्य धोनी के साधनों के माध्यम से टिड्डियों को भगा दिया जाए. इसके अलावा टिड्डियों के रात्रि ठहराव को लेकर किसान कृषि विभाग की ओर से बनाए गए कंट्रोल रूम को सूचना दें. ताकि कृषि विभाग की टीमें टिड्डी नियंत्रण के लिए ऑपरेशन चला सकें.

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अजमेर में साल 1993 में टिड्डियों का प्रवेश हुआ था

उपनिदेशक वीके शर्मा ने बताया कि टिड्डी दिन भर हवा में उड़ती है और भूख लगने पर ही जमीन पर आती है. रात्रि को टिड्डियों का ठहराव ऊंचे पेड़ पर होता है. ब्यावर में टिड्डियों ने रात्रि ठहराव बबूल के पेड़ पर किया था. वहीं पुष्कर में जामुन और अरूड़ के पेड़ पर टिड्डियों ने रात्रि ठहराव किया था. उन्होंने बताया कि ऊंचे पेड़ पर ठहराव होने की वजह से इन पर नियंत्रण पाना कठिन होता है.

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लोकस्ट वॉर्निंग ऑर्गेनाइजेशन टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए बनाई गई टीम

उन्होंने यह भी बताया कि टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए दमकल और ट्रैक्टर स्पेयर कि मदद कीटनाशक छिड़काव के लिए की जाती है. शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई 'लोकस्ट वॉर्निंग आर्गेनाईजेशन' की ओर से भी टिड्डियों पर नियंत्रण पाने के लिए सहयोग मिल रहा है. शर्मा ने बताया कि जिले में खेतों में फसलें नहीं हैं. जायद की फसल कुछ क्षेत्रों में हैं. वहीं हरे वृक्षों को टिड्डियों से खतरा है. बता दें कि जिले में कोविड-19 से जंग जारी है. वहीं टिड्डियों के रूप में नई मुसीबत और मंडरा रही है.

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