अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना 809वें उर्स के मौके पर शुक्रवार सुबह 4 बजे जन्नती दरवाजे को खोल दिया गया. जन्नती दरवाजा खोलते ही यहां से गुजरने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. जन्नती दरवाजा साल में केवल चार बार ही खोला जाता है.
बता दें कि दरगाह का जन्नती दरवाजा बकरा ईद, मीठी ईद और इनके पिरेमुर्शिद के उर्स पर गरीब नवाज के उर्स में जन्नती दरवाजा पूरे उर्स में खुला रहता है. कुल की रस्म होने के बाद में जन्नती दरवाजे को बंद कर दिया जाता है, लेकिन रजब का चांद अगर शुक्रवार को दिखाई देता है तो जन्नती दरवाजे खुला रहेगा. शुक्रवार को चांद नही दिखाई देने पर जन्नती गेट को बंद कर शनिवार को अलसुबह फिर खोला जाएगा. क्योंकि चांद देखने के बाद ही उर्स की औपचारिक शुरुआत होगी.
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क्या कहना है खादिम का?
ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के खादिम एस एफ हशन चिश्ती ने बताया कि जन्नती दरवाजे से गुजरने के लिए लोगों की होड़ सी मच जाती है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस जन्नती दरवाजे से गुजरता है, उसे जन्नत नसीब होती है. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में हजारों की तादात में जायरीन आए हुए हैं. जो ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के मौके पर गरीब नवाज की बारगाह में पहुंचे. ये लोग गुरुवार देर रात से ही जन्नती दरवाजे में से गुजरने के लिए जन्नती गेट पर ही खड़े रहे.
![अजमेर न्यूज राजस्थान में दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती जन्नती दरवाजा Jannati Darwaza Garib Nawaz Urs 809th Urs dargah Ajmer News Dargah in Rajasthan Khwaja Garib Nawaz Khwaja Moinuddin Hasan Chishti](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10592261_01.jpg)
...ख्वाहिशें लोगों को यहा खींच लाती हैं
बुजुर्ग बताते हैं कि ख्वाजा साहब जब अजमेर पहुंचे तो उन्होंने अपने जीवन के 40 साल इसी स्थान पर अल्लाह की इबादत करते हुए गुजारे. इस स्थान से उन्होंने दुनिया को मोहब्बत का पैगाम दिया, लेकिन खास बात यदि इस दरवाजे की, की जाए तो यह वो दरवाजा है, जहां खड़े होकर वो अल्लाह से दुआ करते थे, कि मेरे बाद जो भी इस दरवाजे से गुजरे उसे जन्नत नसीब हो. जन्नत का यह दरवाजा ख्वाजा साहब के इस दुनिया से पर्दा करने के बाद आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. जन्नत के दीदार की ख्वाहिश लोगों को यहां खींच लाती हैं.
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ख्वाजा साहब की दरगाह में यह जन्नती दरवाजा हर किसी को नसीब नहीं होता है. पूरे साल में मात्र चार मर्तबा ही इस दरवाजे को खोला जाता है. जन्नती दरवाजा खुलने का और बंद होने का भी एक निश्चित समय है. ख्वाजा साहब के उर्स में रजब माह की चांद रात से 6 रजब तक 7 दिन तक खुला रहता है. इसके बाद रमजान माह की ईद को सुबह 5 बजे से लेकर दोपहर डेढ बजे तक खोला जाता है. ख्वाजा साहब के गुरू हजरत उस्मान हारूनी के उर्स के मौके पर भी सुबह पांच बजे खुलकर डेढ बजे बंद किया जाता है. इसी तरह बकरा ईद पर भी दरवाजा खोला जाता है.
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'मन्नत' धागे के रूप में बांधी जाती
जन्नती दरवाजे से गुजरने की हसरत लिए बहुत सारे ख्वाजा साहब के मुरीद ऐसे भी हैं, जो इन चार मौकों पर यहा नहीं पहुंच पाते. ऐसे ख्वाइशमंदों के लिए जन्नती दरवाजे की एक परंपरा और भी है, जो इस चौखट को चूमने से महरूम रह जाते हैं, वो अपनी मन्नत एक धागे या चिट्ठी के रूप में यहां पेश करवाते हैं. ऐसी परंपरा है कि यहां जो मन्नत धागे के रूप में बांधी जाती है. उस मन्नत के पूरा होने पर यहां आकर मन्नत का धागा खोलना होता है और ख्वाजा साहब का शुकराना अदा करना होता है.