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अजमेर: कैदियों से वसूली के मामले में जेल अधीक्षक संदेह के घेरे में...ACB के पास अहम सबूत - जयपुर

अजमेर जिला केंद्रीय कारागार में कैदियों से अवैध वसूली करने के मामले में जेल अधीक्षक की भूमिका भी संदेह के घेरे में है. जेल अधीक्षक और आरोपी जेल प्रहरी केसाराम के बीच व्हाट्सएप पर अवैध वसूली को लेकर हुए चैट और वॉइस कॉलिंग एसीबी के लिए अहम सबूत साबित हो सकता है.

कैदियों से वसूली के मामले में जेल अधीक्षक संदेह के घेरे में...ACB पर पास अहम सबूत
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Published : Jul 27, 2019, 1:56 PM IST

अजमेर. जिला केंद्रीय कारागार में कैदियों से अवैध वसूली करने के मामले में जेल अधीक्षक की भूमिका भी संदेह के घेरे में है. मामले में तीन जेल प्रहरी दो कैदी और दो दलाल पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं माना जा रहा है कि जेल अधीक्षक और आरोपी जेल प्रहरी केसाराम के बीच व्हाट्सएप पर अवैध वसूली को लेकर हुए चैट और वॉइस कॉलिंग एसीबी के लिए अहम सबूत है, जोकि मामले में अधीक्षक की भूमिका को उजागर करेंगे. एसीबी जेल प्रहरी कैसा राम के व्हाट्सएप पर अधीक्षक के साथ हुए चैट और वॉइस कॉल जो की कार्रवाई से पहले डिलीट कर दी गई थी उसे रिकवर करने में जुटी हुई है.

कैदियों से वसूली के मामले में जेल अधीक्षक संदेह के घेरे में...ACB के पास अहम सबूत
अजमेर केंद्रीय कारागार में कैदियों से अवैध वसूली करने वालों का पूरा एक गिरोह लंबे समय से सक्रिय था. ढाई माह तक एसीबी ने सर्विलांस के जरिए इस गिरोह से जुड़े हर शख्स के मोबाइल पर कड़ी नजर रखी. जितने शातिर तरीके से जेल में अवैध वसूली का खेल चल रहा था उतने ही शादी तरीके से एसीबी ने भी इस पूरे खेल को उजागर किया है. सर्विलांस से सबूत जुटाकर सभी आरोपियों को एक साथ एक ही समय पर दबोचा गया. बकायदा कार्रवाई से पहले जेल विभाग से इजाजत ली गई कार्रवाई से ठीक पहले जेल अधीक्षक नीलम चौधरी और तीनों जेल प्रहरीयों को हटाया गया. एसीबी ने पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया सर्विलांस के जरिए एसीबी को मिली रिकॉर्डिंग की ट्रांस स्क्रिप्ट बनवाई गई है जिसमें आप तक ऐसी भी के हत्थे चढ़े गिरोह की कॉल रिकॉर्डिंग और व्हाट्सएप पर हुए चैट और वॉइस कॉल का पूरा रिकॉर्ड है.

वहीं आरोपी जेल प्रहरी केसाराम और अधीक्षक नीलम चौधरी के बीच कोई व्हाट्सएप चैट और वॉइस कॉल जो की कार्रवाई से पहले डिलीट कर दी गई थी उस ब्यौरे को भी सॉफ्टवेयर के जरिए रिकवर किया जा रहा है, यदि डिलीट चैट और वॉइस कॉल को रिकवर करने में ऐसी भी सफल हो जाती है और सर्विलांस से मिले सबूत की कड़ियां आपस में जुड़ जाती है तो जेल अधीक्षक पर एसीबी का शिकंजा कसना तय है.

मामले को लेकर ऐसे भी नहीं कि अवैध वसूली में लिप्त कैदियों को जेल से प्रोडक्शन वारंट के तहत गिरफ्तार किया है. जानकारी के अनुसार केंद्रीय कारागार जेल में कैद शैतान सिंह और रमेश सिंह को गिरफ्तार किया गया है दोनों आपस में भाई हैं और हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं. जेल में दोनों पर विशेष मेहरबानी करते हुए इन्हें मेस में लगाया गया था.

जेल में हो चुका है अवैध वसूली का खुलासा:
अजमेर केंद्रीय कारागार जेल में लंबे समय से कैदियों से अवैध वसूली का खेल चल रहा था. जेल प्रहरी हो और कैदियों की मिलीभगत से पनप रहे इस खेल का बादशाह अभी तक एसीबी के शिकंजे में नहीं फंसा है. अवैध वसूली के इस खेल में कैदियों से रुपए बटोरे जाते थे. मालदार कैदी से पैसे लेकर उसे हर सुविधा उपलब्ध करवाई जाती थी. वहीं जो कह दी पैसे नहीं देता था उसे कई तरीकों से प्रताड़ित किया जाता था.

अजमेर एसीबी की स्पेशल यूनिट ने मुख्यालय पर बात करके इस पूरे गिरोह से जुड़े लोगों को सर्विलांस में लिया. वहीं एसीबी के प्रोएक्टिव एक्शन ने पूरे मामले को उजागर कर दिया. इस कार्रवाई से जयपुर मुख्यालय की एक टीम अजमेर एसीपी स्पेशल यूनिट की दो टीमें दो टीमें भीलवाड़ा और एक टीम टॉक की भी शामिल थी. संयुक्त रूप से एसीबी की टीमों ने सुबह 5:00 बजे पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया. एक टीम जहां केंद्रीय कारागार में मामले में लिप्त कैदी शैतान सिंह और रमेश सिंह और जेल प्रहरी प्रधान बाना के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी तो दूसरी टीम प्रशिक्षण केंद्र में दो जेलप्रहरी केसाराम और संजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी.

वहीं तीसरी टीम जेल से पैरोल पर छूटे दीपक उर्फ सनी के खिलाफ उसके घर लोंगिया मोहल्ला में कार्रवाई कर रही थी. दीपक पोक्सो एक्ट के तहत आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा. इस मामले में दीपक के भाई सागर और पोलू को भी एसीबी ने गिरफ्तार किया है सागर और पोलू इस पूरे गिरोह के लिए जेल के बाहर दलाली किया करते थे. सर्विलांस के जरिए लगभग ढाई महीने में 80 से ज्यादा मामले अवैध वसूली के सामने आए हैं. बता दें कि जेल में अवैध वसूली के खिलाफ राजस्थान में एसीबी की यह पहली कार्रवाई है.

अजमेर. जिला केंद्रीय कारागार में कैदियों से अवैध वसूली करने के मामले में जेल अधीक्षक की भूमिका भी संदेह के घेरे में है. मामले में तीन जेल प्रहरी दो कैदी और दो दलाल पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं माना जा रहा है कि जेल अधीक्षक और आरोपी जेल प्रहरी केसाराम के बीच व्हाट्सएप पर अवैध वसूली को लेकर हुए चैट और वॉइस कॉलिंग एसीबी के लिए अहम सबूत है, जोकि मामले में अधीक्षक की भूमिका को उजागर करेंगे. एसीबी जेल प्रहरी कैसा राम के व्हाट्सएप पर अधीक्षक के साथ हुए चैट और वॉइस कॉल जो की कार्रवाई से पहले डिलीट कर दी गई थी उसे रिकवर करने में जुटी हुई है.

कैदियों से वसूली के मामले में जेल अधीक्षक संदेह के घेरे में...ACB के पास अहम सबूत
अजमेर केंद्रीय कारागार में कैदियों से अवैध वसूली करने वालों का पूरा एक गिरोह लंबे समय से सक्रिय था. ढाई माह तक एसीबी ने सर्विलांस के जरिए इस गिरोह से जुड़े हर शख्स के मोबाइल पर कड़ी नजर रखी. जितने शातिर तरीके से जेल में अवैध वसूली का खेल चल रहा था उतने ही शादी तरीके से एसीबी ने भी इस पूरे खेल को उजागर किया है. सर्विलांस से सबूत जुटाकर सभी आरोपियों को एक साथ एक ही समय पर दबोचा गया. बकायदा कार्रवाई से पहले जेल विभाग से इजाजत ली गई कार्रवाई से ठीक पहले जेल अधीक्षक नीलम चौधरी और तीनों जेल प्रहरीयों को हटाया गया. एसीबी ने पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया सर्विलांस के जरिए एसीबी को मिली रिकॉर्डिंग की ट्रांस स्क्रिप्ट बनवाई गई है जिसमें आप तक ऐसी भी के हत्थे चढ़े गिरोह की कॉल रिकॉर्डिंग और व्हाट्सएप पर हुए चैट और वॉइस कॉल का पूरा रिकॉर्ड है.

वहीं आरोपी जेल प्रहरी केसाराम और अधीक्षक नीलम चौधरी के बीच कोई व्हाट्सएप चैट और वॉइस कॉल जो की कार्रवाई से पहले डिलीट कर दी गई थी उस ब्यौरे को भी सॉफ्टवेयर के जरिए रिकवर किया जा रहा है, यदि डिलीट चैट और वॉइस कॉल को रिकवर करने में ऐसी भी सफल हो जाती है और सर्विलांस से मिले सबूत की कड़ियां आपस में जुड़ जाती है तो जेल अधीक्षक पर एसीबी का शिकंजा कसना तय है.

मामले को लेकर ऐसे भी नहीं कि अवैध वसूली में लिप्त कैदियों को जेल से प्रोडक्शन वारंट के तहत गिरफ्तार किया है. जानकारी के अनुसार केंद्रीय कारागार जेल में कैद शैतान सिंह और रमेश सिंह को गिरफ्तार किया गया है दोनों आपस में भाई हैं और हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं. जेल में दोनों पर विशेष मेहरबानी करते हुए इन्हें मेस में लगाया गया था.

जेल में हो चुका है अवैध वसूली का खुलासा:
अजमेर केंद्रीय कारागार जेल में लंबे समय से कैदियों से अवैध वसूली का खेल चल रहा था. जेल प्रहरी हो और कैदियों की मिलीभगत से पनप रहे इस खेल का बादशाह अभी तक एसीबी के शिकंजे में नहीं फंसा है. अवैध वसूली के इस खेल में कैदियों से रुपए बटोरे जाते थे. मालदार कैदी से पैसे लेकर उसे हर सुविधा उपलब्ध करवाई जाती थी. वहीं जो कह दी पैसे नहीं देता था उसे कई तरीकों से प्रताड़ित किया जाता था.

अजमेर एसीबी की स्पेशल यूनिट ने मुख्यालय पर बात करके इस पूरे गिरोह से जुड़े लोगों को सर्विलांस में लिया. वहीं एसीबी के प्रोएक्टिव एक्शन ने पूरे मामले को उजागर कर दिया. इस कार्रवाई से जयपुर मुख्यालय की एक टीम अजमेर एसीपी स्पेशल यूनिट की दो टीमें दो टीमें भीलवाड़ा और एक टीम टॉक की भी शामिल थी. संयुक्त रूप से एसीबी की टीमों ने सुबह 5:00 बजे पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया. एक टीम जहां केंद्रीय कारागार में मामले में लिप्त कैदी शैतान सिंह और रमेश सिंह और जेल प्रहरी प्रधान बाना के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी तो दूसरी टीम प्रशिक्षण केंद्र में दो जेलप्रहरी केसाराम और संजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी.

वहीं तीसरी टीम जेल से पैरोल पर छूटे दीपक उर्फ सनी के खिलाफ उसके घर लोंगिया मोहल्ला में कार्रवाई कर रही थी. दीपक पोक्सो एक्ट के तहत आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा. इस मामले में दीपक के भाई सागर और पोलू को भी एसीबी ने गिरफ्तार किया है सागर और पोलू इस पूरे गिरोह के लिए जेल के बाहर दलाली किया करते थे. सर्विलांस के जरिए लगभग ढाई महीने में 80 से ज्यादा मामले अवैध वसूली के सामने आए हैं. बता दें कि जेल में अवैध वसूली के खिलाफ राजस्थान में एसीबी की यह पहली कार्रवाई है.

Intro:अजमेर। अजमेर केंद्रीय कारागार में कैदियों से अवैध वसूली करने के मामले में जेल अधीक्षक की भूमिका भी संदेह के घेरे में है मामले में तीन जेल प्रहरी दो कैदी और दो दलाल पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं माना जा रहा है कि जेल अधीक्षक और आरोपी जेल प्रहरी केसाराम के बीच व्हाट्सएप पर अवैध वसूली को लेकर हुए चैट और वॉइस कॉलिंग एसीबी के लिए अहम सबूत है जो मामले में अधीक्षक की भूमिका को उजागर करेंगे। एसीबी जेल प्रहरी कैसा राम के व्हाट्सएप पर अधीक्षक के साथ हुए चैट और वॉइस कॉल जो की कार्रवाई से पहले डिलीट कर दी गई थी उसे रिकवर करने में जुटी हुई है।

अजमेर केंद्रीय कारागार में कैदियों से अवैध वसूली करने वालों का पूरा एक गिरोह लंबे समय से सक्रिय था। ढाई माह तक एसीबी ने सर्विलांस के जरिए इस गिरोह से जुड़े हर शख्स के मोबाइल पर कड़ी नजर रखी। जितने शातिर तरीके से जेल में अवैध वसूली का खेल चल रहा था उतने ही शादी तरीके से एसीबी ने भी इस पूरे खेल को उजागर किया है। सर्विलांस से सबूत जुटाकर सभी आरोपियों को एक साथ एक ही समय पर दबोचा गया। बकायदा कार्रवाई से पहले जेल विभाग से इजाजत ली गई कार्रवाई से ठीक पहले जेल अधीक्षक नीलम चौधरी और तीनों जेल प्रहरीयों को हटाया गया। इसके बाद एसीबी ने पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया सर्विलांस के जरिए एसीबी को मिली रिकॉर्डिंग की ट्रांस स्क्रिप्ट बनवाई गई है जिसमें आप तक ऐसी भी के हत्थे चढ़े गिरोह की कॉल रिकॉर्डिंग और व्हाट्सएप पर हुए चैट और वॉइस कॉल का पूरा रिकॉर्ड है। वही आरोपी जेल प्रहरी केसाराम और अधीक्षक नीलम चौधरी के बीच कोई व्हाट्सएप चैट और वॉइस कॉल जो की कार्रवाई से पहले डिलीट कर दी गई थी उस ब्यौरे को भी सॉफ्टवेयर के जरिए रिकवर किया जा रहा है। यदि डिलीट चैट और वॉइस कॉल को रिकवर करने में ऐसी भी सफल हो जाती है और सर्विलांस से मिले सबूत की कड़ियां आपस में जुड़ जाती है तो जेल अधीक्षक पर एसीबी का शिकंजा कसना तय है ....
बाइट- पारस इंस्पेक्टर अजमेर एसीबी स्पेशल यूनिट

ऐसे भी नहीं अवैध वसूली में लिप्त कैदियों को जेल से प्रोडक्शन वारंट के तहत गिरफ्तार किया है। जानकारी के अनुसार केंद्रीय कारागार जेल में कैद शैतान सिंह और रमेश सिंह को गिरफ्तार किया गया है दोनों आपस में भाई हैं और हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं। जेल में दोनों पर विशेष मेहरबानी करते हुए इन्हें मेस में लगाया गया था।

ऐसे हुआ था जेल में अवैध वसूली का खुलासा

अजमेर केंद्रीय कारागार जेल में लंबे समय से कैदियों से अवैध वसूली का खेल चल रहा था। जेल प्रहरी हो और कैदियों की मिलीभगत से पनप रहे इस खेल का बादशाह अभी तक एसीबी के शिकंजे में नहीं फंसा है। अवैध वसूली के इस खेल में कैदियों से रुपए बटोरे जाते थे। मालदार कैदी से पैसे लेकर उसे हर सुविधा उपलब्ध करवाई जाती थी। वही जो कह दी पैसे नहीं देता था उसे कई तरीकों से प्रताड़ित किया जाता था। अजमेर एसीबी की स्पेशल यूनिट ने मुख्यालय पर बात करके इस पूरे गिरोह से जुड़े लोगों को सर्विलांस में लिया। वही एसीबी के प्रोएक्टिव एक्शन ने पूरे मामले को उजागर कर दिया। इस कार्रवाई से जयपुर मुख्यालय की एक टीम अजमेर एसीपी स्पेशल यूनिट की दो टीमें दो टीमें भीलवाड़ा और एक टीम टॉक की भी शामिल थी। संयुक्त रूप से एसीबी की टीमों ने सुबह 5:00 बजे पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया। एक टीम जहां केंद्रीय कारागार में मामले में लिप्त कैदी शैतान सिंह और रमेश सिंह और जेल प्रहरी प्रधान बाना के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी तो दूसरी टीम प्रशिक्षण केंद्र में दो जेलप्रहरी केसाराम और संजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी वहीं तीसरी टीम जेल से पैरोल पर छूटे दीपक उर्फ सनी के खिलाफ उसके घर लोंगिया मोहल्ला में कार्रवाई कर रही थी। दीपक पोक्सो एक्ट के तहत आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा। इस मामले में दीपक के भाई सागर और पोलू को भी एसीबी ने गिरफ्तार किया है सागर और पोलू इस पूरे गिरोह के लिए जेल के बाहर दलाली किया करते थे। सर्विलांस के जरिए लगभग ढाई महीने में 80 से ज्यादा मामले अवैध वसूली के सामने आए हैं। बता दें कि जेल में अवैध वसूली के खिलाफ राजस्थान में एसीबी की यह पहली कार्रवाई है। Body:प्रियांक शर्मा
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