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शिक्षक ने COVID-19 शोध पर 'देहदान' की जताई इच्छा...कहा- कोरोना का टीका बनाने में मेरे शरीर का करें उपयोग - dinesh baishnav want to donate their body

देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस मुश्किल घड़ी में लोग अलग-अलग तरह से एक-दूसरे की मदद करने में जुटे हुए हैं. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने कोरोना रिसर्च के लिए अपना शरीर दान करने की इच्छा जताई है. ऐसे ही एक शख्स राजस्थान के अजमेर जिले से सामने आए हैं.

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शरीर दान करना चाहते हैं दिनेश
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Published : Apr 25, 2020, 10:35 AM IST

Updated : Apr 25, 2020, 2:35 PM IST

केकड़ी (अजमेर). दिनेश बैष्णव ने कोरोना वायरस पर रिसर्च होने की दशा में अपना शरीर दान करने की पेशकश की है. केकड़ी के निवासी दिनेश पेशे से शिक्षक हैं और केकड़ी के मंडा गांव स्थित विद्यालय में कार्यरत हैं.

शरीर दान करना चाहते हैं दिनेश

दिनेश ने राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा को एक पत्र लिखकर अपनी शरीर पर कोरोना वायरस के टीके के परीक्षण का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि दवाओं के प्रयोग के लिए मानव शरीर की आवश्यकता होगी, तो वे इसके लिए सदैव तत्पर रहेंगे. यदि उनका शरीर देश हित में काम आया तो उनके लिए यह बेहद खुशी की बात होगी.

यह भी पढ़ेंः अजमेरः क्वॉरेंटाइन में रह रहे नर्सिंगकर्मियों ने भोजन की गुणवत्ता पर उठाए सवाल

दिनेश वैष्णव इससे पहले भी अपने वेतन से तीन दिन की राशि कोरोना पीड़ितों की सहायता के लिए मुख्यमंत्री कोष में दान कर चुके हैं. साथ ही जरूरतमंद लोगों को भी राशन सामग्री बांटते रहते हैं. वैष्णव काफी समय से रीढ़ की हड्डी में गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं. उन्हें लम्बा पैदल चलने, नीचे बैठने सहित काफी देर तक खड़े रहने में समस्या रहती है. इसके बावजूद वे मुस्तैदी से होम आइसोलेशन ड्यूटी कर रहे हैं.

पत्र में लिखी ये बातें...

'कोरोना वायरस की इस वैश्विक महामारी में विश्व के कई देशों के साथ अपना देश और प्रदेश भी कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहा है. दुनिया में प्रतिदिन लाखों लोग इस महामारी से संक्रमित और हजारों लोग बेमौत मारे जा रहे हैं. ऐसे में अगर कोरोना वायरस की दवाई के प्रयोग के लिए प्रदेश के चिकित्सकों अथवा वैज्ञानिकों को मानव शरीर की आवश्यकता हो, जिस पर वे दवाईयों का प्रयोग करना चाहते हों, तो मैं इस प्रयोग के लिए अपना शरीर देने को तैयार हूं. अगर दवाई का प्रयोग सफल हो जाता है तो हमारा प्रदेश और हमारे चिकित्सक विश्व में इस तरह की महामारी से करोड़ों लोगों को बचा सकते हैं. इतने लोगों को बचाने के लिए अगर मेरे शरीर पर कोरोना वायरस की दवाई का प्रयोग किया जाता है तो मुझे प्रसन्नता होगी.'

यह भी पढ़ेंः कोरोना वायरस: पुष्कर की सभी सीमाओं को कया गया सील, पुलिस ने लगाई बैरिकेडिंग

उन्होंने कहा कि हम राजस्थानी किसी से कम नहीं हैं. देश और प्रदेश के लिए हर पल तैयार रहते हैं. वे इस देश के नागरिक होने के नाते राष्ट्रहित में कोविड-19 वायरस की वैक्सीन परीक्षण और शोध के लिए अपने शरीर पर प्रयोग की सहमति प्रदान करते हैं. पत्र के अंत में उन्होने लिखा है कि 'देह शिवा बर मोहे इह, शुभ करमन ते कबहू टरूं.'

केकड़ी (अजमेर). दिनेश बैष्णव ने कोरोना वायरस पर रिसर्च होने की दशा में अपना शरीर दान करने की पेशकश की है. केकड़ी के निवासी दिनेश पेशे से शिक्षक हैं और केकड़ी के मंडा गांव स्थित विद्यालय में कार्यरत हैं.

शरीर दान करना चाहते हैं दिनेश

दिनेश ने राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा को एक पत्र लिखकर अपनी शरीर पर कोरोना वायरस के टीके के परीक्षण का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि दवाओं के प्रयोग के लिए मानव शरीर की आवश्यकता होगी, तो वे इसके लिए सदैव तत्पर रहेंगे. यदि उनका शरीर देश हित में काम आया तो उनके लिए यह बेहद खुशी की बात होगी.

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दिनेश वैष्णव इससे पहले भी अपने वेतन से तीन दिन की राशि कोरोना पीड़ितों की सहायता के लिए मुख्यमंत्री कोष में दान कर चुके हैं. साथ ही जरूरतमंद लोगों को भी राशन सामग्री बांटते रहते हैं. वैष्णव काफी समय से रीढ़ की हड्डी में गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं. उन्हें लम्बा पैदल चलने, नीचे बैठने सहित काफी देर तक खड़े रहने में समस्या रहती है. इसके बावजूद वे मुस्तैदी से होम आइसोलेशन ड्यूटी कर रहे हैं.

पत्र में लिखी ये बातें...

'कोरोना वायरस की इस वैश्विक महामारी में विश्व के कई देशों के साथ अपना देश और प्रदेश भी कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहा है. दुनिया में प्रतिदिन लाखों लोग इस महामारी से संक्रमित और हजारों लोग बेमौत मारे जा रहे हैं. ऐसे में अगर कोरोना वायरस की दवाई के प्रयोग के लिए प्रदेश के चिकित्सकों अथवा वैज्ञानिकों को मानव शरीर की आवश्यकता हो, जिस पर वे दवाईयों का प्रयोग करना चाहते हों, तो मैं इस प्रयोग के लिए अपना शरीर देने को तैयार हूं. अगर दवाई का प्रयोग सफल हो जाता है तो हमारा प्रदेश और हमारे चिकित्सक विश्व में इस तरह की महामारी से करोड़ों लोगों को बचा सकते हैं. इतने लोगों को बचाने के लिए अगर मेरे शरीर पर कोरोना वायरस की दवाई का प्रयोग किया जाता है तो मुझे प्रसन्नता होगी.'

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उन्होंने कहा कि हम राजस्थानी किसी से कम नहीं हैं. देश और प्रदेश के लिए हर पल तैयार रहते हैं. वे इस देश के नागरिक होने के नाते राष्ट्रहित में कोविड-19 वायरस की वैक्सीन परीक्षण और शोध के लिए अपने शरीर पर प्रयोग की सहमति प्रदान करते हैं. पत्र के अंत में उन्होने लिखा है कि 'देह शिवा बर मोहे इह, शुभ करमन ते कबहू टरूं.'

Last Updated : Apr 25, 2020, 2:35 PM IST
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