अजमेर. प्रदेश के अंडा उत्पादन में आई भारी कमी से किसान इन दिनों परेशान है. किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. लेकिन बाजार में बिकने वाले अंडों के रेट से ग्राहकों को कोई राहत नहीं है. ऐसे में अंडे के पीछे छुपे मुनाफे के फंडे की ईटीवी भारत ने पड़ताल की, जिसके बाद जो सच सामने आया वो आपको हैरान कर देगा.
दरअसल, अंडों की कीमत नेशनल एग कॉर्डिनेशन कमेटी (NECC) मांग और सप्लाई के आधार पर तय करती है. फिलहाल राजस्थान में अंडे की कीमत 2 रुपए 80 पैसे है. ऐसे में पॉल्ट्री फार्म के किसान एनईसीसी से नाखुश हैं. किसानों का आरोप है कि अंडों की कीमत को जानबूझकर घटाया जा रहा है, जिससे बिचौलिए व्यापारियों को लाभ पहुंचाया जा सके. पॉल्ट्री फार्म किसान NECC पर फीड और चिक व्यापारियों से मिलीभगत का भी आरोप लगा रहे हैं.
किसानों को सवा रुपये प्रति अंडे का घाटा
पॉल्ट्री फार्म मालिक बताते हैं कि नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी इन दिनों सटोरियों, चिक और फीड व्यापारियों की हाथ की कठपुतली बन गया है. जबकि इस कमेटी को पॉल्ट्री फार्म के किसानों के भले के लिये बनाया गया था. वर्तमान में अंडा किसानों को सवा रुपये प्रति अंडे का घाटा हो रहा है. जबकि घाटे को छुपाने के लिए कोरोना वायरस की अफवाह फैलाई जा रही है.
पढ़ें- स्पेशल : यहां पहलवानी परखने की परंपरा, 800 किलो वजनी पत्थर उठाने का चैलेंज
विशेषज्ञ मानते हैं कि अंडों के उत्पादन में आई कमी किसानों के लिए नुकसान की वजह है. उन्होंने बताया कि राजकीय कुक्कुट पालन प्रशिक्षण संस्था बाजार में बिकने वाले फीड का समय-समय पर नमूना लेता है और उसे प्रयोगशाला में भेजता है. उन्होंने बताया कि खराब फीड की वजह से अंडे के उत्पादन में कमी आई है. विशेषज्ञ बताते हैं कि पॉल्ट्री फार्म किसानों को फीड खुद तैयार करके मुर्गियों को डालनी चाहिए, जिससे अच्छे फीड होने से अंडों के उत्पादन में भी काफी फर्क पड़ेगा.
लेयर और बॉयलर दोनों प्रभावित
इन दिनों कोरोना वायरस को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है. जिसके चलते अंडों के उत्पादन के साथ ही उसकी मांग की भी कम हो गई है. फीड कारोबारी मानते हैं कि कोरोना वायरस की वजह से न केवल लेयर ही नहीं बल्कि बॉयलर पर भी काफी प्रभाव पड़ा है. वहीं, अंडा व्यवसायियों का मानना है कि प्रतिस्पर्धा और डिमांड कम होने की वजह से अंडे के भाव काफी कम हुए हैं.
पढ़ें- स्पेशलः नौसर तालाब पर स्थित मुगलकालीन छतरियां खो रहीं अस्तित्व, अनदेखी से हो रही जर्जर
अंडे के फंडे में नुकसान किसका?
अंडे के गिरते भाव और उत्पादन से चिक व्यापारियों को फायदा है. पॉल्ट्री फार्म किसान मुर्गियों को बेच के चिक खरीदेंगे और चिक को अंडा उत्पादन लायक बनाने के लिए फीड भी जरूरी है. ऐसे में अंडे के फंडे में नुकसान पॉल्ट्री फार्म किसानों और ग्राहकों को ही होना है. मसलन अंडे की कीमत कम होने के बावजूद भी ग्राहक को अंडा उसी भाव में मिल रहा, जो उसे तीन माह पहले मिला करता था.
2 रुपए 80 पैसे का अंडा ग्राहक को बाजार में रिटेल पर 5 से 6 में मिल रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि इस बीच का मार्जन कौन हजम कर रहा है. होल सेल व्यापारी से सेमी होल सेलर फिर रिटेलर से दुकान तक अंडे की कीमत दुगनी हो रही है. जिससे किसानों को ना कोई फायदा हो रहा है और ना ही ग्राहकों को कोई राहत मिल रही है.