ETV Bharat / city

सरकार ने राहत के लिए कलाकारों का जिक्र तक नहीं किया, इस बात की पीड़ा है : दृष्टि रॉय - Ajmer News

देश और दुनिया में कोरोना का कहर जारी है. कोरोना काल में बहुत कुछ बदल गया है, व्यापारिक संस्थाएं नुकसान से उभरने की कोशिश कर रही हैं. वहीं, लोग भी अपनी आजीविका कमाने में जुट गए हैं, लेकिन अभी भी ऐसे कई लोग हैं जिनके सामने रोजी-रोटी का संकट बरकरार है. इनमें कलाकार भी शामिल हैं. ईटीवी भारत ने अजमेर की प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना दृष्टि रॉय से कोरोना काल में उनके अनुभवों को लेकर विशेष बातचीत की. देखिये...

Kathak dancer Darshan Roy interview,  Rajasthan News
कथक नृत्यांगना दृष्टि रॉय
author img

By

Published : Nov 26, 2020, 11:03 PM IST

अजमेर. धार्मिक एवं पर्यटन नगरी होने के साथ ही अजमेर की पहचान कला एवं संस्कृति की नगरी के रूप में भी है. यहां कई कलाकारों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कला के माध्यम से अपनी पहचान बनाई है और अजमेर का नाम भी रोशन किया है. प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना दृष्टि रॉय ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में कोरोना काल में अपने अनुभवों को साझा किया.

कथक नृत्यांगना दृष्टि रॉय से बातचीत-1

दृष्टि बताती हैं कि कोरोना काल कलाकारों की आजीविका पर कहर बनकर टूटा है, जो कलाकार आर्थिक रूप से सक्षम है. उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है, लेकिन जो पूरी तरह से अपनी कला पर निर्भर थे. वह आर्थिक रूप से टूट चुके हैं. उन्होंने बताया कि कलाकार स्वाभिमानी होते हैं, इसलिए अपनी पीड़ा भी वह किसी को नहीं बताते. उन्होंने बताया कि कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन मंच पर करते हैं ऑनलाइन प्रदर्शन उतना प्रभावी नहीं है. कोरोना काल में मंच पर परफॉर्मेंस बंद है, जिस कारण कलाकारों के लिए यह बात काफी कठिनाई से बीत रहा है.

पढ़ें- Special : जीतेंगे जिंदगी की 'जंग'...राजस्थान में एक बार फिर शुरू हुई ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रकिया

उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से ऑनलाइन परफॉर्मेंस की बात की जा रही है, लेकिन ऑनलाइन प्रजेंटेशन तो दिया जा सकता है, लेकिन उसे सीखा और सिखाया नहीं जा सकता. नृत्य में कई तरह की भाव एवं मुद्राएं होती हैं, जिसे ऑनलाइन नहीं सिखाया जा सकता और कैमरा भी उनको नहीं पकड़ सकता. यह गुरुमुखी विद्या से ही संभव है. वह किसी टेक्नोलॉजी से नहीं सिखाई जा सकती, वह केवल विधा साक्षात ही सिखाई जा सकती है.

कथक नृत्यांगना दृष्टि रॉय कला एवं संस्कृति संस्था की पदाधिकारी हैं. साथ ही कथक नृत्य का हुनर भी वह अपने शिष्यों को देती आई हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में अन्य विद्यार्थियों के साथ जो बीत रही है, वही उनके शिष्यों के साथ भी हो रहा है. उनका कहना है कि या तो नृत्य विधा में शिष्य परिपक्व हो तो वह रियाज कर सकता है, अन्यथा रियाज के लिए भी गुरु का होना आवश्यक है. थोड़ा बहुत सीख कर रियाज करना चाहे वह संभव नहीं है.

पढ़ें- SPECIAL: ग्राम पंचायत का दर्जा भी छिना, नगर पालिका में भी नहीं शामिल हो सका लालगढ़ जाटान...अधरझूल में ग्रामीण

उन्होंने बताया कि कोरोना काल में अपने शिष्यों को ऑनलाइन नृत्य की शिक्षा देने की उन्होंने कोशिश की थी, लेकिन यह प्रयास विफल रहा. उन्होंने कहा कि कलाकार इन विषम परिस्थितियों में चुप्पी साधे हुए हैं. वह अपनी पीड़ा भी किसी को जाहिर नहीं कर पाते हैं. सरकार ने कलाकारों कार्यक्रम भी इन विषम परिस्थितियों में नहीं किया है. इस बात की पीड़ा कलाकारों की मन में है. दृष्टि बताती हैं कि सक्षम कलाकारों को उतनी परेशानी नहीं हो रही है, हालांकि उनकी परफॉर्मेंस नहीं हो रही है, लेकिन जिन कलाकारों की आजीविका अपनी कला पर ही निर्भर है. उनके सामने मुश्किल हालात खड़े हो गए हैं.

कथक नृत्यांगना दृष्टि रॉय से बातचीत-2

बातचीत में कत्थक नृत्यांगना दृष्टि रॉय ने बताया कि सरकारी आयोजनों में कलाकारों की कला का उचित मेहनताना नहीं दिया जाता है, इस बात को लेकर कई बार मुखर भी हुई हैं और उन्हें आलोचना का भी सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि कलाकारों और सहायक कलाकारों को सरकारी आयोजनों में परफॉर्मेंस करने पर 1500 से 2000 रुपए मिलते हैं. यह रुपए कलाकारों को अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

उनका कहना है कि सरकारी आयोजनों को प्रोफेशनल तरीके से आयोजित करना चाहिए, ताकि कलाकारों को उतनी सम्मानजनक राशि मिल सके, जिससे वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें. दृष्टि बताती हैं कि फिलहाल परिस्थितियां अनुकूल होने में वक्त लगेगा. उन्होंने कहा कि अनुकूल परिस्थितियां होने के बाद भी कलाकारों को मंच पर आने में 6 महीने लगेंगे. इतनी जल्दी परफॉर्मेंस के लिए कलाकार भी तैयार नहीं होंगे. हालांकि अभी ऐसी संभावना नहीं लग रही है.

अजमेर. धार्मिक एवं पर्यटन नगरी होने के साथ ही अजमेर की पहचान कला एवं संस्कृति की नगरी के रूप में भी है. यहां कई कलाकारों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कला के माध्यम से अपनी पहचान बनाई है और अजमेर का नाम भी रोशन किया है. प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना दृष्टि रॉय ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में कोरोना काल में अपने अनुभवों को साझा किया.

कथक नृत्यांगना दृष्टि रॉय से बातचीत-1

दृष्टि बताती हैं कि कोरोना काल कलाकारों की आजीविका पर कहर बनकर टूटा है, जो कलाकार आर्थिक रूप से सक्षम है. उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है, लेकिन जो पूरी तरह से अपनी कला पर निर्भर थे. वह आर्थिक रूप से टूट चुके हैं. उन्होंने बताया कि कलाकार स्वाभिमानी होते हैं, इसलिए अपनी पीड़ा भी वह किसी को नहीं बताते. उन्होंने बताया कि कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन मंच पर करते हैं ऑनलाइन प्रदर्शन उतना प्रभावी नहीं है. कोरोना काल में मंच पर परफॉर्मेंस बंद है, जिस कारण कलाकारों के लिए यह बात काफी कठिनाई से बीत रहा है.

पढ़ें- Special : जीतेंगे जिंदगी की 'जंग'...राजस्थान में एक बार फिर शुरू हुई ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रकिया

उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से ऑनलाइन परफॉर्मेंस की बात की जा रही है, लेकिन ऑनलाइन प्रजेंटेशन तो दिया जा सकता है, लेकिन उसे सीखा और सिखाया नहीं जा सकता. नृत्य में कई तरह की भाव एवं मुद्राएं होती हैं, जिसे ऑनलाइन नहीं सिखाया जा सकता और कैमरा भी उनको नहीं पकड़ सकता. यह गुरुमुखी विद्या से ही संभव है. वह किसी टेक्नोलॉजी से नहीं सिखाई जा सकती, वह केवल विधा साक्षात ही सिखाई जा सकती है.

कथक नृत्यांगना दृष्टि रॉय कला एवं संस्कृति संस्था की पदाधिकारी हैं. साथ ही कथक नृत्य का हुनर भी वह अपने शिष्यों को देती आई हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में अन्य विद्यार्थियों के साथ जो बीत रही है, वही उनके शिष्यों के साथ भी हो रहा है. उनका कहना है कि या तो नृत्य विधा में शिष्य परिपक्व हो तो वह रियाज कर सकता है, अन्यथा रियाज के लिए भी गुरु का होना आवश्यक है. थोड़ा बहुत सीख कर रियाज करना चाहे वह संभव नहीं है.

पढ़ें- SPECIAL: ग्राम पंचायत का दर्जा भी छिना, नगर पालिका में भी नहीं शामिल हो सका लालगढ़ जाटान...अधरझूल में ग्रामीण

उन्होंने बताया कि कोरोना काल में अपने शिष्यों को ऑनलाइन नृत्य की शिक्षा देने की उन्होंने कोशिश की थी, लेकिन यह प्रयास विफल रहा. उन्होंने कहा कि कलाकार इन विषम परिस्थितियों में चुप्पी साधे हुए हैं. वह अपनी पीड़ा भी किसी को जाहिर नहीं कर पाते हैं. सरकार ने कलाकारों कार्यक्रम भी इन विषम परिस्थितियों में नहीं किया है. इस बात की पीड़ा कलाकारों की मन में है. दृष्टि बताती हैं कि सक्षम कलाकारों को उतनी परेशानी नहीं हो रही है, हालांकि उनकी परफॉर्मेंस नहीं हो रही है, लेकिन जिन कलाकारों की आजीविका अपनी कला पर ही निर्भर है. उनके सामने मुश्किल हालात खड़े हो गए हैं.

कथक नृत्यांगना दृष्टि रॉय से बातचीत-2

बातचीत में कत्थक नृत्यांगना दृष्टि रॉय ने बताया कि सरकारी आयोजनों में कलाकारों की कला का उचित मेहनताना नहीं दिया जाता है, इस बात को लेकर कई बार मुखर भी हुई हैं और उन्हें आलोचना का भी सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि कलाकारों और सहायक कलाकारों को सरकारी आयोजनों में परफॉर्मेंस करने पर 1500 से 2000 रुपए मिलते हैं. यह रुपए कलाकारों को अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

उनका कहना है कि सरकारी आयोजनों को प्रोफेशनल तरीके से आयोजित करना चाहिए, ताकि कलाकारों को उतनी सम्मानजनक राशि मिल सके, जिससे वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें. दृष्टि बताती हैं कि फिलहाल परिस्थितियां अनुकूल होने में वक्त लगेगा. उन्होंने कहा कि अनुकूल परिस्थितियां होने के बाद भी कलाकारों को मंच पर आने में 6 महीने लगेंगे. इतनी जल्दी परफॉर्मेंस के लिए कलाकार भी तैयार नहीं होंगे. हालांकि अभी ऐसी संभावना नहीं लग रही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.