अजमेर. प्रदेश में मानसून की एंट्री होने वाली है. ऐसे में वन विभाग सघन पौधारोपण की तैयारियों में जुट गया है. जिले में 15 जुलाई से 6 चयनित वन क्षेत्रों में ढाई सौ हेक्टेयर भूमि पर 1 लाख 40 हजार पौधे लगाए जाएंगे. वन विभाग द्वारा जिले में हर वर्ष लाखों पौधे लगाए जाते हैं. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर लाखों पौधे गए कहां. ईटीवी भारत ने अपनी ग्रीन भारत मुहिम के तहत यह जानने की कोशिश की और उन जंगलों में भी जाकर देखा जहां विभाग ने पहले पौधे लगाए थे. जंगलों में विभाग के दावे और हकीकत में बड़ा फर्क नजर आया. विभाग के पौधारोपण के कागजी आंकड़ें वन क्षेत्रों में नजर नहीं आए.
वन विभाग की ओर से पिछले वर्षों में लगाए गए पौधों के आंकड़े-:
वर्ष | पौधों की संख्या |
2014-15 | 2 लाख |
2015-16 | 4 लाख 65 हजार |
2016-17 | 1 लाख 63 हजार 263 |
2017-18 | 2 लाख 35 हजार |
2018-19 में वन विभाग द्वारा 1 लाख 40 हजार पौधे लगाए जाएंगे. वन विभाग की ओर से लगातार हो रहे पौधारोपण से जिले में एक सुखद पहलू भी दिखा है. साल 2018 की आईएफएसआर रिपोर्ट के अनुसार अजमेर जिले में 13 किलोमीटर वर्ग वन क्षेत्र में इजाफा हुआ है. विभाग द्वारा अब तक लगाए गए पौधों के आंकड़ों के हिसाब से जिले में छायादार वृक्षों से आच्छादित सघन वन हो जाने चाहिए थे, लेकिन वनों की स्थिति देखकर नहीं लगता कि वर्षों से लगातार पौधारोपण से पेड़ों की संख्या बढ़ी है. विभाग के पास वर्षों से लगाए गए पौधों का रिकॉर्ड तो है लेकिन कितने पौधे पेड़ बने, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है.
दरअसल, पौधारोपण बारिश के दिनों में किया जाता है. पहाड़ों और वन क्षेत्रों में पथरीली जमीन की वजह से पौधे ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाते हैं. वहीं पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण भी कुछ पौधे सूख जाते हैं. वहीं बचे पौधों को वन क्षेत्रों में घूमने वाले मवेशी खा जाते हैं. लेकिन विभाग की ओर से हर वर्ष पौधारोपण किए जाने की प्रक्रिया नहीं रुकती है. इस वर्ष भी विभाग ने पौधारोपण की तैयारी कर ली है. वहीं पौधारोपण के बाद पौधों की देखरेख के लिए इस बार विभाग गंभीर नजर आ रहा है.