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हरा-भरा राजस्थान : अजमेर जिले में हर साल लाखों पौधे लगाने का दावा, देखें जमीनी हकीकत - वन विभाग

अजमेर में वन विभाग हर साल सघन पौधारोपण करता है. इस बार भी चयनित वन क्षेत्रों में 1 लाख 40 हजार पौधे लगाए जाएंगे. ईटीवी भारत ने हरा-भरा राजस्थान मुहिम के तहत जिले में जंगलों में पड़ताल की, तो विभाग के पौधारोपण के कागजी आंकड़ें वन क्षेत्रों में नजर नहीं आए.

अजमेर जिले में वन विभाग हर साल कर रहा पौधारोपण
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Published : Jun 29, 2019, 4:51 PM IST

Updated : Jun 29, 2019, 6:04 PM IST

अजमेर. प्रदेश में मानसून की एंट्री होने वाली है. ऐसे में वन विभाग सघन पौधारोपण की तैयारियों में जुट गया है. जिले में 15 जुलाई से 6 चयनित वन क्षेत्रों में ढाई सौ हेक्टेयर भूमि पर 1 लाख 40 हजार पौधे लगाए जाएंगे. वन विभाग द्वारा जिले में हर वर्ष लाखों पौधे लगाए जाते हैं. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर लाखों पौधे गए कहां. ईटीवी भारत ने अपनी ग्रीन भारत मुहिम के तहत यह जानने की कोशिश की और उन जंगलों में भी जाकर देखा जहां विभाग ने पहले पौधे लगाए थे. जंगलों में विभाग के दावे और हकीकत में बड़ा फर्क नजर आया. विभाग के पौधारोपण के कागजी आंकड़ें वन क्षेत्रों में नजर नहीं आए.

हरा-भरा राजस्थान : अजमेर जिले में वन विभाग हर साल कर रहा पौधारोपण, इस बार भी लगाए जाएंगे 1 लाख 40 हजार पौधे

वन विभाग की ओर से पिछले वर्षों में लगाए गए पौधों के आंकड़े-:

वर्ष पौधों की संख्या
2014-15 2 लाख
2015-16 4 लाख 65 हजार
2016-17 1 लाख 63 हजार 263
2017-18 2 लाख 35 हजार

2018-19 में वन विभाग द्वारा 1 लाख 40 हजार पौधे लगाए जाएंगे. वन विभाग की ओर से लगातार हो रहे पौधारोपण से जिले में एक सुखद पहलू भी दिखा है. साल 2018 की आईएफएसआर रिपोर्ट के अनुसार अजमेर जिले में 13 किलोमीटर वर्ग वन क्षेत्र में इजाफा हुआ है. विभाग द्वारा अब तक लगाए गए पौधों के आंकड़ों के हिसाब से जिले में छायादार वृक्षों से आच्छादित सघन वन हो जाने चाहिए थे, लेकिन वनों की स्थिति देखकर नहीं लगता कि वर्षों से लगातार पौधारोपण से पेड़ों की संख्या बढ़ी है. विभाग के पास वर्षों से लगाए गए पौधों का रिकॉर्ड तो है लेकिन कितने पौधे पेड़ बने, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है.

दरअसल, पौधारोपण बारिश के दिनों में किया जाता है. पहाड़ों और वन क्षेत्रों में पथरीली जमीन की वजह से पौधे ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाते हैं. वहीं पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण भी कुछ पौधे सूख जाते हैं. वहीं बचे पौधों को वन क्षेत्रों में घूमने वाले मवेशी खा जाते हैं. लेकिन विभाग की ओर से हर वर्ष पौधारोपण किए जाने की प्रक्रिया नहीं रुकती है. इस वर्ष भी विभाग ने पौधारोपण की तैयारी कर ली है. वहीं पौधारोपण के बाद पौधों की देखरेख के लिए इस बार विभाग गंभीर नजर आ रहा है.

अजमेर. प्रदेश में मानसून की एंट्री होने वाली है. ऐसे में वन विभाग सघन पौधारोपण की तैयारियों में जुट गया है. जिले में 15 जुलाई से 6 चयनित वन क्षेत्रों में ढाई सौ हेक्टेयर भूमि पर 1 लाख 40 हजार पौधे लगाए जाएंगे. वन विभाग द्वारा जिले में हर वर्ष लाखों पौधे लगाए जाते हैं. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर लाखों पौधे गए कहां. ईटीवी भारत ने अपनी ग्रीन भारत मुहिम के तहत यह जानने की कोशिश की और उन जंगलों में भी जाकर देखा जहां विभाग ने पहले पौधे लगाए थे. जंगलों में विभाग के दावे और हकीकत में बड़ा फर्क नजर आया. विभाग के पौधारोपण के कागजी आंकड़ें वन क्षेत्रों में नजर नहीं आए.

हरा-भरा राजस्थान : अजमेर जिले में वन विभाग हर साल कर रहा पौधारोपण, इस बार भी लगाए जाएंगे 1 लाख 40 हजार पौधे

वन विभाग की ओर से पिछले वर्षों में लगाए गए पौधों के आंकड़े-:

वर्ष पौधों की संख्या
2014-15 2 लाख
2015-16 4 लाख 65 हजार
2016-17 1 लाख 63 हजार 263
2017-18 2 लाख 35 हजार

2018-19 में वन विभाग द्वारा 1 लाख 40 हजार पौधे लगाए जाएंगे. वन विभाग की ओर से लगातार हो रहे पौधारोपण से जिले में एक सुखद पहलू भी दिखा है. साल 2018 की आईएफएसआर रिपोर्ट के अनुसार अजमेर जिले में 13 किलोमीटर वर्ग वन क्षेत्र में इजाफा हुआ है. विभाग द्वारा अब तक लगाए गए पौधों के आंकड़ों के हिसाब से जिले में छायादार वृक्षों से आच्छादित सघन वन हो जाने चाहिए थे, लेकिन वनों की स्थिति देखकर नहीं लगता कि वर्षों से लगातार पौधारोपण से पेड़ों की संख्या बढ़ी है. विभाग के पास वर्षों से लगाए गए पौधों का रिकॉर्ड तो है लेकिन कितने पौधे पेड़ बने, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है.

दरअसल, पौधारोपण बारिश के दिनों में किया जाता है. पहाड़ों और वन क्षेत्रों में पथरीली जमीन की वजह से पौधे ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाते हैं. वहीं पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण भी कुछ पौधे सूख जाते हैं. वहीं बचे पौधों को वन क्षेत्रों में घूमने वाले मवेशी खा जाते हैं. लेकिन विभाग की ओर से हर वर्ष पौधारोपण किए जाने की प्रक्रिया नहीं रुकती है. इस वर्ष भी विभाग ने पौधारोपण की तैयारी कर ली है. वहीं पौधारोपण के बाद पौधों की देखरेख के लिए इस बार विभाग गंभीर नजर आ रहा है.

Intro:अजमेर। मानसून के इंतजार के साथ ही वन विभाग सघन पौधारोपण की तैयारी में जुट गया है 15 जुलाई से जिले में 6 चयनित वन क्षेत्रों में ढाई सौ हेक्टेयर भूमि पर 1 लाख 40 हजार पौधे लगाए जाएंगे। हर वर्ष वन विभाग लाखों पौधे लगाता है। मगर सवाल यह उठता है कि दशकों से विभाग की ओर से लगाए गए लाखों पौधे आखिर गए कहां।

ईटीवी भारत ग्रीन भारत मुहिम में हमने यही जानने की कोशिश की और उन जंगल में उन क्षेत्रों को भी देखा जहां पहले पौधे लगाए जा चुके हैं। इससे विभाग के दावे और जमीनी हकीकत में बड़ा फर्क नजर आया पर्यावरण संतुलन के लिए पेड़ होना जरूरी है। मगर हर वर्ष लगाए जा रहे लाखों पौधों के पेड़ बनने का संतुलन नहीं बन पाया है। ज्यादातर पौधारोपण कागजी आंकड़ों में नजर आता है जबकि वन क्षेत्रों में हकीकत इससे परे है। अजमेर जिले में वन विभाग की ओर से पिछले 5 वर्षों में लगाए गए पौधों के आंकड़े इस प्रकार हैं।

वर्ष 2014-15 में दो लाख, वर्ष 2015-16 में चार लाख 65 हजार, वर्ष 2016 17 में एक लाख 63 हजार 263, वर्ष 2017-18 में दो लाख 35 हजार पौधों का रोपण वन क्षेत्र में किया गया। जबकि इस वर्ष 2018-19 में 1 लाख 40 हजार पौधे लगाए जाएंगे। वर्षों से वन विभाग की ओर से हो रहे पौधारोपण को लेकर जिले में एक सुखद पहलू यह भी है कि आईएफएसआर वर्ष 2018 की रिपोर्ट के अनुसार अजमेर जिले में 13 किलोमीटर वर्ग वन क्षेत्र में इजाफा हुआ है।

वन विभाग के आंकड़ों के हिसाब से देखें तो जिले में वन क्षेत्र छायादार वृक्षों से आच्छादित सघन वन हो जाना चाहिए था। मगर वनों की स्थिति को देखकर नहीं लगता कि वर्षों से वन विभाग की ओर से हो रहे पौधारोपण से वनों में पेड़ों की संख्या बढ़ी है। ऐसे में सवाल उठता है कि लगाए गए पौधे आखिर गए कहां। विभाग के पास वर्षों से लगाए गए पौधों का रिकॉर्ड तो है लेकिन कितने पौधे जीवित रहकर पेड़ बन गए इसका कोई रिकॉर्ड विभाग के पास नहीं है। दरअसल पौधारोपण बारिश के दिनों में किया जाता है। लगाए गए पौधे पूरी तरह बारिश पर निर्भर होते हैं। पहाड़ों और वन क्षेत्रों में पथरीली जमीन की वजह से पौधे ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाते। वहीं पर्याप्त बारिश नहीं होने की वजह से भी पौधों को जीवनदान नहीं मिल पाता। वही रही सही कसर वन क्षेत्रों में घूमने वाले मवेशी पूरी कर देते हैं। मवेशी पौधों को खा जाते हैं। लेकिन विभाग की ओर से हर वर्ष पौधारोपण किए जाने की प्रक्रिया नहीं रुकती इस वर्ष भी विभाग ने पौधारोपण की तैयारी कर ली है वही पौधारोपण के बाद पौधों की देखरेख के लिए भी इस बार से गंभीरता बरती जा रही है।




Body:प्रियांक शर्मा अजमेर


Conclusion:
Last Updated : Jun 29, 2019, 6:04 PM IST
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