अजमेर. संभागीय आयुक्त आरुषि मलिक ने मंगलवार को संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल का निरीक्षण किया. अस्पताल में प्रवेश करते ही आरुषि मलिक में आउटडोर में गंदगी और मकड़ी के जालों को देखकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है. वहीं वार्डों की खस्ता हालत को देखते हुए अस्पताल के ऐसे वार्डों को गोद लेने के लिए संभागीय आयुक्त ने सामाजिक संस्थाओं की अस्पताल प्रशासन से सूची मांगी है.
अजमेर संभागीय आयुक्त ने जेएलएन अस्पताल में प्लाजमा थेरेपी सेंटर का भी निरीक्षण किया. बातचीत में मलिक ने कहा कि संभाग के 2 जिले अजमेर और भीलवाड़ा में प्लाजमा थेरेपी से कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज शुरू हो चुका है. उन्होंने कहा कि जो लोग कोरोना से जंग जीत चुके हैं. ऐसे लोगों को प्लाज्मा दान करने के लिए सामने आना चाहिए.
इसी के साथ उन्होंने बताया कि अजमेर में प्लाज्मा थेरेपी सेंटर में 5 लोगों ने प्लाज्मा दान किया है. उन्होंने यह भी बताया कि प्लाजमा थेरेपी के लिए हर किसी का प्लाज्मा नहीं लिया जा सकता इसके लिए निर्धारित मापदंड है. उन मापदंडों के आधार पर ही जिन लोगों के रक्त में एंटीबॉडीज बन चुके हैं. उनका ही प्लाज्मा मरीजों के इलाज में काम में लिया जाता है. उन्होंने लोगों से प्लाज्मा दान करने की अपील भी की है.
अजमेर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना महामारी के आंकड़े छुपाए जाने के सवाल पर संभागीय आयुक्त आरुषि मलिक ने कहा कि संवाद की कमी इसका कारण हो सकते हैं. इसको लेकर विभाग के अधिकारियों से बातचीत की जाएगी. अस्पताल में संभागीय आयुक्त आरुषि मलिक ने वार्डों का भी दौरा किया. जहां भर्ती परिजनों से संभागीय आयुक्त ने समस्या के बारे में पूछताछ भी की है.
इसके साथ ही वार्डों की खस्ता हालत को देखते हुए अस्पताल प्रशासन से सामाजिक संगठनों की सूची भी उन्हें उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं, ताकि वार्डों की सार संभाल के लिए किसी अच्छी सामाजिक संगठन को गोद दिया जा सके.