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शीतला सप्तमी: जिले भर में पूजा-अर्चना का दौर जारी, माता को लगाया रांदा-पोया और ठंडे भोजन का भोग

आज शीतला सप्तमी के दिन जिले भर में शीतला माता (Sheetala Saptami 2022) की पूजा-अर्चना की जा रही है. अजमेर के प्राचीन शीतला मंदिर में रात 12 बजे से ही श्रद्धालुओं (Sheetla Mata Temple in Ajmer) का तांता लगा हुआ है. दो सालों बाद भक्तों को माता के दर्शन करने का मौका मिला है. इसके साथ ही मंदिर परिसर के बाहर मेले का भी आयोजन किया गया है.

Sheetla Mata Temple in Ajmer
शीतला माता मंदिर अजमेर
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Published : Mar 24, 2022, 12:37 PM IST

अजमेर. जिले में गुरुवार को शीतला सप्तमी मनाई जा रही है. बुधवार को लोगों ने घरों में रांदा-पोया बनाया और गुरुवार को शीतला माता की विधिवत पूजा (Sheetala Saptami 2022) अर्चना कर परिवार में स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना की. लोगों में शीतला सप्तमी पर्व को मनाने को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया. दरअसल कोरोना के संकट काल की वजह से पिछले 2 सालों से शीतला सप्तमी पर शीतला माता की पूजा अर्चना लोग नहीं कर पा रहे थे. लिहाजा कोरोना संकट कम होने पर जिलेभर में शीतला माता की पूजा अर्चना का दौर जारी है. इस बार लोग बिना पाबंदी माता का पूजन कर रहे हैं.

प्राचीन शीतला माता मंदिर का है विशेष महत्व: अजमेर में प्राचीन शीतला माता मंदिर धार्मिक (Sheetla Mata Temple in Ajmer) आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है. यूं तो साल भर मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन शीतला सप्तमी पर मंदिर में पूजा करने का विशेष महत्व है. लोगों का विश्वास है कि शीतला सप्तमी पर मंदिर में पूजा अर्चना करने से परिवार में बीमारियों का संकट दूर होता है. परिवार में सुख शांति बनी रहती है. इसी कारण शीतला माता मंदिर में रात्रि 12 बजे से ही पूजा अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ लग गई. बताया जा रहा है कि गुरुवार और शुक्रवार दोनों दिन ही माता की पूजा अर्चना होगी.

शीतला सप्तमी के दिन पर जिले भर में शीतला माता की पूजा अर्चना की जा रही है

लोढा परिवार ने बनवाया था मंदिर: करीब डेढ़ सदी पहले अजमेर के कानमल लोढा ने शीतला माता मंदिर का निर्माण करवाया था. आज भी लोढा परिवार ही मंदिर की व्यवस्थाओं की देख-रेख करता है. शीतला सप्तमी पर रात्रि 12 बजे से मंदिर के पट खुलने के साथ ही सबसे पहले लोढा परिवार माता की पूजा अर्चना करता है, इसके बाद श्रद्धालु पूजन करते हैं. लोढा परिवार के सदस्य रणजीत मल लोढा ने बताया कि लोगों में मंदिर को लेकर गहरी आस्था है.

पिछले दो वर्षों से लोग कोरोना संकट की वजह से मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं कर पा रहे थे. लोगों का विश्वास है कि शीतला माता की पूजा अर्चना करने से उन्हें बीमारियों से मुक्ति मिलेगी. खासकर बोदरी जैसी बीमारी से मुक्ति के लिए मंदिर में अलग से पूजा की जाती है. उन्होंने बताया कि इस बार लोगों से अपील की जा रही है कि मंदिर में भोग बंद पैकेट में अर्पण करें. ताकि मंदिर में चढ़ाया गया भोग किसी जरूरतमंद के काम आ सके. लोढा ने बताया कि पानी की वजह से भोग के रूप में चढ़ाए गए भोग खराब हो जाते हैं. इस अपील का लोगों में असर भी दिखा, लोग पैकेट में भोग लेकर आए और मंदिर में अर्पण किया.

पढ़ें-Mahashivratri Festival : द्रविड़ शैली में बना राजस्थान का एकमात्र शिव मंदिर.... 'झारखंड महादेव मंदिर' पर लगती है कतार

शीतला माता को शीतल जल और ठंडा भोजन किया अर्पित: शीतला सप्तमी पर महिलाओं ने जिले भर में शीतला माता की पूजा की. मान्यता अनुसार पूजा में शीतल जल और ठंडा भोजन भोग के रूप में अर्पित किया जाता है. पूजन के बाद बुजुर्ग महिलाओं ने शीतला माता की कथा अन्य महिलाओं को सुनाई. मान्यता है कि शीतला सप्तमी पर ठंडा भोजन का भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में केवल ठंडा भोजन ही ग्रहण किया जाता है.

एक दिन पहले ही बनाए जाते हैं व्यजंन: शीतला सप्तमी के एक दिन पहले घर-घर में रांदा पोया बनाया जाता है. इसमें ओल्या, दही बड़े, पंचकुटा, राबड़ी, कैर सांगरी की सब्जी, नमकीन मीठे पुए, पूरी खीर, विभिन्न प्रकार के पापड़ सहित कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं. जिसका भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में लोग इन व्यंजन को ही भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं.

अजमेर. जिले में गुरुवार को शीतला सप्तमी मनाई जा रही है. बुधवार को लोगों ने घरों में रांदा-पोया बनाया और गुरुवार को शीतला माता की विधिवत पूजा (Sheetala Saptami 2022) अर्चना कर परिवार में स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना की. लोगों में शीतला सप्तमी पर्व को मनाने को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया. दरअसल कोरोना के संकट काल की वजह से पिछले 2 सालों से शीतला सप्तमी पर शीतला माता की पूजा अर्चना लोग नहीं कर पा रहे थे. लिहाजा कोरोना संकट कम होने पर जिलेभर में शीतला माता की पूजा अर्चना का दौर जारी है. इस बार लोग बिना पाबंदी माता का पूजन कर रहे हैं.

प्राचीन शीतला माता मंदिर का है विशेष महत्व: अजमेर में प्राचीन शीतला माता मंदिर धार्मिक (Sheetla Mata Temple in Ajmer) आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है. यूं तो साल भर मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन शीतला सप्तमी पर मंदिर में पूजा करने का विशेष महत्व है. लोगों का विश्वास है कि शीतला सप्तमी पर मंदिर में पूजा अर्चना करने से परिवार में बीमारियों का संकट दूर होता है. परिवार में सुख शांति बनी रहती है. इसी कारण शीतला माता मंदिर में रात्रि 12 बजे से ही पूजा अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ लग गई. बताया जा रहा है कि गुरुवार और शुक्रवार दोनों दिन ही माता की पूजा अर्चना होगी.

शीतला सप्तमी के दिन पर जिले भर में शीतला माता की पूजा अर्चना की जा रही है

लोढा परिवार ने बनवाया था मंदिर: करीब डेढ़ सदी पहले अजमेर के कानमल लोढा ने शीतला माता मंदिर का निर्माण करवाया था. आज भी लोढा परिवार ही मंदिर की व्यवस्थाओं की देख-रेख करता है. शीतला सप्तमी पर रात्रि 12 बजे से मंदिर के पट खुलने के साथ ही सबसे पहले लोढा परिवार माता की पूजा अर्चना करता है, इसके बाद श्रद्धालु पूजन करते हैं. लोढा परिवार के सदस्य रणजीत मल लोढा ने बताया कि लोगों में मंदिर को लेकर गहरी आस्था है.

पिछले दो वर्षों से लोग कोरोना संकट की वजह से मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं कर पा रहे थे. लोगों का विश्वास है कि शीतला माता की पूजा अर्चना करने से उन्हें बीमारियों से मुक्ति मिलेगी. खासकर बोदरी जैसी बीमारी से मुक्ति के लिए मंदिर में अलग से पूजा की जाती है. उन्होंने बताया कि इस बार लोगों से अपील की जा रही है कि मंदिर में भोग बंद पैकेट में अर्पण करें. ताकि मंदिर में चढ़ाया गया भोग किसी जरूरतमंद के काम आ सके. लोढा ने बताया कि पानी की वजह से भोग के रूप में चढ़ाए गए भोग खराब हो जाते हैं. इस अपील का लोगों में असर भी दिखा, लोग पैकेट में भोग लेकर आए और मंदिर में अर्पण किया.

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शीतला माता को शीतल जल और ठंडा भोजन किया अर्पित: शीतला सप्तमी पर महिलाओं ने जिले भर में शीतला माता की पूजा की. मान्यता अनुसार पूजा में शीतल जल और ठंडा भोजन भोग के रूप में अर्पित किया जाता है. पूजन के बाद बुजुर्ग महिलाओं ने शीतला माता की कथा अन्य महिलाओं को सुनाई. मान्यता है कि शीतला सप्तमी पर ठंडा भोजन का भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में केवल ठंडा भोजन ही ग्रहण किया जाता है.

एक दिन पहले ही बनाए जाते हैं व्यजंन: शीतला सप्तमी के एक दिन पहले घर-घर में रांदा पोया बनाया जाता है. इसमें ओल्या, दही बड़े, पंचकुटा, राबड़ी, कैर सांगरी की सब्जी, नमकीन मीठे पुए, पूरी खीर, विभिन्न प्रकार के पापड़ सहित कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं. जिसका भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में लोग इन व्यंजन को ही भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं.

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