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सकारात्मक सोच की OXYGEN : ठान लिया था कि चाचा का ऑक्सीजन लेवल 75 से 95 पर लाना है..सकारात्मक सोच से हारा कोरोना - coronavirus affected in ajmer last 24 hours

कोरोना महामारी का प्रकोप जारी है. कई लोग अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे हालातों में अपनी मानसिक स्थिति को मजबूत रखने और हौसले के साथ कोरोना का मुकाबला करने वाले भी बहुत हैं. अजमेर के रेलवे कैरिज वर्कशॉप में 55 वर्षीय कर्मचारी हेमंत गहरवार ने कोरोना को अपने हौसले से मात दी है.

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सकारात्मक सोच की OXYGEN
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Published : Apr 30, 2021, 3:39 PM IST

अजमेर. रेलवे कर्मचारी हेमंत गहरवार का हौसला उनके भतीजे हर्षद सिंह और बेटे मयंक सिंह ने बढ़ाया. दोनों युवाओं ने ठान लिया था कि हेमंत के शरीर में 76 पर आए ऑक्सीजन लेवल को 95 पर लाना है. 6 दिन लगातार मॉनिटरिंग और मरीज का मनोबल बढ़ाये रखने से यह संभव हुआ. हेमंत सकुशल अपने परिवार के साथ हैं.

बता दें कि 55 वर्षीय हेमंत गहरवार का 4 सदस्य परिवार है. परिवार के 3 सदस्यों की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी. हेमंत गहरवार की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. परिवार में सभी सदस्यों में कोरोना के समान लक्षण थे. 21 अप्रैल की रात को हेमंत गहरवार की अचानक तबीयत बिगड़ गई. उन्हें रेलवे अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां से उन्हें जेएलएन अस्पताल में रेफर कर दिया गया.

हेमंत गहरवार की किस्मत अच्छी थी कि उन्हें उस वक्त जेएलएन अस्पताल में बेड मिल गया. अस्पताल में हर तरफ कोरोना के मरीज थे जिनके बीच दहशत का माहौल था. हेमन्त को संभालने के लिए कोई नहीं था. परिवार के सदस्य भी कोरोना की गिरफ्त में थे. तब कोटा से उनके 22 वर्षीय भतीजे हर्षद सिंह ने आकर चाचा को संभाला. अस्पताल में चाचा का मनोबल बढ़ाए रखा.

पढ़ें- Special : जो भूख को बयां नहीं कर पाते उनके लिए फरिश्ता बना ये शख्स, बेजुबानों से कुछ ऐसा है रिश्ता

नकारात्मक विचार न आएं इसके लिए मोबाइल फोन तक उन्हें नहीं दिया. हर्षद सिंह बताते हैं कि अस्पताल में जब चाचा हेमंत सिंह गहरवार को भर्ती करवाया गया था तब उनका ऑक्सीजन लेवल महज 75 था. अस्पताल में हर तरफ डर का माहौल था. इस माहौल में भी एक पल भी उनके चाचा हेमंत को विचलित नहीं होने दिया और उनका मनोबल बढ़ाए रखा.

उन्होंने बताया कि ऑक्सीमीटर की लगातार मॉनिटरिंग करने के साथ ही चिकित्सकों से मेरे परामर्श के अनुसार ही वह इलाज करवाते रहे. नर्सिंग स्टाफ का पूरा सहयोग मिलता रहा. यही वजह है कि चाचा ने कोरोना को मात दे दी. उनकी और परिवार के अन्य सदस्यों की कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है. मगर वह खुद कोरोना की गिरफ्त में हैं. इसलिए खुद को क्वारंटाइन कर रखा है.

हर्षद सिंह बताते हैं कि सकारात्मक सोच, चिकित्सकों पर भरोसा और नर्सिंग स्टाफ के साथ अच्छे व्यवहार के कारण इस भयानक परिस्थितियों से उनके चाचा अस्पताल से निकलकर सकुशल घर आ गए हैं.

अजमेर. रेलवे कर्मचारी हेमंत गहरवार का हौसला उनके भतीजे हर्षद सिंह और बेटे मयंक सिंह ने बढ़ाया. दोनों युवाओं ने ठान लिया था कि हेमंत के शरीर में 76 पर आए ऑक्सीजन लेवल को 95 पर लाना है. 6 दिन लगातार मॉनिटरिंग और मरीज का मनोबल बढ़ाये रखने से यह संभव हुआ. हेमंत सकुशल अपने परिवार के साथ हैं.

बता दें कि 55 वर्षीय हेमंत गहरवार का 4 सदस्य परिवार है. परिवार के 3 सदस्यों की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी. हेमंत गहरवार की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. परिवार में सभी सदस्यों में कोरोना के समान लक्षण थे. 21 अप्रैल की रात को हेमंत गहरवार की अचानक तबीयत बिगड़ गई. उन्हें रेलवे अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां से उन्हें जेएलएन अस्पताल में रेफर कर दिया गया.

हेमंत गहरवार की किस्मत अच्छी थी कि उन्हें उस वक्त जेएलएन अस्पताल में बेड मिल गया. अस्पताल में हर तरफ कोरोना के मरीज थे जिनके बीच दहशत का माहौल था. हेमन्त को संभालने के लिए कोई नहीं था. परिवार के सदस्य भी कोरोना की गिरफ्त में थे. तब कोटा से उनके 22 वर्षीय भतीजे हर्षद सिंह ने आकर चाचा को संभाला. अस्पताल में चाचा का मनोबल बढ़ाए रखा.

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नकारात्मक विचार न आएं इसके लिए मोबाइल फोन तक उन्हें नहीं दिया. हर्षद सिंह बताते हैं कि अस्पताल में जब चाचा हेमंत सिंह गहरवार को भर्ती करवाया गया था तब उनका ऑक्सीजन लेवल महज 75 था. अस्पताल में हर तरफ डर का माहौल था. इस माहौल में भी एक पल भी उनके चाचा हेमंत को विचलित नहीं होने दिया और उनका मनोबल बढ़ाए रखा.

उन्होंने बताया कि ऑक्सीमीटर की लगातार मॉनिटरिंग करने के साथ ही चिकित्सकों से मेरे परामर्श के अनुसार ही वह इलाज करवाते रहे. नर्सिंग स्टाफ का पूरा सहयोग मिलता रहा. यही वजह है कि चाचा ने कोरोना को मात दे दी. उनकी और परिवार के अन्य सदस्यों की कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है. मगर वह खुद कोरोना की गिरफ्त में हैं. इसलिए खुद को क्वारंटाइन कर रखा है.

हर्षद सिंह बताते हैं कि सकारात्मक सोच, चिकित्सकों पर भरोसा और नर्सिंग स्टाफ के साथ अच्छे व्यवहार के कारण इस भयानक परिस्थितियों से उनके चाचा अस्पताल से निकलकर सकुशल घर आ गए हैं.

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