अजमेर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अजयमेरु की ओर से आयोजित प्रबुद्ध जन सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि भारत स्वाधीन तो है, लेकिन हमें स्वतंत्र विकसित करना होगा. भारत को सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से आजादी नहीं चाहिए, हमें वैचारिक और बौद्धिक उपनिवेश से मुक्त होना होगा. होसबोले अजमेर में शनिवार को जवाहर रंग मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अजयमेरु की ओर से आयोजित प्रबुद्ध जन सम्मेलन में ''एक भारत श्रेष्ठ भारत निर्माण में हमारी भूमिका'' विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.
संघ के सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले ने प्रशासन व्यवस्था, न्याय प्रणाली, शिक्षा पद्धति, अर्थव्यवस्था सहित सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय विचार और दृष्टि पर आधारित व्यवस्था स्थापित करने का लोगों से आह्वान किया. प्रबुद्ध जन सम्मेलन में मौजूद लोगों से महाभारत के 1 श्लोक को सुनाते हुए उन्होंने आग्रह किया है कि देश को सन्मार्ग पर उन्मुख करना उनका कर्तव्य है. उन्होंने भारत के लगभग 1000 वर्ष की परतंत्रता का, विशेषता ढाई सौ बाईस की अंग्रेजों की गुलामी का विशद विवेचन करते हुए, भारत की स्वाधीनता के लिए प्रत्येक वर्ग के संघर्ष और उत्सर्ग का इतिहास सामने रखा.
उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में स्वाधीन भारत ने विश्व में नई गौरव में पहचान बनाई है. आज विश्व भारत की ओर आकर्षित है और उम्मीद की दृष्टि से देखता है. उन्होंने स्वदेशी, स्वावलंबन, अर्थ, कृषि, नई शिक्षा नीति, स्वास्थ्य, मतान तरण आदि विषयों पर भी (Dattatreya Hosabale on Population) अपने विचार रखे.
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संघ सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है. जनसंख्या वृद्धि पर विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कई देश जनसंख्या वृद्धि को बाहर भी मानते हैं. लेकिन यह है सही परिणाम में रहे तो देश की शक्ति भी है. चीन जैसे देश में अपनी जनसंख्या नीति ही बदल दी है क्योंकि राष्ट्र को युवा शक्ति चाहिए. जिससे देश को गम और साहस के साथ प्रगति के मार्ग पर प्रशस्त रहें. उन्होंने कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. अगले 25 वर्ष हमें अमृतकाल समझ कर कार्य करना है. भारत को श्रेष्ठ बनाने का दायित्व सिर्फ सरकार का नहीं है भारत को एक भारत श्रेष्ठ भारत बनाने के लिए हम सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी.