अजमेर. नदियों को जीवनदायिनी कहा गया है. मनुष्य का अस्तित्व भी इनसे जुड़ा हुआ है. लेकिन हालात ये हैं कि इन नदियां का अस्तित्व आज खुद ही खतरे में पड़ गया है. बात कर रहे हैं अजमेर की बाड़ी नदी की जो कभी तेज धारा के साथ बहती थी, लेकिन आज लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है.
इस नदी पर अवैध रूप से अतिक्रमणियों ने कब्जा कर लिया है. बड़े पैमाने पर हो रहे अतिक्रमण अवैध निर्माण करने के साथ ही भू माफिया ने भूखंडों को बेचना शुरू कर दिया है. नदी के किनारे मकान के अलावा फैक्ट्री और गोदाम भी बन गए हैं. इसके अलावा नाग पहाड़ का बरसाती पानी प्रगति नगर कोटड़ा, ज्ञान विहार कॉलोनी का बरसाती और नाले का पानी बाड़ी नदी के जरिए होते हुए आनासागर झील में पहुंचता है, लेकिन अतिक्रमण के कारण बाड़ी नदी का अस्तित्व धीरे-धीरे मिटता जा रहा है. कई जगह नदी लुप्त हो गई है, तो कई जगह पर यह नाले में तब्दील हो चुकी है.
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बाड़ी नदी फाईसागर झील से आनासागर झील तक प्रवाहित होती है. इसकी लंबाई 3 किलोमीटर है. वहीं राजस्व मानचित्र में बाड़ी नदी की चौड़ाई कई स्थानों पर अलग-अलग है. यह 60 से 200 मीटर है, लेकिन कहीं-कहीं पर यह 76 से 78 मीटर भी है. वहीं नदी के दोनों तरफ खेत में आबादी भी बस चुकी है. नदी के बहाव क्षेत्र में ग्राम हाथी खेड़ा बोराज कोटडा के अलावा थोक मालियान की भूमि भी सम्मिलित है.
बाड़ी नदी का इतिहास के बारे में कहा जाता है कि कभी तेज बहाव से आने वाला पानी आसपास के क्षेत्रों में कहर बरपाता था. इसलिए इसका नाम बांडी (उदंडी ) भी पड़ा है. बाड़ी नदी का हाल देखकर फायसागर झील कभी ओवरफ्लो होने से दहशत की कल्पना देखी जा सकती है. वहीं जानकारों के अनुसार यदि कभी ऐसा हुआ तो बाड़ी नदी पानी के दबाव को झेल तक नहीं पाएगी और कई बस्तियां जलमग्न हो जाएगी. शहर को दो भागों में बांटते हुए गुजर रही यह बाड़ी नदी का वजूद मिटाने में अतिक्रमियो ने कोई कसर नहीं छोड़ी है.
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करीब 5 किलोमीटर क्षेत्र में फैली इस नदी के दोनों तरफ केवल डेढ़ किलोमीटर तक के हिस्से में दीवार बनी हुई है. बाकी के हिस्से में डीमार्केशन नहीं होने से नदी को खोजना भी अब मुश्किल हो चुका है. इसका फायदा उठाकर लोगों ने जमीनें तक बेचना शुरू कर दिया है.