अजमेर. कोरोना महामारी को लेकर देश में लॉकडाउन हुआ जिससे जनजीवन पर खासा असर पड़ा. बाजार बंद रहते थे और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता था. महामारी में बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार तक छिन गए. लेकिन अपराध की दृष्टि से लॉकडाउन का समय काफी अच्छा रहा. लोगों घरों में ही कैद रहते थे इसलिए अपराध का ग्राफ भी घट गया लेकिन अनलॉक के बाद दुष्परिणाम भी सामने आने लगे. लॉकडाउन की वजह से रोजगार खत्म हो गए और कई लोग बेरोजगार हो गए, नतीजा ये हुआ कि चोरी, नकबजनी की घटनाओं में तेजी से इजाफा होने लगा है. हालात यह रहे कि अजमेर शहर में हर दिन औसतन चार वारदातें हो रही हैं.
कोरोना काल में हुए लॉकडाउन से लोगों को जबरदस्त आर्थिक झटका लगा है. समाज का हर वर्ग एक ओर कोरोना से बचने का जतन कर रहा था तो वहीं दूसरी ओर आर्थिक मंदी से भी जूझ रहा था. इनमें सबसे ज्यादा परेशानी रोज कमाने और रोज खाने वालों को हुई. उस दौर में इन लोगों पर दुगनी मार पड़ी. लेकिन एक राहत थी कि लॉकडाउन के दौरान कर्फ्यू और पुलिस की सख्ती होने से अपराध पर काफी हद तक अंकुश लग गया था. अनलॉक होने के बाद जब लोग काम के सिलसिले में घरों से निकलने लगे तो व्यावसायिक गतिविधियां भी बढ़ने लगीं. घर में लंबे समय से नजरबंद रहने वाले आपराधिक किस्म के लोग भी बाहर निकलने लगे.
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वारदातों पर एक नजर
1 जनवरी से 31 दिसंबर 2018 तक शहर में चोरी और नकबजनी की की कुल 306 वारदातें हुईं. जबकि 2019 में 465 घटनाएं हुई अपराध की. इसके अलावा 2020 में कुल 292 वारदातों को चोरों और लुटेरों ने अंजाम दी, जिनमें मार्च से अगस्त तक में कोई वारदात नहीं हुई.
सूने घरों को बनाया निशाना
अनलॉक के बाद शहर में चोरी की वारदातों में भी लगातार बढ़ोतरी होती गई. चोर मकानों और दुकानों को ही नही घर के बाहर खड़े चौपहिया वाहनों को भी निशाना बनाने लगे. खासकर सूने मकान चोरों के निशाने पर रहे. कई जगह एटीएम उखाड़ने और बैंक में चोरी की विफल घटनाएं भी हुई. वाहन चोरी के मामले भी बढ़ने लगे. अजमेर पुलिस एएसपी किशन सिंह भाटी ने माना कि अनलॉक के बाद चोरी की घटनाओं में इजाफा हुआ. लॉकडाउन से पहले चोरी नकबजनी की वारदातों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से जिला पुलिस की स्पेशल ब्रांच बनाई गई थी लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन और उसके बाद कोरोना के बचाव के लिए पुलिस लंबे समय तक व्यस्त रही. इस कारण जिला पुलिस की स्पेशल ब्रांच प्रभावी नहीं हो पाई. पिछले 15 दिन में ब्रांच को सक्रिय कर दिया गया है.
अजमेर धार्मिक एवं पर्यटन नगरी है. यहां हर दिन हजारों की संख्या में लोगों का बाहर से आना जाना रहता है. ऐसे में तीर्थ यात्रियों की भीड़ में कई असामाजिक तत्व भी अजमेर में वारदातों को अंजाम देने के उद्देश्य से आ जाते हैं. अजमेर में चोरी की वारदातों में ज्यादातर हाथ बाहर की गैंग का रहता है. अपराध की घटनाओं पर वर्षों से नजर रख रहे सामाजिक कार्यकर्ता पीके श्रीवास्तव का मानना है कि लॉकडाउन में लोगों ने बड़े स्तर पर आर्थिक हानि झेली है जिससे वह अभी तक नहीं उबर पाए हैं.
लॉकडाउन में जब कर्फ्यू और नाकाबंदी की गई तो जैसे अपराध का ग्राफ बिल्कुल डाउन हो गया. अनलॉक होते ही अपराध मैं तेजी आई इससे कहीं ना कहीं पुलिस की कार्यशैली से शिथिल हुई है. चोरी ना कब जाने जैसी घटनाएं लॉक डाउन से पहले की तुलना में दोगुनी हो गई है.राजस्थान के डीजीपी एमएल लाठर भी बढ़ते अपराध को लेकर फिक्रमंद हैं. यही वजह है कि पिछले शनिवार को लाठर ने अजमेर में रेंज के 40 सर्किल के अधिकारियों की बैठक ली. इसमें लाठर ने पुलिस को काम में सक्रियता लाने के निर्देश दिए थे. अजमेर में चोरी की घटनाएं होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसकी रोकथाम के लिए पुलिस को प्रभावी तरीके से योजना बनाने की जरूरत है, तभी आमजन बेफिक्र होकर रह सकेंगे.