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अजमेर: गरीबों को मिलने वाले फूड पैकेट पर रोक से पार्षदों का फूटा गुस्सा, पुलिस ने लिया हिरासत में - Ajmer News

अजमेर में लॉकडाउन के दौरान अक्षय पात्र की ओर से नगर निगम के सभी वार्डों में हर दिन गरीब लोगों के लिए भोजन वितरित किया जा रहा था. जिला प्रशासन ने अचानक इस पर रोक लगा दी, जिससे बाद सभी पार्षदों का गुस्सा फूट पड़ा. इस दौरान पुलिस ने सभी पार्षदों सहित नगर निगम मेयर धर्मेंद्र गहलोत और पूर्व विधायक डॉक्टर राजकुमार जयपाल को हिरासत में ले लिया.

पार्षदों का फूटा गुस्सा, Wards in Ajmer
अजमेर में पार्षदों का फूटा गुस्सा
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Published : Apr 9, 2020, 6:16 PM IST

अजमेर. जिले में कोरोना वायरस की महामारी से बचाव के चलते जारी लॉकडाउन के दौरान कई भामाशाहों और सामाजिक संस्थाओं द्वारा गरीब वर्ग के लोगों को भोजन वितरित किया जा रहा है. इनमें अक्षय पात्र की ओर से भी नगर निगम के सभी वार्डो में हर दिन गरीब वर्ग के लोगों के लिए भोजन वितरित किया जा रहा था, जो पार्षदों के माध्यम से क्षेत्र में वंचित लोगों को दिया जाता था. जिला प्रशासन ने बुधवार शाम को अचानक इस पर रोक लगा दी, जिससे सभी पार्षद नाराज हो गए.

अजमेर में पार्षदों का फूटा गुस्सा
इसके बाद पार्षदों ने अधिकारियों को फोन लगाया. लेकिन, अधिकारियों के फोन नहीं उठाने पर सभी पार्षद जिला कलेक्टर से गुरुवार को मिलने पहुंच गए. जिला मुख्यालय पर पहुंचे पार्षदों ने कलेक्टर से मिलने का समय मांगा. लेकिन, कलेक्टर ने सोशल डिस्टेंसिंग का हवाला देकर मिलने से इंकार कर दिया. वहीं, पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और मामला गरमा गया.

अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी और अजमेर दक्षिण से विधायक अनिता भदेल भी मौके पर पहुंचे. इनके अलावा नगर निगम के मेयर धर्मेंद्र गहलोत और कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल भी आ गए. काफी गहमागहमी के बाद एसपी कुंवर राष्ट्रदीप ने सभी पार्षदों सहित मेयर धर्मेंद्र गहलोत और पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल को हिरासत में ले लिया.

पढ़ें: जोधपुर में Corona से पहली मौत, मरने के बाद बुजुर्ग की रिपोर्ट आई पॉजिटिव

ईटीवी भारत ने मौके पर मौजूद पार्षदों और पूर्व विधायक से बातचीत कर वास्तविकता जानने की कोशिश की. पार्षद कौशल ने बताया कि अक्षय पात्र से सभी वार्डों में गरीब वर्ग के लोगों के लिए भोजन बनकर आता था, जिसे पार्षद अपने क्षेत्र में वंचित लोगों को वितरित करते थे. लेकिन, प्रशासन ने अचानक अक्षय पात्र से आने वाले भोजन पर रोक लगा दी.

एक पार्षद के पति रंजन शर्मा ने बताया कि अजमेर की आबादी करीब साढे़ नौ लाख है. ऐसे में जिला प्रशासन ने बीएलओ सर्वे के आधार पर 6,000 लोगों को भोजन की कच्ची सामग्री देकर यह तय कर लिया है कि अब इन गरीब तबके के लोगों को भोजन की आवश्यकता नहीं है.

पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल ने कहा कि प्रशासन ने जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना ही अक्षय पात्र से भोजन वितरण पर रोक लगा दी. वार्डों में जनता पार्षदों के पास जाती है. ऐसे में अगर पार्षद अधिकारियों को जन समस्याओं के लिए फोन करते हैं तो उनका फोन नहीं उठाया जाता. अधिकारी संवादहीन हैं, यही वजह है कि धारा 144 के बाद भी पार्षदों को लामबंद होना पड़ा.

पार्षद चंद्र शेखर बालोटिया ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सभी पार्षद क्षेत्रों में घूमकर लोगों की मदद कर रहे हैं. अक्षय पात्र के जरिए वंचित लोगों को भोजन मुहैया करवा रहे हैं, जबकि जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा वातानुकूलित चैंबर में बैठकर योजनाएं बना रहे हैं. उन्हें धरातल की जानकारी नहीं है. कलेक्टर ने एक दिन भी आकर वार्डों का दौरा नहीं किया.

पढ़ें: लॉकडाउन में ना रह जाए कोई भूखा, भारत विकास परिषद बांट रहा रोज 200 खाने के पैकेट

नगर निगम मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने भी ईटीवी भारत से बातचीत में अजमेर क्लेक्टर विश्व मोहन शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे कलेक्टर को तत्काल हटा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रशासन जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों से बात नहीं करना चाहता. ऐसे में नगर निगम खुद ही इस समस्या का हल निकालेगी.

एसपी कुंवर राष्ट्रदीप के निर्देश पर पुलिस ने सभी पार्षदों सहित नगर निगम मेयर धर्मेंद्र गहलोत और पूर्व विधायक डॉक्टर राजकुमार जयपाल को हिरासत में ले लिया, जबकि इसी दौरान विधायक वासुदेव देवनानी और विधायक अनिता भदेल जिला कलेक्टर से बातचीत करने के लिए उनके चैंबर में गए थे. बताया जा रहा है कि हिरासत में दिए पार्षदों को सिविल लाइंस थाना ले जाने के बाद हिदायत देकर छोड़ दिया गया.

अजमेर. जिले में कोरोना वायरस की महामारी से बचाव के चलते जारी लॉकडाउन के दौरान कई भामाशाहों और सामाजिक संस्थाओं द्वारा गरीब वर्ग के लोगों को भोजन वितरित किया जा रहा है. इनमें अक्षय पात्र की ओर से भी नगर निगम के सभी वार्डो में हर दिन गरीब वर्ग के लोगों के लिए भोजन वितरित किया जा रहा था, जो पार्षदों के माध्यम से क्षेत्र में वंचित लोगों को दिया जाता था. जिला प्रशासन ने बुधवार शाम को अचानक इस पर रोक लगा दी, जिससे सभी पार्षद नाराज हो गए.

अजमेर में पार्षदों का फूटा गुस्सा
इसके बाद पार्षदों ने अधिकारियों को फोन लगाया. लेकिन, अधिकारियों के फोन नहीं उठाने पर सभी पार्षद जिला कलेक्टर से गुरुवार को मिलने पहुंच गए. जिला मुख्यालय पर पहुंचे पार्षदों ने कलेक्टर से मिलने का समय मांगा. लेकिन, कलेक्टर ने सोशल डिस्टेंसिंग का हवाला देकर मिलने से इंकार कर दिया. वहीं, पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और मामला गरमा गया.

अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी और अजमेर दक्षिण से विधायक अनिता भदेल भी मौके पर पहुंचे. इनके अलावा नगर निगम के मेयर धर्मेंद्र गहलोत और कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल भी आ गए. काफी गहमागहमी के बाद एसपी कुंवर राष्ट्रदीप ने सभी पार्षदों सहित मेयर धर्मेंद्र गहलोत और पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल को हिरासत में ले लिया.

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ईटीवी भारत ने मौके पर मौजूद पार्षदों और पूर्व विधायक से बातचीत कर वास्तविकता जानने की कोशिश की. पार्षद कौशल ने बताया कि अक्षय पात्र से सभी वार्डों में गरीब वर्ग के लोगों के लिए भोजन बनकर आता था, जिसे पार्षद अपने क्षेत्र में वंचित लोगों को वितरित करते थे. लेकिन, प्रशासन ने अचानक अक्षय पात्र से आने वाले भोजन पर रोक लगा दी.

एक पार्षद के पति रंजन शर्मा ने बताया कि अजमेर की आबादी करीब साढे़ नौ लाख है. ऐसे में जिला प्रशासन ने बीएलओ सर्वे के आधार पर 6,000 लोगों को भोजन की कच्ची सामग्री देकर यह तय कर लिया है कि अब इन गरीब तबके के लोगों को भोजन की आवश्यकता नहीं है.

पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल ने कहा कि प्रशासन ने जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना ही अक्षय पात्र से भोजन वितरण पर रोक लगा दी. वार्डों में जनता पार्षदों के पास जाती है. ऐसे में अगर पार्षद अधिकारियों को जन समस्याओं के लिए फोन करते हैं तो उनका फोन नहीं उठाया जाता. अधिकारी संवादहीन हैं, यही वजह है कि धारा 144 के बाद भी पार्षदों को लामबंद होना पड़ा.

पार्षद चंद्र शेखर बालोटिया ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सभी पार्षद क्षेत्रों में घूमकर लोगों की मदद कर रहे हैं. अक्षय पात्र के जरिए वंचित लोगों को भोजन मुहैया करवा रहे हैं, जबकि जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा वातानुकूलित चैंबर में बैठकर योजनाएं बना रहे हैं. उन्हें धरातल की जानकारी नहीं है. कलेक्टर ने एक दिन भी आकर वार्डों का दौरा नहीं किया.

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नगर निगम मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने भी ईटीवी भारत से बातचीत में अजमेर क्लेक्टर विश्व मोहन शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे कलेक्टर को तत्काल हटा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रशासन जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों से बात नहीं करना चाहता. ऐसे में नगर निगम खुद ही इस समस्या का हल निकालेगी.

एसपी कुंवर राष्ट्रदीप के निर्देश पर पुलिस ने सभी पार्षदों सहित नगर निगम मेयर धर्मेंद्र गहलोत और पूर्व विधायक डॉक्टर राजकुमार जयपाल को हिरासत में ले लिया, जबकि इसी दौरान विधायक वासुदेव देवनानी और विधायक अनिता भदेल जिला कलेक्टर से बातचीत करने के लिए उनके चैंबर में गए थे. बताया जा रहा है कि हिरासत में दिए पार्षदों को सिविल लाइंस थाना ले जाने के बाद हिदायत देकर छोड़ दिया गया.

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