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अजमेर: मुस्लिम बाहुल्य वार्डों में कांग्रेस ने नहीं उतारे उम्मीदवार, पूर्व विधायक प्रत्याशी ने आलाकमान से की शिकायत

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Published : Jan 21, 2021, 10:13 PM IST

कांग्रेस में गुटबाजी के कारण अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र के तीन वार्ड 11, 12 और 13 में उम्मीदवार नहीं उतारे जाने का मामला अब कांग्रेस हाई कमान तक जा पंहुचा है. अजमेर उत्तर विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता ने कांग्रेस पर्यवेक्षक सहित एक स्थानीय पूर्व विधायक की शिकायत कांग्रेस आलाकमान को भेजी है.

Mahendra Singh Ralavata,  ajmer municipal election
अजमेर निकाय चुनाव

अजमेर. कांग्रेस में गुटबाजी के कारण अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र के तीन वार्ड 11, 12 और 13 में उम्मीदवार नहीं उतारे जाने का मामला अब कांग्रेस हाई कमान तक जा पंहुचा है. अजमेर उत्तर विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता ने कांग्रेस पर्यवेक्षक सहित एक स्थानीय पूर्व विधायक की शिकायत कांग्रेस आलाकमान को भेजी है. रलावता ने कहा कि अल्पसंख्यक क्षेत्रों में उम्मीदवार नहीं खड़े करने पर पर्यवेक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.

अजमेर कांग्रेस में गुटबाजी

कांग्रेस की आपसी खींचतान में नगर निगम चुनाव में 74 उम्मीदवार ही मैदान में हैं. जबकि शेष 6 वार्डों में कांग्रेस उम्मीदवार ही खड़े नहीं कर पाई. कांग्रेस की कमजोरी को भाजपा भुना रही है. खासकर 11, 12 और 13 अल्पसंख्यक बाहुल्य वार्ड में उम्मीदवार खड़े नहीं करने से कांग्रेस को क्षेत्र में विरोध भी झेलना पड़ा है. यह तीनों वार्ड अजमेर उत्तर विधानसभा का हिस्सा हैं. अजमेर उत्तर विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता ने बताया कि पर्यवेक्षक शारदा कांत के समक्ष पूर्व विधायक श्रीगोपाल बाहेती ने तीनों वार्डों को खुला छोड़ने का प्रस्ताव दिया था.

रलावता ने बताया कि पर्यवेक्षक को उन्होंने तीनों वार्डों में उम्मीदवार खड़े करने का कहा था और उन्हें प्रत्येक वार्ड में दावेदारों के दो-दो नाम का पैनल भी दिया था. उस पैनल पर पर्यवेक्षक के हस्ताक्षर मौजूद है जो उनके पास है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कुछ साजिशकर्ता नहीं चाहते कि 2023 में कांग्रेस अजमेर उत्तर से जीतकर आए. आने वाले समय में ऐसे लोगों की कलाई भी जनता के सामने खुलेगी.

पढ़ें: झालाना लेपर्ड रिजर्व: मादा पैंथर केसरी की कछुए के साथ अठखेलियां का वीडियो देख दिन बन जाएगा

उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में उम्मीदवार घोषित कर उन्हें सम्मान देना चाहिए था, मैं यह लड़ाई अंतिम छोर तक लडूंगा. कांग्रेस के नेताओं में मतभेद हो सकता है लेकिन कार्यकर्ता एकजुट है और इस वक्त वह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, नगर निगम में बोर्ड कांग्रेस का बनेगा. रलावता ने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि नगर निगम में 5 वर्ष भाजपा का बोर्ड था लेकिन 5 वर्षों में भाजपा का बोर्ड शहर में कोई काम नहीं कर पाया.

उन्होंने कहा कि 5 वर्षों में शहर का मास्टर प्लान भाजपा सरकार के समय लागू नहीं हुआ वह कांग्रेस ने लागू किया है, जिसका फायदा आम जनता को मिलेगा. बीजेपी के शासन में मास्टर प्लान को लंबित रखा गया व्यापारियों और कार्यकर्ताओं का शोषण किया गया. अजमेर शहर सुव्यवस्थित तरीके से विकास की राह पर चल सकता था लेकिन अब भाजपा विकास की बात नहीं कर रही है. इस चुनाव में वोट विकास के नाम पर पड़ेगा. भाजपा सरकार और नगर निगम में भाजपा का बोर्ड शहर में विकास नहीं कर पाए.

बता दें कि 11, 12 और 13 वार्ड की तरह वार्ड 7, 29 और 77 में भी कांग्रेस उम्मीदवार घोषित नहीं कर सकी. इस कारण वार्ड 29 में कांग्रेस को झटका लगा. यहां बीजेपी की उम्मीवार निर्विरोध निर्वाचित हो गई. जबकि 77 में निर्दलीय उम्मीदवार और 7 में आरएलपी की उम्मीवार को समर्थन देकर कांग्रेस ने अपनी गलती का तोड़ निकाला है.

अजमेर. कांग्रेस में गुटबाजी के कारण अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र के तीन वार्ड 11, 12 और 13 में उम्मीदवार नहीं उतारे जाने का मामला अब कांग्रेस हाई कमान तक जा पंहुचा है. अजमेर उत्तर विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता ने कांग्रेस पर्यवेक्षक सहित एक स्थानीय पूर्व विधायक की शिकायत कांग्रेस आलाकमान को भेजी है. रलावता ने कहा कि अल्पसंख्यक क्षेत्रों में उम्मीदवार नहीं खड़े करने पर पर्यवेक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.

अजमेर कांग्रेस में गुटबाजी

कांग्रेस की आपसी खींचतान में नगर निगम चुनाव में 74 उम्मीदवार ही मैदान में हैं. जबकि शेष 6 वार्डों में कांग्रेस उम्मीदवार ही खड़े नहीं कर पाई. कांग्रेस की कमजोरी को भाजपा भुना रही है. खासकर 11, 12 और 13 अल्पसंख्यक बाहुल्य वार्ड में उम्मीदवार खड़े नहीं करने से कांग्रेस को क्षेत्र में विरोध भी झेलना पड़ा है. यह तीनों वार्ड अजमेर उत्तर विधानसभा का हिस्सा हैं. अजमेर उत्तर विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता ने बताया कि पर्यवेक्षक शारदा कांत के समक्ष पूर्व विधायक श्रीगोपाल बाहेती ने तीनों वार्डों को खुला छोड़ने का प्रस्ताव दिया था.

रलावता ने बताया कि पर्यवेक्षक को उन्होंने तीनों वार्डों में उम्मीदवार खड़े करने का कहा था और उन्हें प्रत्येक वार्ड में दावेदारों के दो-दो नाम का पैनल भी दिया था. उस पैनल पर पर्यवेक्षक के हस्ताक्षर मौजूद है जो उनके पास है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कुछ साजिशकर्ता नहीं चाहते कि 2023 में कांग्रेस अजमेर उत्तर से जीतकर आए. आने वाले समय में ऐसे लोगों की कलाई भी जनता के सामने खुलेगी.

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उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में उम्मीदवार घोषित कर उन्हें सम्मान देना चाहिए था, मैं यह लड़ाई अंतिम छोर तक लडूंगा. कांग्रेस के नेताओं में मतभेद हो सकता है लेकिन कार्यकर्ता एकजुट है और इस वक्त वह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, नगर निगम में बोर्ड कांग्रेस का बनेगा. रलावता ने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि नगर निगम में 5 वर्ष भाजपा का बोर्ड था लेकिन 5 वर्षों में भाजपा का बोर्ड शहर में कोई काम नहीं कर पाया.

उन्होंने कहा कि 5 वर्षों में शहर का मास्टर प्लान भाजपा सरकार के समय लागू नहीं हुआ वह कांग्रेस ने लागू किया है, जिसका फायदा आम जनता को मिलेगा. बीजेपी के शासन में मास्टर प्लान को लंबित रखा गया व्यापारियों और कार्यकर्ताओं का शोषण किया गया. अजमेर शहर सुव्यवस्थित तरीके से विकास की राह पर चल सकता था लेकिन अब भाजपा विकास की बात नहीं कर रही है. इस चुनाव में वोट विकास के नाम पर पड़ेगा. भाजपा सरकार और नगर निगम में भाजपा का बोर्ड शहर में विकास नहीं कर पाए.

बता दें कि 11, 12 और 13 वार्ड की तरह वार्ड 7, 29 और 77 में भी कांग्रेस उम्मीदवार घोषित नहीं कर सकी. इस कारण वार्ड 29 में कांग्रेस को झटका लगा. यहां बीजेपी की उम्मीवार निर्विरोध निर्वाचित हो गई. जबकि 77 में निर्दलीय उम्मीदवार और 7 में आरएलपी की उम्मीवार को समर्थन देकर कांग्रेस ने अपनी गलती का तोड़ निकाला है.

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